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DUTA Election 2023: शिक्षक संगठनों ने किए अपनी अपनी जीत के दावे, ये वादे पूरे, ये रहे अधूरे

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Sep 12, 2023, 8:30 PM IST

डीयू के आगामी डूटा चुनाव में शिक्षक संगठनों द्वारा अपनी-अपनी जीत के दावे लगातार किए जा रहे हैं. इसमें कुछ चुनावी वादे पूरे कर दिए गए हैं, तो कुछ अधूरे रह गए हैं. आइए डालते हैं उन पर एक नजर.

Delhi University Teachers Organization
Delhi University Teachers Organization

नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संगठन (डूटा) का चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आता जा रहा है, वैसे-वैसे शिक्षक संगठनों द्वारा चुनाव प्रचार अभियान तेज किया जा रहा है. प्रमुख प्रतिद्वंदी शिक्षक संगठन एकेडमिक्स फाॅर एक्सन एंड डेवलपमेंट टीचर्स एसोसिएशन (एएडीटीए) और नेशनल डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट (एनडीटीएफ) दोनों के उम्मीदवार अपनी-अपनी जीत का दावा कर रहे हैं. हालांकि, मौजूदा डूटा अध्यक्ष और फिर से उम्मीदवार बनाए गए प्रो. एके भागी ने कहा कि उन्होंने पिछले चुनाव से पहले किए गए कई वादों को पूरा कर दिया है. साथ ही बचे हुए वादों को भी पूरा करने के लिए मेहनत की जा रही है.

लंबित मांगों को लेकर किया जा रहा संघर्ष: उन्होंने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय के इतिहास में इतने बड़े स्तर पर पदोन्नति कभी नहीं हुई, जो मेरे कार्यकाल में मेरे प्रयास से हुई है. इसके अलावा शिक्षकों की स्थाई नियुक्ति की प्रक्रिया भी बहुत सालों बाद डीयू में शुरू हुई, जिसमें अभी तक 2,900 से ज्यादा शिक्षकों को स्थायी किया जा चुका है.

स्थायी नियुक्ति की प्रक्रिया में जो एडहॉक टीचर्स डिस्प्लेस्ड हुए थे, उनको भी आंदोलन करके रिअप्वाइंट कराया गया. साथ ही शिक्षकों की समस्याओं और अन्य लंबित मांगों को लेकर लगातार संघर्ष किया जा रहा है.

किया जीत का दावा: उन्होंने कहा कि मुझे पूरा भरोसा है कि इस बार पिछली बार से और ज्यादा व्यापक जन समर्थन मिलेगा और एनडीटीएफ रिकॉर्ड जीत हासिल करेगी. जो मुद्दे अभी लंबित रह गए हैं उनके लिए दिल्ली सरकार को कदम उठाना होगा. इसके लिए चुनाव के बाद हम संगठन के स्तर पर भी फिर से प्रयास करेंगे.

वादे जो पूरे नहीं हुए
वादे जो पूरे नहीं हुए

शिक्षा मंत्री ने किया आश्वस्त: दरअसल, दिल्ली सरकार के 12 कॉलेज में शिक्षकों के नियमित वेतन की समस्या लगातार बनी हुई है. इसके लिए भी डूटा की ओर से प्रयास किया गया है. उन्होंने बताया कि आर्थिक कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) कोटे की 25 प्रतिशत सीटों को शिक्षा मंत्रालय और यूजीसी द्वारा आवंटित करने के लिए भी वे शिक्षा मंत्री से मिल चुके हैं. शिक्षा मंत्री ने उन्हें आश्वस्त किया है कि जब डीयू शिक्षकों के खाली 75 प्रतिशत पदों को भर लेगा, तब शिक्षा मंत्रालय की ओर से ईडब्ल्यूएस की 25 प्रतिशत सीटें भी आवंटित कर दी जाएगी.

टीचरों का बेरोजगार होना बड़ा मुद्दा: वहीं, आम आदमी पार्टी के शिक्षक संगठन एएडीटीए के डूटा अध्यक्ष पद के उम्मीदवार प्रो. आदित्य नारायण मिश्रा ने कहा कि डीयू में चल रही स्थायी भर्ती प्रक्रिया में बड़ी संख्या में एडहॉक टीचरों को निकाल दिया गया है, जिससे बहुत सारे टीचर बेरोजगार हो गए हैं. यह इस चुनाव में उनके लिए यह बड़ा मुद्दा है. इसके अलावा प्रमोशन में भी एक खास विचारधारा के लोगों को तवज्जो दी गई है, जिससे शिक्षकों में रोष है.

वादे जो पूरे नहीं हुए
वादे जो पूरे नहीं हुए

मुद्दों के लिए किया जाएगा आंदोलन: प्रो. आदित्य नारायण मिश्रा ने कहा कि राष्ट्रीय पेंशन योजना सहित कई बड़े मुद्दे अभी तक लंबित हैं, जिनको डूटा का मौजूदा नेतृत्व नहीं हल कर पाया है और यह उनकी विफलता है. अपनी सरकार होते हुए भी एनडीटीएफ के लोग, अपनी ओर से किए गए शिक्षकों के वादों को पूरा नहीं कर पाए हैं. इससे शिक्षकों में नाराजगी है, जिसका फायदा एएडीटीए को मिलेगा. चुनाव जीतने के बाद वह बचे हुए सभी लंबित मुद्दों का तुरंत समाधान करने के लिए आंदोलन शुरू करेंगे. उल्लेखनीय है कि डूटा अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए 27 सितंबर को मतदान होना है.

इनके बीच है मुकाबला: इस बार एनडीटीएफ के उम्मीदवार प्रो. एके भागी का मुकाबला 11 दलों के संयुक्त उम्मीदवार एएडीटीए के उम्मीदवार प्रो. आदित्य नारायण मिश्रा से है. पिछले चुनाव में भागी ने डीटीएफ की उम्मीदवार प्रोफेसर आभा देव हबीब को 1,300 से भी ज्यादा वोटों से हराया था.

यह भी पढ़ें-G20 समिट के बाद भी चमकती रहेगी दिल्ली, शहर चमकाने के लिए पूरे विभाग के साथ ग्राउंड जीरो पर उतरीं मंत्री आतिशी

यह भी पढ़ें-दिल्ली यूनिवर्सिटी के छात्र संघ चुनाव में भाजपा और कांग्रेस की क्या है प्लानिंग, जानें

नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संगठन (डूटा) का चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आता जा रहा है, वैसे-वैसे शिक्षक संगठनों द्वारा चुनाव प्रचार अभियान तेज किया जा रहा है. प्रमुख प्रतिद्वंदी शिक्षक संगठन एकेडमिक्स फाॅर एक्सन एंड डेवलपमेंट टीचर्स एसोसिएशन (एएडीटीए) और नेशनल डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट (एनडीटीएफ) दोनों के उम्मीदवार अपनी-अपनी जीत का दावा कर रहे हैं. हालांकि, मौजूदा डूटा अध्यक्ष और फिर से उम्मीदवार बनाए गए प्रो. एके भागी ने कहा कि उन्होंने पिछले चुनाव से पहले किए गए कई वादों को पूरा कर दिया है. साथ ही बचे हुए वादों को भी पूरा करने के लिए मेहनत की जा रही है.

लंबित मांगों को लेकर किया जा रहा संघर्ष: उन्होंने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय के इतिहास में इतने बड़े स्तर पर पदोन्नति कभी नहीं हुई, जो मेरे कार्यकाल में मेरे प्रयास से हुई है. इसके अलावा शिक्षकों की स्थाई नियुक्ति की प्रक्रिया भी बहुत सालों बाद डीयू में शुरू हुई, जिसमें अभी तक 2,900 से ज्यादा शिक्षकों को स्थायी किया जा चुका है.

स्थायी नियुक्ति की प्रक्रिया में जो एडहॉक टीचर्स डिस्प्लेस्ड हुए थे, उनको भी आंदोलन करके रिअप्वाइंट कराया गया. साथ ही शिक्षकों की समस्याओं और अन्य लंबित मांगों को लेकर लगातार संघर्ष किया जा रहा है.

किया जीत का दावा: उन्होंने कहा कि मुझे पूरा भरोसा है कि इस बार पिछली बार से और ज्यादा व्यापक जन समर्थन मिलेगा और एनडीटीएफ रिकॉर्ड जीत हासिल करेगी. जो मुद्दे अभी लंबित रह गए हैं उनके लिए दिल्ली सरकार को कदम उठाना होगा. इसके लिए चुनाव के बाद हम संगठन के स्तर पर भी फिर से प्रयास करेंगे.

वादे जो पूरे नहीं हुए
वादे जो पूरे नहीं हुए

शिक्षा मंत्री ने किया आश्वस्त: दरअसल, दिल्ली सरकार के 12 कॉलेज में शिक्षकों के नियमित वेतन की समस्या लगातार बनी हुई है. इसके लिए भी डूटा की ओर से प्रयास किया गया है. उन्होंने बताया कि आर्थिक कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) कोटे की 25 प्रतिशत सीटों को शिक्षा मंत्रालय और यूजीसी द्वारा आवंटित करने के लिए भी वे शिक्षा मंत्री से मिल चुके हैं. शिक्षा मंत्री ने उन्हें आश्वस्त किया है कि जब डीयू शिक्षकों के खाली 75 प्रतिशत पदों को भर लेगा, तब शिक्षा मंत्रालय की ओर से ईडब्ल्यूएस की 25 प्रतिशत सीटें भी आवंटित कर दी जाएगी.

टीचरों का बेरोजगार होना बड़ा मुद्दा: वहीं, आम आदमी पार्टी के शिक्षक संगठन एएडीटीए के डूटा अध्यक्ष पद के उम्मीदवार प्रो. आदित्य नारायण मिश्रा ने कहा कि डीयू में चल रही स्थायी भर्ती प्रक्रिया में बड़ी संख्या में एडहॉक टीचरों को निकाल दिया गया है, जिससे बहुत सारे टीचर बेरोजगार हो गए हैं. यह इस चुनाव में उनके लिए यह बड़ा मुद्दा है. इसके अलावा प्रमोशन में भी एक खास विचारधारा के लोगों को तवज्जो दी गई है, जिससे शिक्षकों में रोष है.

वादे जो पूरे नहीं हुए
वादे जो पूरे नहीं हुए

मुद्दों के लिए किया जाएगा आंदोलन: प्रो. आदित्य नारायण मिश्रा ने कहा कि राष्ट्रीय पेंशन योजना सहित कई बड़े मुद्दे अभी तक लंबित हैं, जिनको डूटा का मौजूदा नेतृत्व नहीं हल कर पाया है और यह उनकी विफलता है. अपनी सरकार होते हुए भी एनडीटीएफ के लोग, अपनी ओर से किए गए शिक्षकों के वादों को पूरा नहीं कर पाए हैं. इससे शिक्षकों में नाराजगी है, जिसका फायदा एएडीटीए को मिलेगा. चुनाव जीतने के बाद वह बचे हुए सभी लंबित मुद्दों का तुरंत समाधान करने के लिए आंदोलन शुरू करेंगे. उल्लेखनीय है कि डूटा अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए 27 सितंबर को मतदान होना है.

इनके बीच है मुकाबला: इस बार एनडीटीएफ के उम्मीदवार प्रो. एके भागी का मुकाबला 11 दलों के संयुक्त उम्मीदवार एएडीटीए के उम्मीदवार प्रो. आदित्य नारायण मिश्रा से है. पिछले चुनाव में भागी ने डीटीएफ की उम्मीदवार प्रोफेसर आभा देव हबीब को 1,300 से भी ज्यादा वोटों से हराया था.

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