ETV Bharat / state

Body builder Sapna: हालात से हारने वालों के लिए मिशाल बनीं सपना, टांगें टूटने के बावजूद बनी बॉडी बिल्डर - fitness championship

कभी-कभी हादसे भी जिंदगी बदल देते हैं. पुरानी कहावत भी है जो होता है ठीक होता है. कुछ ऐसी ही कहानी है दिल्ली के सपना की. सड़क हादसे ने सपना की जिंदगी को बदल दिया. हाउस वाइफ से वह बॉडी बिल्डिंग करने लगी. पढ़ें उनकी प्रेरक कहानी...

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By

Published : Aug 12, 2023, 6:32 AM IST

Updated : Aug 12, 2023, 10:02 PM IST

जिम में एक्सरसाइज करती सपना

नई दिल्ली: असफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकार करो, क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो, जब तक ना सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम, संघर्ष का मैदान छोड़कर मत भागो तुम, कुछ किए बिना ही जय जयकार नहीं होती, कोशिश करने वालों की हार नहीं होती.

कवि सोहनलाल द्विवेदी की इन पंक्तियों को चरितार्थ किया है दिल्ली में रहने वाली सपना ने. उन्होंने वो सब कर दिखाया जो शायद सोचने पर भी असंभव लगता था. रोड एक्सीडेंट के बाद दोनों पैरों में रॉड लगने के बाद छह महीने तक बिस्तर पर पड़ी रहने वाली सपना की कहानी जिंदगी को एक अलग सकारात्मकता से भरती है. बिहार के मधुबनी की रहने वाली सपना ने कुछ ऐसा कर दिखाया है, जिससे लोगों को उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए. सपना फिलहाल बॉडी बिल्डर बनकर थाईलैंड में होने वाली वर्ल्ड बॉडी बिल्डिंग और फिटनेस चैंपियनशिप की तैयारी कर रही हैं. आइए जानते हैं सपना के बिस्तर पर पड़े होने से थाइलैंड तक पहुंचने की कहानी....

सपना मूल रूप से बिहार के मधुबनी की रहने वाली हैं और काफी समय से दिल्ली में द्वारका मोड़ में रहती हैं. 8 मार्च, 2018 को वह स्कूटी से अपनी बेटी को द्वारका सेक्टर 22 स्थित सेंट कार्मेल स्कूल से लेने जा रही थी और उसी वक्त मोड़ पर एक बड़े पत्थर से टकराई और जांघ में फ्रेक्चर हो गया. उस समय उनका वजन 65 किलो और उम्र 32 वर्ष थी. रोड एक्सीडेंट से पहले वह हाउसवाइफ थी और अपने पति, दोनों बच्चों एक बेटे और एक बेटी की देखभाल करती थीं.

एक्सीडेंट से बदला जीवन: एक सड़क दुर्घटना में सपना की दाईं जांघ की हड्डी टूट गई. घटना के बाद जांघ में रॉड डालनी पड़ी और वह बिस्तर पर आ गई. सर्जरी के बाद चलने फिरने की समस्या के कारण डॉक्टर ने उन्हें यूरीन बैग लगाया, जिससे वह खुद को लाचार समझने लगी और उनके मन में सुसाइड करने का ख्याल आने लगा. परिवार की वजह से वो इस ख्याल से बाहर तो आ गई, लेकिन छह महीने तक बिस्तर पर पड़े रहने से वह लगातार अवसाद से ग्रसित होने लगी. छह महीने तक बिस्तर पर रहने से सपना का वजन काफी बढ़ गया. बढ़कर 98 किलो हो गया था. बिस्तर से उठने के बाद जांघ में भी दर्द रहने लगा.

फाइल फोटो
फाइल फोटो

ज्यादा वजन होने के कारण जांघ में फिट की गई रॉड के कुछ पेच भी खुल गए और तेज दर्द रहने लगा. 2021 में दर्द असहनीय होने पर उन्हें जांघ की फिर से सर्जरी करानी पड़ी. सितंबर 2020 में सपना की जांघ की दोबारा सर्जरी होने के एक महीने बाद वो अपने पैरों पर चलने लगी. एक साल बाद सपना चलने फिरने में पूरी तरह फिट महसूस करने लगीं तो डॉक्टर ने उन्हें वजन कम करने के लिए जिम जाने और डाइटिंग शुरू करने की सलाह दी.

"महिलाओं को कभी खुद को दरकिनार कर जिंदगी नहीं जीनी चाहिए. अधिकतर महिलाएं थोड़ी सी परेशानी आने पर टूट जाती हैं या वक्त के साथ समझौता कर लेती हैं. बहुत सी महिलाएं ये नहीं सोच पाती कि वह खुद भी कुछ कर सकती हैं. मैं महिलाओं को यही कहना चाहती हूं कि खुद को किसी से कम न समझें कड़ी मेहनत से सब कुछ संभव है."

सपना,बॉडी बिल्डर

ऐसे शुरू हुआ बॉडी बिल्डिंग का सफरः जिम में सपना के वजन कम करने और खुद को फिट रखने की मेहनत और लगन को देखते हुए जिम ट्रेनर और साथ जिम करने वाले लोगों ने उन्हें बॉडी बिल्डिंग में जाने की सलाह दी. इसके बाद सपना को बॉडी बिल्डिंग का जुनून सवार हो गया और इसकी ट्रेनिंग शुरू कर दी. साल 2023 की जून में सिविल लाइंस दिल्ली में आयोजित हुई मिस्टर एंड मिसेज एशिया बॉडी बिल्डिंग और फिटनेस चैंपियनशिप में महिला वर्ग में खिताब जीतकर उन्होंने उपलब्धि हासिल की. सपना ने बताया कि इस प्रतियोगिता में कई देशों की महिला बॉडी बिल्डर ने भाग लिया था. इस प्रतियोगिता में उन्होंने बिकनी फिजिक श्रेणी में बॉडी बिल्डिंग की थी. सपना का दावा है कि वह बिहार की पहली महिला बॉडी बिल्डर हैं.

हारने वालों के लिए मिशाल बनीं सपना
हारने वालों के लिए मिशाल बनीं सपना

सपना का कहना है कि उनको यहां तक पहुंचाने में डॉक्टर सुमित का अहम योगदान रहा है. वह बताती हैं कि जब उन्होंने जिम जाने का निर्णय लिया तो उनके पति ने बहुत आपत्ति जताई. सारी चीजों को दरकिनार करते हुए खुद को फिट रखने के लिए कोई समझौता नहीं किया. उन्होंने अपने प्रोफेशन के अपने पति और बच्चों के बीच कभी नहीं आने दिया. आज भी वह सुबह चार बजे उठती हैं पति को ऑफिस और बच्चों को स्कूल भेजकर सुबह आठ बजे तक घर का सारा काम करके जिम जाती हैं. जिम में तीन से चार घंटे प्रतिदिन वर्क आउट करतीं हैं डाइटिंग के लिए उबला हुआ खाना खाती हैं. जबकि बच्चों और पति के लिए अलग खाना बनाती हैं.

ये भी पढ़ेंः

लाफ्टर क्वीन का छलका दर्द : 'शो में कमर पर हाथ रगड़ते हुए जाते थे लोग'

गांधी जयंती : इन 5 फिल्मों में देखें महात्मा गांधी का आजादी के लिए संघर्ष और जीवन दर्शन

जिम में एक्सरसाइज करती सपना

नई दिल्ली: असफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकार करो, क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो, जब तक ना सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम, संघर्ष का मैदान छोड़कर मत भागो तुम, कुछ किए बिना ही जय जयकार नहीं होती, कोशिश करने वालों की हार नहीं होती.

कवि सोहनलाल द्विवेदी की इन पंक्तियों को चरितार्थ किया है दिल्ली में रहने वाली सपना ने. उन्होंने वो सब कर दिखाया जो शायद सोचने पर भी असंभव लगता था. रोड एक्सीडेंट के बाद दोनों पैरों में रॉड लगने के बाद छह महीने तक बिस्तर पर पड़ी रहने वाली सपना की कहानी जिंदगी को एक अलग सकारात्मकता से भरती है. बिहार के मधुबनी की रहने वाली सपना ने कुछ ऐसा कर दिखाया है, जिससे लोगों को उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए. सपना फिलहाल बॉडी बिल्डर बनकर थाईलैंड में होने वाली वर्ल्ड बॉडी बिल्डिंग और फिटनेस चैंपियनशिप की तैयारी कर रही हैं. आइए जानते हैं सपना के बिस्तर पर पड़े होने से थाइलैंड तक पहुंचने की कहानी....

सपना मूल रूप से बिहार के मधुबनी की रहने वाली हैं और काफी समय से दिल्ली में द्वारका मोड़ में रहती हैं. 8 मार्च, 2018 को वह स्कूटी से अपनी बेटी को द्वारका सेक्टर 22 स्थित सेंट कार्मेल स्कूल से लेने जा रही थी और उसी वक्त मोड़ पर एक बड़े पत्थर से टकराई और जांघ में फ्रेक्चर हो गया. उस समय उनका वजन 65 किलो और उम्र 32 वर्ष थी. रोड एक्सीडेंट से पहले वह हाउसवाइफ थी और अपने पति, दोनों बच्चों एक बेटे और एक बेटी की देखभाल करती थीं.

एक्सीडेंट से बदला जीवन: एक सड़क दुर्घटना में सपना की दाईं जांघ की हड्डी टूट गई. घटना के बाद जांघ में रॉड डालनी पड़ी और वह बिस्तर पर आ गई. सर्जरी के बाद चलने फिरने की समस्या के कारण डॉक्टर ने उन्हें यूरीन बैग लगाया, जिससे वह खुद को लाचार समझने लगी और उनके मन में सुसाइड करने का ख्याल आने लगा. परिवार की वजह से वो इस ख्याल से बाहर तो आ गई, लेकिन छह महीने तक बिस्तर पर पड़े रहने से वह लगातार अवसाद से ग्रसित होने लगी. छह महीने तक बिस्तर पर रहने से सपना का वजन काफी बढ़ गया. बढ़कर 98 किलो हो गया था. बिस्तर से उठने के बाद जांघ में भी दर्द रहने लगा.

फाइल फोटो
फाइल फोटो

ज्यादा वजन होने के कारण जांघ में फिट की गई रॉड के कुछ पेच भी खुल गए और तेज दर्द रहने लगा. 2021 में दर्द असहनीय होने पर उन्हें जांघ की फिर से सर्जरी करानी पड़ी. सितंबर 2020 में सपना की जांघ की दोबारा सर्जरी होने के एक महीने बाद वो अपने पैरों पर चलने लगी. एक साल बाद सपना चलने फिरने में पूरी तरह फिट महसूस करने लगीं तो डॉक्टर ने उन्हें वजन कम करने के लिए जिम जाने और डाइटिंग शुरू करने की सलाह दी.

"महिलाओं को कभी खुद को दरकिनार कर जिंदगी नहीं जीनी चाहिए. अधिकतर महिलाएं थोड़ी सी परेशानी आने पर टूट जाती हैं या वक्त के साथ समझौता कर लेती हैं. बहुत सी महिलाएं ये नहीं सोच पाती कि वह खुद भी कुछ कर सकती हैं. मैं महिलाओं को यही कहना चाहती हूं कि खुद को किसी से कम न समझें कड़ी मेहनत से सब कुछ संभव है."

सपना,बॉडी बिल्डर

ऐसे शुरू हुआ बॉडी बिल्डिंग का सफरः जिम में सपना के वजन कम करने और खुद को फिट रखने की मेहनत और लगन को देखते हुए जिम ट्रेनर और साथ जिम करने वाले लोगों ने उन्हें बॉडी बिल्डिंग में जाने की सलाह दी. इसके बाद सपना को बॉडी बिल्डिंग का जुनून सवार हो गया और इसकी ट्रेनिंग शुरू कर दी. साल 2023 की जून में सिविल लाइंस दिल्ली में आयोजित हुई मिस्टर एंड मिसेज एशिया बॉडी बिल्डिंग और फिटनेस चैंपियनशिप में महिला वर्ग में खिताब जीतकर उन्होंने उपलब्धि हासिल की. सपना ने बताया कि इस प्रतियोगिता में कई देशों की महिला बॉडी बिल्डर ने भाग लिया था. इस प्रतियोगिता में उन्होंने बिकनी फिजिक श्रेणी में बॉडी बिल्डिंग की थी. सपना का दावा है कि वह बिहार की पहली महिला बॉडी बिल्डर हैं.

हारने वालों के लिए मिशाल बनीं सपना
हारने वालों के लिए मिशाल बनीं सपना

सपना का कहना है कि उनको यहां तक पहुंचाने में डॉक्टर सुमित का अहम योगदान रहा है. वह बताती हैं कि जब उन्होंने जिम जाने का निर्णय लिया तो उनके पति ने बहुत आपत्ति जताई. सारी चीजों को दरकिनार करते हुए खुद को फिट रखने के लिए कोई समझौता नहीं किया. उन्होंने अपने प्रोफेशन के अपने पति और बच्चों के बीच कभी नहीं आने दिया. आज भी वह सुबह चार बजे उठती हैं पति को ऑफिस और बच्चों को स्कूल भेजकर सुबह आठ बजे तक घर का सारा काम करके जिम जाती हैं. जिम में तीन से चार घंटे प्रतिदिन वर्क आउट करतीं हैं डाइटिंग के लिए उबला हुआ खाना खाती हैं. जबकि बच्चों और पति के लिए अलग खाना बनाती हैं.

ये भी पढ़ेंः

लाफ्टर क्वीन का छलका दर्द : 'शो में कमर पर हाथ रगड़ते हुए जाते थे लोग'

गांधी जयंती : इन 5 फिल्मों में देखें महात्मा गांधी का आजादी के लिए संघर्ष और जीवन दर्शन

Last Updated : Aug 12, 2023, 10:02 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.