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राहत इंदौरी का निधन उर्दू अदब का बड़ा नुकसान है: नवाज़ देवबंदी

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Published : Aug 12, 2020, 9:31 AM IST

नवाज़ देवबंदी ने कहा, 'राहत इंदौरी कविसम्मेलन और मुशायरों के बादशाह थे. उनकी शायरी एक उमर के व्यक्ति के लिए आनंद से भरपूर होती थी. वो किसी खास विषय, किसी खास लहजे या किसी खास शीर्षक के शायर नही थे. वो अलग अलग तरह की शायरी करने मे महारत रखते थे. जैसे कोई अदब का गुलदस्ता हो. राहत इंदौरी का निधन उर्दू अदब का बड़ा नुकसान है.'

nawaz deobandi over the demises of poet rahat indori
राहत इंदौरी का निधन उर्दू अदब का बड़ा नुकसान है: नवाज़ देवबंदी

नई दिल्ली: उर्दू के इंकलाबी शायर राहत इंदौरी के निधन पर नवाज़ देवबंदी ने दुख का इज़हार किया है. ईटीवी भारत से बात करहते हुए उन्होंने कहा कि राहत इंदौरी का निधन कोई छोटा मोटा हादसा नही है बल्कि अदबी दुनिया के लिए बड़ा सांहा है.

राहत इंदौरी का निधन उर्दू अदब का बड़ा नुकसान है: नवाज़ देवबंदी

राहत इंदौरी एक शख्स नही थे बल्कि एक अंजुमन थे. वो मुशायरों की दुनिया के बेताज बादशाह थे. नवाज़ देवबंदी ने कहा कि राहत इंदौरी ने अपने पढ़ने के ढंग से एक नई आर्ट को जन्म दिया था. पूरी दुनिया मे उनके जैसे अंदाज़ से पढ़ने वाला कोई दूसरा नही था.

उन्होंने कहा कि राहत इंदौरी कविसम्मेलन और मुशायरों के बादशाह थे. उनकी शायरी एक उमर के व्यक्ति के लिए आनंद से भरपूर होती थी. वो किसी खास विषय, किसी खास लहजे या किसी खास शीर्षक के शायर नही थे. वो अलग अलग तरह की शायरी करने मे महारत रखते थे. जैसे कोई अदब का गुलदस्ता हो.

नई दिल्ली: उर्दू के इंकलाबी शायर राहत इंदौरी के निधन पर नवाज़ देवबंदी ने दुख का इज़हार किया है. ईटीवी भारत से बात करहते हुए उन्होंने कहा कि राहत इंदौरी का निधन कोई छोटा मोटा हादसा नही है बल्कि अदबी दुनिया के लिए बड़ा सांहा है.

राहत इंदौरी का निधन उर्दू अदब का बड़ा नुकसान है: नवाज़ देवबंदी

राहत इंदौरी एक शख्स नही थे बल्कि एक अंजुमन थे. वो मुशायरों की दुनिया के बेताज बादशाह थे. नवाज़ देवबंदी ने कहा कि राहत इंदौरी ने अपने पढ़ने के ढंग से एक नई आर्ट को जन्म दिया था. पूरी दुनिया मे उनके जैसे अंदाज़ से पढ़ने वाला कोई दूसरा नही था.

उन्होंने कहा कि राहत इंदौरी कविसम्मेलन और मुशायरों के बादशाह थे. उनकी शायरी एक उमर के व्यक्ति के लिए आनंद से भरपूर होती थी. वो किसी खास विषय, किसी खास लहजे या किसी खास शीर्षक के शायर नही थे. वो अलग अलग तरह की शायरी करने मे महारत रखते थे. जैसे कोई अदब का गुलदस्ता हो.

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