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पानी की जंग: HC में हरियाणा ने कहा-पानी बर्बाद कर रही केजरीवाल सरकार - delhi highcourt

दिल्ली और हरियाणा के बीच जारी जल विवाद में हरियाणा की ओर से दिल्ली हाईकोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा गया है कि दिल्ली की केजरीवाल सरकार पानी की बर्बादी कर रही है. कहा गया है कि दिल्ली 300 क्यूसेक पानी बर्बाद कर रहा है

दिल्ली कर रहा पानी बर्बाद-हरियाणा
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Published : Mar 14, 2019, 1:40 PM IST

नई दिल्ली: गर्मी का मौसम अभी शुरू भी नहीं हुआ कि दिल्ली-हरियाणा में पानी को लेकर रार शुरू हो गयी है. हरियाणा सरकार ने दिल्ली पर आरोप लगाया है कि लीकेज होने की वजह से 300 क्सूसेक पानी दिल्ली बर्बाद कर रहा है. हाईकोर्ट में दायर अपने हलफनामे में दिल्ली सरकार ने ये बात कही है.

हरियाणा सरकार ने कहा है कि दिल्ली वजीराबाद रिजरवायर में काफी मात्रा में पानी देता है जो कि पानी की बर्बादी है, इसके बावजूद हरियाणा दिल्ली को लगातार पानी देता रहा है. हरियाणा सरकार की ओर से कोर्ट में बताया गया कि दिल्ली के 2017-18 के आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि लीकेज की वजह से ट्रीटेड पानी का 30 फीसदी हिस्सा बर्बाद हो जाता है जिसका मतलब है कि करीब 300 क्यूसेक पानी बर्बाद हो रहा है.

सुनवाई के दौरान दिल्ली जल बोर्ड की ओर से वकील सुमित पुष्कर्णा ने कहा कि दिल्ली सरकार ने जल विवाद को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था जिसके बाद दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों और सचिवों की बैठक प्रस्तावित थी.

पानी विवाद पर हरियाणा का विरोध
दिल्ली सरकार की इस दलील का हरियाणा ने विरोध करते हुए कहा कि दोनों राज्यों के बीच जल विवाद केवल अपर यमुना रिवर बोर्ड से ही सुलझाया जा सकता है. हरियाणा सरकार ने बताया कि उत्तरप्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली सरकार ने 12 मई 1994 को केंद्रीय जलसंसाधन मंत्री के समक्ष हस्ताक्षर कर पानी के अपने हिस्से पर सहमति जताई थी. उस एग्रीमेंट में इन राज्यों ने कहा है कि पानी के बंटवारे को अपर यमुना रिवर बोर्ड सुलझाएगी.

पिछले 5 फरवरी को हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को निर्देश दिया था कि वो यमुना में साफ पानी के रास्ते में आ रही सभी रुकावटों को दूर करें.

हरियाणा सरकार ने हलफनामे में क्या कहा
हरियाणा सरकार ने अपने हलफनामे में कहा है कि डीडी-8 कैनाल में जो बाधाएं लगाई गई हैं वे ये सुनिश्चित करने के लिए लगाई गई हैं कि हरियाणा से जाने वाला प्रदूषण यमुना में न पहुंचे. हरियाणा सरकार ने दिल्ली सरकार के उन आरोपों से इनकार किया जिसमें कहा गया था कि बाधाओं की वजह से यमुना में प्रदूषित पानी आ रहा है.

दिल्ली सबसे ज्यादा प्रदूषण यमुना में डालता है-हरियाणा
हरियाणा सरकार ने कहा है कि दिल्ली में एक हजार मिलियन गैलन प्रतिदिन पानी की जरुरत है. इसमें से 500 मिलियन गैलन अच्छी गुणवत्ता वाला पानी हरियाणा नहरों के जरिये देता है और 440 मिलियन गैलन पानी गंगा और ट्यूबवेल से मिलता है. केवल 60 मिलियन गैलन पानी सीधे यमुना से आता है. यमुना से आने वाले पानी में अमोनिया की मात्रा ज्यादा होती है. हरियाणा ने अपने हलफनामे में कहा है कि यमुना में प्रदूषण की सबसे ज्यादा मात्रा दिल्ली से ही आती है.

29 जनवरी को हाईकोर्ट ने लगाई थी फटकार
पिछले 29 जनवरी को दिल्ली का पानी रोकने पर हरियाणा को दिल्ली हाई कोर्ट ने कड़ी फटकार लगाई थी, हाईकोर्ट ने कहा था कि आप बताएं कि आखिर 30 फीसदी पानी की कटौती क्यों की जा रही है. कोर्ट ने हरियाणा को चेतावनी दी थी कि अगर आगे भी ये सब किया तो हम जांच के लिए हाई लेवल कमेटी का गठन करेंगे.

दिल्ली जल बोर्ड की ओर से वकील दायन कृष्णन और सुमित पुष्कर्णा ने कहा था कि जिस चैनल के जरिये यमुना में पानी आता है उसे हरियाणा ने ब्लॉक कर दिया है जिससे वजीराबाद रिजरवायर में अमोनिया का स्तर 2.2 पीपीएम तक पहुंच गया है. दिल्ली के तीन वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट वजीराबाद, चंद्रावल और ओखला में पानी का उत्पादन 30 से 40% तक कम हो गया है, दूसरे वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट पर भी दबाव बढ़ रहा है.

दिल्ली जल बोर्ड ने याचिका में कहा है कि डीडी-8 चैनल, दिल्ली सब ब्रांच कैनाल (डीएसबीसी) और मुनक नहर से यमुना में पानी डालता है ताकि वजीराबाद रिजरवेयर में हमेशा पानी भरा रहे. लेकिन हरियाणा की ओर से बाधाएं खड़ी करने की वजह से यमुना में पानी की सप्लाई कम हो गई है और प्रदूषण बढ़ गया हैं.

इस याचिका मे कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन किया गया है जिसके मुताबिक दिल्ली में पीने के पानी की जरूरतों के लिए वजीराबाद रिजरवायर को हमेशा भरा रखना है. याचिका में कहा गया है कि अगर पानी के लिए तत्काल दिशानिर्देश जारी नहीं किये गए तो लुटियंस जोन समेत सेंट्रल दिल्ली के कई इलाकों में पानी की आपूर्ति पर असर पड़ेगा.

नई दिल्ली: गर्मी का मौसम अभी शुरू भी नहीं हुआ कि दिल्ली-हरियाणा में पानी को लेकर रार शुरू हो गयी है. हरियाणा सरकार ने दिल्ली पर आरोप लगाया है कि लीकेज होने की वजह से 300 क्सूसेक पानी दिल्ली बर्बाद कर रहा है. हाईकोर्ट में दायर अपने हलफनामे में दिल्ली सरकार ने ये बात कही है.

हरियाणा सरकार ने कहा है कि दिल्ली वजीराबाद रिजरवायर में काफी मात्रा में पानी देता है जो कि पानी की बर्बादी है, इसके बावजूद हरियाणा दिल्ली को लगातार पानी देता रहा है. हरियाणा सरकार की ओर से कोर्ट में बताया गया कि दिल्ली के 2017-18 के आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि लीकेज की वजह से ट्रीटेड पानी का 30 फीसदी हिस्सा बर्बाद हो जाता है जिसका मतलब है कि करीब 300 क्यूसेक पानी बर्बाद हो रहा है.

सुनवाई के दौरान दिल्ली जल बोर्ड की ओर से वकील सुमित पुष्कर्णा ने कहा कि दिल्ली सरकार ने जल विवाद को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था जिसके बाद दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों और सचिवों की बैठक प्रस्तावित थी.

पानी विवाद पर हरियाणा का विरोध
दिल्ली सरकार की इस दलील का हरियाणा ने विरोध करते हुए कहा कि दोनों राज्यों के बीच जल विवाद केवल अपर यमुना रिवर बोर्ड से ही सुलझाया जा सकता है. हरियाणा सरकार ने बताया कि उत्तरप्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली सरकार ने 12 मई 1994 को केंद्रीय जलसंसाधन मंत्री के समक्ष हस्ताक्षर कर पानी के अपने हिस्से पर सहमति जताई थी. उस एग्रीमेंट में इन राज्यों ने कहा है कि पानी के बंटवारे को अपर यमुना रिवर बोर्ड सुलझाएगी.

पिछले 5 फरवरी को हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को निर्देश दिया था कि वो यमुना में साफ पानी के रास्ते में आ रही सभी रुकावटों को दूर करें.

हरियाणा सरकार ने हलफनामे में क्या कहा
हरियाणा सरकार ने अपने हलफनामे में कहा है कि डीडी-8 कैनाल में जो बाधाएं लगाई गई हैं वे ये सुनिश्चित करने के लिए लगाई गई हैं कि हरियाणा से जाने वाला प्रदूषण यमुना में न पहुंचे. हरियाणा सरकार ने दिल्ली सरकार के उन आरोपों से इनकार किया जिसमें कहा गया था कि बाधाओं की वजह से यमुना में प्रदूषित पानी आ रहा है.

दिल्ली सबसे ज्यादा प्रदूषण यमुना में डालता है-हरियाणा
हरियाणा सरकार ने कहा है कि दिल्ली में एक हजार मिलियन गैलन प्रतिदिन पानी की जरुरत है. इसमें से 500 मिलियन गैलन अच्छी गुणवत्ता वाला पानी हरियाणा नहरों के जरिये देता है और 440 मिलियन गैलन पानी गंगा और ट्यूबवेल से मिलता है. केवल 60 मिलियन गैलन पानी सीधे यमुना से आता है. यमुना से आने वाले पानी में अमोनिया की मात्रा ज्यादा होती है. हरियाणा ने अपने हलफनामे में कहा है कि यमुना में प्रदूषण की सबसे ज्यादा मात्रा दिल्ली से ही आती है.

29 जनवरी को हाईकोर्ट ने लगाई थी फटकार
पिछले 29 जनवरी को दिल्ली का पानी रोकने पर हरियाणा को दिल्ली हाई कोर्ट ने कड़ी फटकार लगाई थी, हाईकोर्ट ने कहा था कि आप बताएं कि आखिर 30 फीसदी पानी की कटौती क्यों की जा रही है. कोर्ट ने हरियाणा को चेतावनी दी थी कि अगर आगे भी ये सब किया तो हम जांच के लिए हाई लेवल कमेटी का गठन करेंगे.

दिल्ली जल बोर्ड की ओर से वकील दायन कृष्णन और सुमित पुष्कर्णा ने कहा था कि जिस चैनल के जरिये यमुना में पानी आता है उसे हरियाणा ने ब्लॉक कर दिया है जिससे वजीराबाद रिजरवायर में अमोनिया का स्तर 2.2 पीपीएम तक पहुंच गया है. दिल्ली के तीन वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट वजीराबाद, चंद्रावल और ओखला में पानी का उत्पादन 30 से 40% तक कम हो गया है, दूसरे वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट पर भी दबाव बढ़ रहा है.

दिल्ली जल बोर्ड ने याचिका में कहा है कि डीडी-8 चैनल, दिल्ली सब ब्रांच कैनाल (डीएसबीसी) और मुनक नहर से यमुना में पानी डालता है ताकि वजीराबाद रिजरवेयर में हमेशा पानी भरा रहे. लेकिन हरियाणा की ओर से बाधाएं खड़ी करने की वजह से यमुना में पानी की सप्लाई कम हो गई है और प्रदूषण बढ़ गया हैं.

इस याचिका मे कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन किया गया है जिसके मुताबिक दिल्ली में पीने के पानी की जरूरतों के लिए वजीराबाद रिजरवायर को हमेशा भरा रखना है. याचिका में कहा गया है कि अगर पानी के लिए तत्काल दिशानिर्देश जारी नहीं किये गए तो लुटियंस जोन समेत सेंट्रल दिल्ली के कई इलाकों में पानी की आपूर्ति पर असर पड़ेगा.

Intro:नई दिल्ली। हरियाणा सरकार ने आरोप लगाया है कि दिल्ली में लीकेज होने की वजह से करीब 300 क्युसेक पानी बर्बाद कर देता है। हरियाणा सरकार ने हाईकोर्ट में दायर अपने हलफनामे में ये बातें कही हैं।


Body:हरियाणा सरकार ने कहा है कि दिल्ली वजीराबाद रिजर्वायर में काफी मात्रा में पानी देता है जो कि पानी की बर्बादी है। इसके बावजूद हरियाणा दिल्ली को लगातार पानी देता रहा है। हरियाणा सरकार ने कहा है कि दिल्ली के 2017-18 के आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि लीकेज की वजह से ट्रीटेड पानी का 30 फीसदी हिस्सा बर्बाद हो जाता है जिसका मतलब है कि करीब 300 क्युसेक पानी बर्बाद हो रहा है।

सुनवाई के दौरान दिल्ली जल बोर्ड की ओर से वकील सुमित पुष्कर्णा ने कहा कि दिल्ली सरकार ने जल विवाद को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था जिसके बाद दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों सचिवों की बैठक प्रस्तावित थी। दिल्ली सरकार की इस दलील का हरियाणा ने विरोध करते हुए कहा कि दोनों राज्यों के बीच जल विवाद केवल अपर यमुना रिवर बोर्ड से ही सुलझाया जा सकता है। हरियाणा सरकार ने बताया कि उत्तरप्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली सरकार ने 12 मई 1994 को केंद्रीय जलसंसाधन मंत्री के समक्ष हस्ताक्षर कर पानी के अपने हिस्से पर सहमति जताई थी। उस एग्रीमेंट में इन राज्यों ने कहा है कि पानी के बंटवारे को अपर यमुना रिवर बोर्ड सुलझाएगी।

पिछले 5 फरवरी को हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को निर्देश दिया था कि वो यमुना में साफ पानी के रास्ते में आ रही सभी रुकावटों को दूर करें।

हरियाणा सरकार ने अपने हलफनामे में कहा है कि डीडी-8 कैनाल में जो बाधाएं लगाई गई हैं वे ये सुनिश्चित करने के लिए लगाई गई हैं कि हरियाणा से जाने वाली पानी का प्रदूषण यमुना में न पहुंचे। हरियाणा सरकार ने दिल्ली सरकार के उन आरोपों से इनकार किया जिसमें कहा गया था कि बाधाओं की वजह से यमुना में प्रदूषित पानी आ रहा है। हरियाणा सरकार ने कहा है कि दिल्ली में एक हजार मिलीयन गैलन प्रतिदिन पानी की जरुरत है। इसमें से 500 मिलीयन गैलन अच्छी गुणवत्ता वाला पानी हरियाणा नहरों के जरिये देता है और 440 मिलीयन गैलन पानी गंगा और ट्यूबवेल से मिलता है । केवल 60 मिलीयन गैलन पानी सीधे यमुना से आता है। यमुना से आनेवाले पानी में अमोनिया का मात्रा ज्यादा होती है। हरियाणा ने अपने हलफनामे में कहा है कि यमुना में प्रदूषण की सबसे ज्यादा मात्रा दिल्ली से ही आती है।

पिछले 29 जनवरी को दिल्ली का पानी रोकने पर हरियाणा को दिल्ली हाई कोर्ट ने कड़ी फटकार लगाई थी। हाईकोर्ट ने कहा था कि आप बताएं कि आखिर 30 फ़ीसदी पानी की कटौती क्यों की जा रही है। कोर्ट ने हरियाणा को चेतावनी दी थी कि अगर आगे भी ये सब किया तो हम जांच के लिए हाई लेवल कमेटी का गठन करेंगे।

दिल्ली जल बोर्ड की ओर से वकील दायन कृष्णन और सुमित पुष्कर्णा ने कहा था कि जिस चैनल के जरिये यमुना में पानी आता है उसे हरियाणा ने ब्लॉक कर दिया है जिससे वजीराबाद रिजरवायर में अमोनिया का स्तर 2.2 पीपीएम तक पहुंच गया है। दिल्ली के तीन वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट वजीराबाद, चंद्रावल और ओखला में पानी का उत्पादन 30 से 40 पर्सेंट तक कम हो गया है। दूसरे वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट पर भी दबाव बढ़ रहा है।


Conclusion:दिल्ली जब बोर्ड ने याचिका में कहा है कि डीडी-8 चैनल, दिल्ली सब ब्रांच कैनाल (डीएसबीसी) और मुनक नहर से यमुना में पानी डालता है ताकि वजीराबाद रिजरवेयर में हमेशा पानी भरा रहे। लेकिन हरियाणा की ओर से बाधाएं खड़ी करने की वजह से यमुना में पानी की सप्लाई कम हो गई है और प्रदूषण बढ़ गए हैं। याचिका मे कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन किया गया है जिसके मुताबिक दिल्ली में पीने के पानी की जरूरतों के लिए वजीराबाद रिजवायर को हमेशा भरा रखना है। याचिका में कहा गया है कि अगर पानी के लिए तत्काल दिशानिर्देश जारी नहीं किया गया तो लुटियंस जोन समेत सेंट्रल दिल्ली के कई इलाकों में पानी की आपूर्ति पर असर पड़ेगा।
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