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LG vs Delhi Govt: सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से दिल्ली सरकार में खुशी, जानें क्या बोले दिल्ली के पूर्व मुख्य सचिव - केंद्र बनाम दिल्ली सरकार विवाद

सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद दिल्ली सरकार के पूर्व मुख्य सचिव ओमेश सहगल और सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता अशोक अग्रवाल ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला अंतिम फैसला है. अब जो भी फाइलें आएंगी वह मुख्यमंत्री के पास जाएंगी और मुख्यमंत्री भी उन फाइलों को देखकर निर्णय ले सकेंगे.

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Published : May 11, 2023, 2:34 PM IST

नई दिल्लीः दिल्ली मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दिल्ली सरकार के पूर्व मुख्य सचिव ओमेश सहगल और सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता अशोक अग्रवाल ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि इस निर्णय के बाद से अब प्रशासनिक अधिकारियों का नियंत्रण दिल्ली सरकार के हाथ में आ गया है. सुप्रीम कोर्ट का फैसला है, इसलिए यह अंतिम है. इसमें अब कुछ बदलाव नहीं हो सकता है. इस फैसले के बाद से जो फाइलें दिल्ली सरकार के पास न आकर सीधे उपराज्यपाल के पास चली जाती थीं. वो अब सीएम के पास जाएंगी.

ओमेश सहगल ने बताया कि चूंकि दिल्ली पूर्ण राज्य नहीं है, इसलिए अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार राष्ट्रपति के पास होता है, क्योंकि आईएएस अधिकारियों की नियुक्ति का अधिकार भी केंद्र सरकार और राष्ट्रपति के पास होता है. जबकि जो पूर्ण राज्य होते हैं उनमें राज्य लोक सेवा आयोग से भर्ती होने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार राज्य सरकार के पास होता है. यह नियम पहले से ही है कि जो भी जिसकी नियुक्ति करेगा उसके खिलाफ कार्रवाई का अधिकार भी उसी के पास होगा.

अब सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के लिखित आदेश में यह भी देखना बाकी है कि क्या सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का भी अधिकार दिल्ली सरकार को दिया है या अधिकारियों की भर्ती के लिए दिल्ली सरकार भी अपना दिल्ली राज्य लोक सेवा आयोग बना सकती है.सहगल ने यह भी बताया कि केंद्र सरकार संसद में कानून लाकर सुप्रीम कोर्ट के किसी भी निर्णय को बदल सकती है. केंद्र शासित प्रदेश के किसी भी कानून को केंद्र सरकार बदल सकती है. बता दें कि उपराज्यपाल दिल्ली सरकार की कैबिनेट के अब सारे निर्णय मानने के लिए बाध्य होंगे. सुप्रीम कोर्ट ने यह बात भी अपने फैसले में कही है.

ये भी पढ़ें: Delhi Crime News: सीलमपुर में हुई फायरिंग का वीडियो आया सामने, तीन आरोपी गिरफ्तार

वहीं, सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक अग्रवाल कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से अधिकारियों की दुविधा भी दूर होगी. अभी तक अधिकारी उपराज्यपाल औऱ दिल्ली सरकार के बीच की खींचतान में कई बार खुलकर काम नहीं कर पाते थे. अब यह निर्णय आने से दिल्ली सरकार भी अधिकारियों को निर्देश दे सकेगी और सही काम न करने पर उनका ट्रांसफर और पोस्टिंग कर सकेगी. चुनी हुई सरकार के पास इतना अधिकार तो होना ही चाहिए. पहले अधिकारी सीधे राज्यपाल को रिपोर्ट करते थे. दिल्ली सरकार की बात कम सुनते थे, जिससे दिल्ली सरकार का कामकाज भी प्रभावित होता था. अब दिल्ली सरकार भी अधिकारियों से खुलकर काम करा सकेगी. साथ ही उपराज्यपाल अब जल्दी से किसी फाइल को नहीं रोक सकेंगे.
ये भी पढ़ें: Centre Vs Delhi Govt Dispute : दिल्ली मामले पर SC का फैसला, चुनी हुई सरकार के पास अधिकारियों की तैनाती का अधिकार

नई दिल्लीः दिल्ली मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दिल्ली सरकार के पूर्व मुख्य सचिव ओमेश सहगल और सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता अशोक अग्रवाल ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि इस निर्णय के बाद से अब प्रशासनिक अधिकारियों का नियंत्रण दिल्ली सरकार के हाथ में आ गया है. सुप्रीम कोर्ट का फैसला है, इसलिए यह अंतिम है. इसमें अब कुछ बदलाव नहीं हो सकता है. इस फैसले के बाद से जो फाइलें दिल्ली सरकार के पास न आकर सीधे उपराज्यपाल के पास चली जाती थीं. वो अब सीएम के पास जाएंगी.

ओमेश सहगल ने बताया कि चूंकि दिल्ली पूर्ण राज्य नहीं है, इसलिए अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार राष्ट्रपति के पास होता है, क्योंकि आईएएस अधिकारियों की नियुक्ति का अधिकार भी केंद्र सरकार और राष्ट्रपति के पास होता है. जबकि जो पूर्ण राज्य होते हैं उनमें राज्य लोक सेवा आयोग से भर्ती होने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार राज्य सरकार के पास होता है. यह नियम पहले से ही है कि जो भी जिसकी नियुक्ति करेगा उसके खिलाफ कार्रवाई का अधिकार भी उसी के पास होगा.

अब सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के लिखित आदेश में यह भी देखना बाकी है कि क्या सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का भी अधिकार दिल्ली सरकार को दिया है या अधिकारियों की भर्ती के लिए दिल्ली सरकार भी अपना दिल्ली राज्य लोक सेवा आयोग बना सकती है.सहगल ने यह भी बताया कि केंद्र सरकार संसद में कानून लाकर सुप्रीम कोर्ट के किसी भी निर्णय को बदल सकती है. केंद्र शासित प्रदेश के किसी भी कानून को केंद्र सरकार बदल सकती है. बता दें कि उपराज्यपाल दिल्ली सरकार की कैबिनेट के अब सारे निर्णय मानने के लिए बाध्य होंगे. सुप्रीम कोर्ट ने यह बात भी अपने फैसले में कही है.

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वहीं, सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक अग्रवाल कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से अधिकारियों की दुविधा भी दूर होगी. अभी तक अधिकारी उपराज्यपाल औऱ दिल्ली सरकार के बीच की खींचतान में कई बार खुलकर काम नहीं कर पाते थे. अब यह निर्णय आने से दिल्ली सरकार भी अधिकारियों को निर्देश दे सकेगी और सही काम न करने पर उनका ट्रांसफर और पोस्टिंग कर सकेगी. चुनी हुई सरकार के पास इतना अधिकार तो होना ही चाहिए. पहले अधिकारी सीधे राज्यपाल को रिपोर्ट करते थे. दिल्ली सरकार की बात कम सुनते थे, जिससे दिल्ली सरकार का कामकाज भी प्रभावित होता था. अब दिल्ली सरकार भी अधिकारियों से खुलकर काम करा सकेगी. साथ ही उपराज्यपाल अब जल्दी से किसी फाइल को नहीं रोक सकेंगे.
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