नई दिल्लीः दिल्ली मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दिल्ली सरकार के पूर्व मुख्य सचिव ओमेश सहगल और सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता अशोक अग्रवाल ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि इस निर्णय के बाद से अब प्रशासनिक अधिकारियों का नियंत्रण दिल्ली सरकार के हाथ में आ गया है. सुप्रीम कोर्ट का फैसला है, इसलिए यह अंतिम है. इसमें अब कुछ बदलाव नहीं हो सकता है. इस फैसले के बाद से जो फाइलें दिल्ली सरकार के पास न आकर सीधे उपराज्यपाल के पास चली जाती थीं. वो अब सीएम के पास जाएंगी.
ओमेश सहगल ने बताया कि चूंकि दिल्ली पूर्ण राज्य नहीं है, इसलिए अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार राष्ट्रपति के पास होता है, क्योंकि आईएएस अधिकारियों की नियुक्ति का अधिकार भी केंद्र सरकार और राष्ट्रपति के पास होता है. जबकि जो पूर्ण राज्य होते हैं उनमें राज्य लोक सेवा आयोग से भर्ती होने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार राज्य सरकार के पास होता है. यह नियम पहले से ही है कि जो भी जिसकी नियुक्ति करेगा उसके खिलाफ कार्रवाई का अधिकार भी उसी के पास होगा.
अब सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के लिखित आदेश में यह भी देखना बाकी है कि क्या सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का भी अधिकार दिल्ली सरकार को दिया है या अधिकारियों की भर्ती के लिए दिल्ली सरकार भी अपना दिल्ली राज्य लोक सेवा आयोग बना सकती है.सहगल ने यह भी बताया कि केंद्र सरकार संसद में कानून लाकर सुप्रीम कोर्ट के किसी भी निर्णय को बदल सकती है. केंद्र शासित प्रदेश के किसी भी कानून को केंद्र सरकार बदल सकती है. बता दें कि उपराज्यपाल दिल्ली सरकार की कैबिनेट के अब सारे निर्णय मानने के लिए बाध्य होंगे. सुप्रीम कोर्ट ने यह बात भी अपने फैसले में कही है.
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वहीं, सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक अग्रवाल कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से अधिकारियों की दुविधा भी दूर होगी. अभी तक अधिकारी उपराज्यपाल औऱ दिल्ली सरकार के बीच की खींचतान में कई बार खुलकर काम नहीं कर पाते थे. अब यह निर्णय आने से दिल्ली सरकार भी अधिकारियों को निर्देश दे सकेगी और सही काम न करने पर उनका ट्रांसफर और पोस्टिंग कर सकेगी. चुनी हुई सरकार के पास इतना अधिकार तो होना ही चाहिए. पहले अधिकारी सीधे राज्यपाल को रिपोर्ट करते थे. दिल्ली सरकार की बात कम सुनते थे, जिससे दिल्ली सरकार का कामकाज भी प्रभावित होता था. अब दिल्ली सरकार भी अधिकारियों से खुलकर काम करा सकेगी. साथ ही उपराज्यपाल अब जल्दी से किसी फाइल को नहीं रोक सकेंगे.
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