नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में लोग स्वच्छ हवा में सांस ले सकें और बीमारियों से दूर रह सकें, इसके लिए सरकार और एजेंसियां सजग हैं. वहीं, राष्ट्रीय राजधानी को विलायती कीकर से मुक्त करने के लिए कई स्तर पर विभिन्न प्रकार के परियोजनाएं चल रही हैं. इनमें सबसे प्रमुख परियोजना है विलायती कीकर की जगह देशज प्रजातियों के पेड़-पौधे लगाने की.
बारापुला सूर्यघड़ी के पास यमुना खादर में यह काम काफी तेजी से किया जा रहा है. यहां दो एकड़ में एक ऐसा पार्क बनाया जा रहा है, जिसमें यमुना खादर की मूल प्रजातियों वाले पेड़-पौधे ही लगाए जाएंगे. इससे दिल्ली के पर्यावरण को उसका अपना स्वरूप तो मिलेगा ही. इसके साथ ही दिल्ली वालों को साफ हवा भी मिल सकेगी.
प्रिंसिपल साइंटिफिक एडवाजर (PSA) टू द गवर्नमेंट आफ इंडिया भी इस पर काम कर रही है. पीएसए ने मरुवन फाउंडेशन और डीडीए के साथ मिलकर साल 2018 में इस पर काम शुरू किया था. जहां यह पार्क विकसित किया जा रहा है, वहां पहले कीकर के पड़े और नाले का पानी भरा होता था. अब यहां पर देशज प्रजातियों के पौधे लगाए जा रहे हैं.
जानकारी के अनुसार, चार हजार से ज्यादा पौधे लगाए जा चुके हैं. ये पौधे बढ़कर अब बड़े पेड़ बन चुके हैं. लोग इनकी छांव में बैठकर ताजा हवा को महसूस कर सकते हैं. प्रोजेक्ट से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि इस प्रोजेक्ट के सफल होने के बाद राजधानी में अन्य जगहों पर भी इस तरह के छोटे व घने जंगल विकसित किए जायेंगे.
मरुवन फाउंडेशन ने बताया कि राजधानी में देसी पेड़ों का जंगल तैयार करने के लिए यह प्रोजेक्ट शुरू किया गया है. साल-2018 में दिल्ली विकास प्राधिकरण ने ट्रायल के रूप में यहां पर पौधे लगाने की अनुमति दी थी. तब 750 वर्ग-मीटर भूमि में 2214 पौधे लगाए गए थेस जो आज बड़े पेड़ का रूप ले लिया हैं. ये सभी पेड़ भारत के यानि (देशज) है. जिस वजह से इसका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं है. इनमें पलाश, बेलपत्र, देसी बबूल, कैम (कृष्ण कदम), अडूसा, खाबर (यह सिर्फ खादर में पाया जाता है), तीन प्रजातियों के वेटी वेयर, महुआ, अर्जुन, झाऊ, जामुन, गुग्गल, चित्रक गूलर, बकैन, झाऊ, फराश, ढाक, मिस्वाक, कांस घास सफेद सिरस, गम्हर समेत औषधीय गुण वाले तमाम पेड़ और लताएं शामिल हैं.
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इस प्रयोग की सफलता के बाद ही दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने यहां पर 2 एकड़ जमीन में पार्क विकसित करने की अनुमति दी है. इस प्रायोगिक जंगल में बड़े, छोटे, लता वाले कई तरह के पौधे लगाए गए थे. अब यहां एक बहुस्तरीय जंगल (layered forest) तैयार हो गया है. इसमें बड़े पेड़ों की पांच, सपोर्टिंग कटेगरी की 13 और छोटे पौधों की 26 प्रजातियां लगाई गई थीं. अब यहां यह भी व्यवस्था की जा रही है कि लोग आकर मनोरंजन व शुद्ध ताजा हवा के साथ ही प्रकृति व देशज पेड़-पौधों के बारे में ज्ञानवर्धक जानकारियां भी हासिल कर सकेंगे. साथ ही पार्क में 50 देशज प्रजाति के पेड़ लगाए जाएंगे.
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