नई दिल्ली: भारतीय कुश्ती संघ के गुरुवार को संपन्न हुए. इसमें जहां संजय सिंह को कुश्ती संघ का अध्यक्ष चुना गया, वहीं दिल्ली कुश्ती संघ के अध्यक्ष जयप्रकाश को भारतीय कुश्ती संघ का उपाध्यक्ष चुना गया है. वह खुद भी पहलवान रहे हैं और उन्होंने ओलंपिक में भी भारत का प्रतिनिधित्व किया है. उनके पिता जसराम भी पहलवान थे और जसोला विहार में अखाड़ा भी चलाते थे.
भारतीय कुश्ती संघ के उपाध्यक्ष चुने जाने पर ईटीवी भारत ने उनसे खास बातचीत की. इस दौरान कामकाज में प्राथमिकता के प्रश्न पर जयप्रकाश ने कहा कि उनकी प्राथमिकता रहेगी कि संघ में कुश्ती से संबंधित जो काम काफी समय से रुके हुए हैं उन्हें पूरा किया जाए. साथ ही पहलवानों के लिए ट्रायल शुरू कराए जाने पर भी जोर रहेगा. इसके अलावा राज्य और राष्ट्र स्तरीय जो प्रतियोगिताएं नहीं हो रही थी, उन्हें शुरू कराया जाए और पहलवानों को खेलने का मौका दिया जाए.
करेंगे और मेहनत: उन्होंने कहा कि हम पहले भी कुश्ती के लिए काम कर रहे थे. अब हम अब और ज्यादा काम करेंगे, जिससे पिछले काफी समय से कोई प्रतियोगिता न होने से जो पहलवान परेशान हुए हैं, उनकी परेशानी दूर की जा सके. जयप्रकाश को भी बृजभूषण शरण सिंह का करीबी माना जाता है. ऐसे में तमाम विरोध के बावजूद चुनाव में पूरे पैनल के जीत दर्ज करने पर जयप्रकाश ने कहा कि सच्चाई की हमेशा जीत होती है.
दिल्ली के लोग जानते हैं कितना काम किया: वहीं, पहलवानों के लिए किए गए काम के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह तो दिल्ली के लोग ही बता सकते हैं कि मैंने कुश्ती के लिए दिल्ली में कितना काम किया है. मेरे अखाड़े से निकले हुए कई पहलवान हैं जो राज्य और राष्ट्र स्तर पर कुश्ती लड़ रहे हैं. गौरतलब है कि अगस्त माह में भारतीय कुश्ती संघ के होने वाले चुनाव के समय, जयप्रकाश ने बृजभूषण शरण सिंह के कहने पर ही अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और महासचिव तीन पदों के लिए नामांकन किया था. लेकिन नाम वापसी के समय उन्होंने अध्यक्ष और महासचिव पद से अपना नाम वापस ले लिया था.
खेल चुके हैं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर: उन्होंने बताया कि वह 1984 के ओलंपिक में खेल चुके हैं. साथ ही 1982 के कॉमनवेल्थ गेम्स, एशियन गेम्स और साउथ एशियन गेम्स में पदक विजेता भी रह चुके हैं. साथ ही हिंद केसरी और भारत केसरी भी रहे हैं. उन्होंने यह भी बताया कि जब वह अपने समय में पहलवानी करते थे तो पहलवानों के लिए उतनी सुविधा नहीं मिलती थी. ओलंपिक खेलने के जुनून ने संसाधनों की कमी को उनके आड़े नहीं आने दिया और उन्होंने ओलंपिक तक का सफर तय किया.
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उपाध्यक्ष पद के लिए थे पांच प्रत्याशी: इसके बाद आठ अगस्त में कुश्ती संघ के चुनाव के लिए जारी हुई उम्मीदवारों की अंतिम सूची में वे सिर्फ उपाध्यक्ष पद के प्रत्याशी रह गए थे. उस समय उपाध्यक्ष के चार पदों के लिए कुल पांच प्रत्याशी मैदान में बचे थे. हालांकि उस वक्त चुनाव पर कोर्ट की ओर से मतदाता सूची में कुछ अनियमितता की शिकायत पर रोक लगा दी गई थी, जिसके चलते चुनाव टल गए थे. अब जब चुनाव संपन्न हुए तो जयप्रकाश ने उपाध्यक्ष पद पर जीत दर्ज की है.
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