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दिल्ली हिंसा: फैसल को मिली जमानत, पुलिस की याचिका पर जवाब देने का मिला समय - दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली दंगों के आरोपी राजधानी स्कूल के मालिक फैसल फारुख को मिली जमानत के खिलाफ दिल्ली पुलिस की याचिका पर फैसल फारुख को जवाब देने के लिए समय दे दिया गया है.

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Published : Jun 23, 2020, 6:10 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली के दंगों से जुड़े शिव विहार के राजधानी स्कूल के मालिक फैसल फारुख को मिली जमानत के खिलाफ दिल्ली पुलिस की याचिका पर फैसल फारुख को जवाब देने के लिए समय दे दिया है. जस्टिस सुरेश कुमार कैत ने फैसल को 1 जुलाई तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है.

पुलिस की याचिका पर जवाब देने का मिला समय
दूसरे मामले में हिरासत में लिया गया

फैसल फारुख की ओर से पेश वकील रमेश गुप्ता ने कहा कि फैसल फारुख को कल यानि 22 जून को हिंसा के दूसरे मामले में हिरासत में ले लिया गया है. रमेश गुप्ता ने पुलिस की ओर से दायर याचिका पर जवाब देने के लिए समय की मांग की. जिसके बाद कोर्ट ने 1 जुलाई तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया.


'ट्रायल कोर्ट का फैसला सही नहीं'

दिल्ली पुलिस की ओर से एएसजी अमन लेखी ने कहा कि ट्रायल कोर्ट की ओर से जमानत देने का फैसला सही नहीं है. इसलिए उस आदेश को निरस्त किया जाना चाहिए. पिछले 22 जून को कोर्ट ने फैसल फारुख को नोटिस जारी किया था. सुनवाई के दौरान जब दिल्ली पुलिस की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए थे तो दिल्ली पुलिस की क्राइम की ओर से हमेशा पेश होने वाले वकील राहुल मेहरा ने उनका विरोध किया था. इसके बाद तुषार मेहता ने इस केस से अपना नाम वापस ले लिया. उसके बाद एएसजी अमन लेखी और स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर अमित चड्ढा पेश हुए और इस मामले पर सुनवाई स्थगित करने की मांग की.


कड़कड़डूमा कोर्ट ने जमानत दिया था

पिछले 20 जून को कड़कड़डूमा कोर्ट ने फैसल फारुख को जमानत दे दिया था. एडिशनल सेशंस जज विनोद यादव ने फैसल को जमानत देते हुए कहा था कि चार्जशीट से ये कहीं प्रमाणित नहीं होता है कि आरोपी के पोपुलर फ्रंट, पिंजरा तोड़ या दूसरे मुस्लिम धर्मगुरुओं के संपर्क में था.


गवाहों के बयानों में काफी विरोधाभास

कोर्ट ने कहा था कि प्रथम दृष्टया ये कहीं से प्रमाणित नहीं होता है कि आरोपी घटना के वक्त घटनास्थल पर मौजूद था. कोर्ट ने कहा था कि गवाहों के बयानों में काफी विरोधाभास है. जांच अधिकारी ने इस मामले में पूरक चार्जशीट दाखिल करने की कोशिश की है ताकि कमियों को छिपाया जा सके. कोर्ट ने कहा था कि गवाह का पहला बयान 8 मार्च को दर्ज किया गया था. उस बयान में उसने कहा था कि उसने फैसल को घटना वाले दिन राजधानी स्कूल के गेट पर दिन में डेढ़ बजे के करीब देखा था. गवाह ने मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के समक्ष 11 मार्च को दिए बयान में कहा था कि उसने आरोपी फैसल को घटनास्थल पर देखने के बारे में एक शब्द नहीं बोला. उसके बाद जांच अधिकारी ने एक पूरक चार्जशीट दाखिल किया और कहा कि गवाह मेट्रोपोलिटन मजिसट्रेट के समक्ष डर गया था जिसकी वजह से आरोपी को देखने के बारे में कुछ नहीं बोला.


घटनास्थल पर होने का सबूत नहीं

कोर्ट ने कहा था कि चार्जशीट में ये स्कूल के छत पर गुलेल होने की बात कही गई है लेकिन वो गुलेल घटना के 16 दिनों के बाद पाया गया था. अगर आरोपी का घटनास्थल पर होना प्रमाणित नहीं किया जा सकता है तो उससे गुलेल कैसे जोड़ा जा सकता है. सुनवाई के दौरान फैसल की ओर से वकील आरके कोचर, गौरव कोचर और गौरव वशिष्ठ ने कहा कि आरोपी के खिलाफ ऐसा कोई ठोस सबूत नहीं है कि वो घटनास्थल पर मौजूद था.


3 जून को चार्जशीट दाखिल किया था

पिछले 3 जून को दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने फैसल फारुख के खिलाफ कड़कड़डूमा कोर्ट में चार्जशीट दाखिल किया था. चार्जशीट में दंगा फैलाने, आपराधिक साजिश, डकैती, समूहों के बीच वैमनस्य फैलाने और आर्म्स ऐक्ट की धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं. चार्जशीट में फारुख के खिलाफ स्कूल और स्कूल के आसपास दंगे का साजिश रचने और उसे भड़काने का आरोप लगाया गया है. चार्जशीट में कहा गया है कि फारुख के निर्देश पर ही भीड़ ने राजधानी स्कूल के बगल वाले और विरोधी डीआरपी स्कूल के अलावा अनिल स्वीट्स के पार्किंग स्थल को जानबूझकर नष्ट किया गया. इस तथ्य के समर्थन में डीआरपी स्कूल के गार्ड के अलावा खुद राजधानी स्कूल के गार्ड ने भी अपने बयान दर्ज कराए हैं.



पॉपुलर फ्रंट, पिंजरा तोड़ संगठन से संबंध

चार्जशीट में कहा गया है कि दंगाईयों ने राजधानी स्कूल के बालकनी से रस्सी का सहारा लेकर डीआरपी स्कूल के परिसर में उतरे. उसके बाद भीड़ ने डीआरपी स्कूल को आग लगा दिया. भीड़ ने डीआरपी स्कूल के कंप्यूटर और दूसरी बहुमूल्य वस्तुएं लूट ली. इस बात की सूचना डीआरपी स्कूल के संचालक ने पुलिस को दी थी. चार्जशीट में कहा गया है कि फारुख के कॉल डिटेस से पता चलता है कि उसके संबंध पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया, पिंजरा तोड़ संगठन, जामिया कोआर्डिनेशन कमेटी और हजरत निजामुद्दीन मरकज के प्रमुख सदस्यों से हैं. चार्जशीट में कहा गया है कि अनिल स्वीट्स पर काम करनेवाले दिलबाग नेगी दुकान में फंस गया था और उसे जलाकर मार दिया गया. पुलिस ने उसके मृत शरीर को बरामद किया था. इस मामले में फारुख के साथ 8 लोगों को गिरफ्तार किया गया था.

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली के दंगों से जुड़े शिव विहार के राजधानी स्कूल के मालिक फैसल फारुख को मिली जमानत के खिलाफ दिल्ली पुलिस की याचिका पर फैसल फारुख को जवाब देने के लिए समय दे दिया है. जस्टिस सुरेश कुमार कैत ने फैसल को 1 जुलाई तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है.

पुलिस की याचिका पर जवाब देने का मिला समय
दूसरे मामले में हिरासत में लिया गया

फैसल फारुख की ओर से पेश वकील रमेश गुप्ता ने कहा कि फैसल फारुख को कल यानि 22 जून को हिंसा के दूसरे मामले में हिरासत में ले लिया गया है. रमेश गुप्ता ने पुलिस की ओर से दायर याचिका पर जवाब देने के लिए समय की मांग की. जिसके बाद कोर्ट ने 1 जुलाई तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया.


'ट्रायल कोर्ट का फैसला सही नहीं'

दिल्ली पुलिस की ओर से एएसजी अमन लेखी ने कहा कि ट्रायल कोर्ट की ओर से जमानत देने का फैसला सही नहीं है. इसलिए उस आदेश को निरस्त किया जाना चाहिए. पिछले 22 जून को कोर्ट ने फैसल फारुख को नोटिस जारी किया था. सुनवाई के दौरान जब दिल्ली पुलिस की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए थे तो दिल्ली पुलिस की क्राइम की ओर से हमेशा पेश होने वाले वकील राहुल मेहरा ने उनका विरोध किया था. इसके बाद तुषार मेहता ने इस केस से अपना नाम वापस ले लिया. उसके बाद एएसजी अमन लेखी और स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर अमित चड्ढा पेश हुए और इस मामले पर सुनवाई स्थगित करने की मांग की.


कड़कड़डूमा कोर्ट ने जमानत दिया था

पिछले 20 जून को कड़कड़डूमा कोर्ट ने फैसल फारुख को जमानत दे दिया था. एडिशनल सेशंस जज विनोद यादव ने फैसल को जमानत देते हुए कहा था कि चार्जशीट से ये कहीं प्रमाणित नहीं होता है कि आरोपी के पोपुलर फ्रंट, पिंजरा तोड़ या दूसरे मुस्लिम धर्मगुरुओं के संपर्क में था.


गवाहों के बयानों में काफी विरोधाभास

कोर्ट ने कहा था कि प्रथम दृष्टया ये कहीं से प्रमाणित नहीं होता है कि आरोपी घटना के वक्त घटनास्थल पर मौजूद था. कोर्ट ने कहा था कि गवाहों के बयानों में काफी विरोधाभास है. जांच अधिकारी ने इस मामले में पूरक चार्जशीट दाखिल करने की कोशिश की है ताकि कमियों को छिपाया जा सके. कोर्ट ने कहा था कि गवाह का पहला बयान 8 मार्च को दर्ज किया गया था. उस बयान में उसने कहा था कि उसने फैसल को घटना वाले दिन राजधानी स्कूल के गेट पर दिन में डेढ़ बजे के करीब देखा था. गवाह ने मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के समक्ष 11 मार्च को दिए बयान में कहा था कि उसने आरोपी फैसल को घटनास्थल पर देखने के बारे में एक शब्द नहीं बोला. उसके बाद जांच अधिकारी ने एक पूरक चार्जशीट दाखिल किया और कहा कि गवाह मेट्रोपोलिटन मजिसट्रेट के समक्ष डर गया था जिसकी वजह से आरोपी को देखने के बारे में कुछ नहीं बोला.


घटनास्थल पर होने का सबूत नहीं

कोर्ट ने कहा था कि चार्जशीट में ये स्कूल के छत पर गुलेल होने की बात कही गई है लेकिन वो गुलेल घटना के 16 दिनों के बाद पाया गया था. अगर आरोपी का घटनास्थल पर होना प्रमाणित नहीं किया जा सकता है तो उससे गुलेल कैसे जोड़ा जा सकता है. सुनवाई के दौरान फैसल की ओर से वकील आरके कोचर, गौरव कोचर और गौरव वशिष्ठ ने कहा कि आरोपी के खिलाफ ऐसा कोई ठोस सबूत नहीं है कि वो घटनास्थल पर मौजूद था.


3 जून को चार्जशीट दाखिल किया था

पिछले 3 जून को दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने फैसल फारुख के खिलाफ कड़कड़डूमा कोर्ट में चार्जशीट दाखिल किया था. चार्जशीट में दंगा फैलाने, आपराधिक साजिश, डकैती, समूहों के बीच वैमनस्य फैलाने और आर्म्स ऐक्ट की धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं. चार्जशीट में फारुख के खिलाफ स्कूल और स्कूल के आसपास दंगे का साजिश रचने और उसे भड़काने का आरोप लगाया गया है. चार्जशीट में कहा गया है कि फारुख के निर्देश पर ही भीड़ ने राजधानी स्कूल के बगल वाले और विरोधी डीआरपी स्कूल के अलावा अनिल स्वीट्स के पार्किंग स्थल को जानबूझकर नष्ट किया गया. इस तथ्य के समर्थन में डीआरपी स्कूल के गार्ड के अलावा खुद राजधानी स्कूल के गार्ड ने भी अपने बयान दर्ज कराए हैं.



पॉपुलर फ्रंट, पिंजरा तोड़ संगठन से संबंध

चार्जशीट में कहा गया है कि दंगाईयों ने राजधानी स्कूल के बालकनी से रस्सी का सहारा लेकर डीआरपी स्कूल के परिसर में उतरे. उसके बाद भीड़ ने डीआरपी स्कूल को आग लगा दिया. भीड़ ने डीआरपी स्कूल के कंप्यूटर और दूसरी बहुमूल्य वस्तुएं लूट ली. इस बात की सूचना डीआरपी स्कूल के संचालक ने पुलिस को दी थी. चार्जशीट में कहा गया है कि फारुख के कॉल डिटेस से पता चलता है कि उसके संबंध पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया, पिंजरा तोड़ संगठन, जामिया कोआर्डिनेशन कमेटी और हजरत निजामुद्दीन मरकज के प्रमुख सदस्यों से हैं. चार्जशीट में कहा गया है कि अनिल स्वीट्स पर काम करनेवाले दिलबाग नेगी दुकान में फंस गया था और उसे जलाकर मार दिया गया. पुलिस ने उसके मृत शरीर को बरामद किया था. इस मामले में फारुख के साथ 8 लोगों को गिरफ्तार किया गया था.

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