नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) कार्यकारी परिषद (ईसी) की 1268वीं बैठक का आयोजन शुक्रवार को डीयू कुलपति प्रो. योगेश सिंह की अध्यक्षता में हुआ. विश्वविद्यालय में आयोजित इस बैठक में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई और उन्हें पारित किया गया. दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित 12 कॉलेजों को लेकर दिल्ली की शिक्षा मंत्री द्वारा केंद्र सरकार को लिखे पत्र पर शून्यकाल के दौरान गहन विचार विमर्श हुआ. कुलपति द्वारा इस मुद्दे पर एक ईसी कमेटी गठन का सुझाव दिया गया, जिसे सर्वसम्मति से पारित किया गया.
कुलपति ने कहा कि यह बहुत महत्वपूर्ण मुद्दा है, इसलिए इस मामले को गंभीरता से देखने की जरूरत है. यह कमेटी कल से ही काम शुरू करेगी और 15 दिनों में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी. उसके पश्चात रिपोर्ट को भारत सरकार और दिल्ली सरकार को भेजा जाएगा. बैठक के आरंभ में डीयू कुलसचिव डॉ. विकास गुप्ता ने पिछली ईसी बैठक के मिनट्स और एक्शन टेकन रिपोर्ट प्रस्तुत की.
ज़ीरो आवर के दौरान ईसी सदस्यों द्वारा विभिन्न मुद्दों पर भी चर्चा की गई. ईसी के एजेंडे पर चर्चा के दौरान गत 30 नवंबर को आयोजित हुई विश्वविद्यालय की अकादमिक परिषद (एसी) की 1016वीं बैठक में की गई सिफारिशों पर विचार किया गया. इसके तहत विभिन्न विभागों के कुछ सिलेबसों को भी मौजूदा सीबीसीएस-एलओसीएफ आधारित पाठ्यक्रम परीक्षा योजनाओं को यूजीसीएफ़-2022 के अनुसार पाठ्यक्रम परीक्षा योजनाओं में परिवर्तित करने को स्वीकृति प्रदान की गई. एकीकृत शिक्षक शिक्षा कार्यक्रमों (आईटीईपी) के लिए पाठ्यक्रम संरचना तथा सेमेस्टर एक और दो में प्रस्तुत किए जाने वाले कोर्सों के पाठ्यक्रम के संबंध में फेकल्टी ऑफ एजुकेशन की सिफारिशों को स्वीकार किया गया.
वीपीसीआई बनेगा मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल: वीपीसीआई को मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल बनाने का प्रस्ताव भी ईसी से पास हो गया, जिससे वल्लभभाई पटेल चेस्ट इंस्टीट्यूट (वीपीसीआई) के विस्तार एवं अपग्रेड करने हेतु विश्वविद्यालय के पास उपलब्ध भूमि आवंटित करने का रास्ता साफ हो गया. कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने कहा कि वीपीसीआई के विस्तार और अपग्रेड करने की बहुत आवश्यकता है, ताकि एक ही छत के नीचे पल्मोनरी रोगों सहित गंभीर बीमारियों के लिए भी उपचार प्रदान किया जा सके.
प्रो.योगेश सिंह ने कहा कि वीपीसीआई के विस्तार और अपग्रेडेशन से पल्मोनरी रोगों के लिए गुणवत्तापूर्ण नैदानिक और अनुसंधान सुविधाएं प्रदान करने में काफी मदद मिलेगी. इस मामले पर काफी विस्तार से चर्चा हुई है. इस संबंध में वीपीसीआई के संकाय सदस्यों के विचार और बाहरी विशेषज्ञों के सुझाव प्राप्त करने के लिए कई बैठकें भी की गई. उसके पश्चात ही मसौदा प्रस्ताव तैयार किया गया है. इसके बाद एक समिति का गठन किया गया था. दिल्ली विश्वविद्यालय के पास मुखर्जी नगर के निकट ढाका में 12.76 एकड़ खाली भूमि उपलब्ध है. विस्तृत विचार-विमर्श के बाद बैठक में यह यह निर्णय लिया गया कि उक्त भूमि का आवंटन वीपीसीआई को किया जाए.
इसके साथ ही यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज के भवन एवं अस्पताल के निर्माण हेतु भूमि आवंटन पर भी विचार किया गया. बैठक में बताया गया कि कॉलेज भवन और अस्पताल के निर्माण की आवश्यकता इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए महसूस की गई है कि पांच दशकों से अधिक के अस्तित्व के बावजूद, इसे अब तक अपनी जमीन और भवन नहीं मिल सका है. यही नहीं, जीटीबी अस्पताल परिसर में सीमित जगह कॉलेज के महत्वाकांक्षी विस्तार में बाधा बन रही है, जिससे कॉलेज को उत्कृष्टता के अगले स्तर तक ले जाने में बाधा आ रही है. सुविधाओं और बुनियादी ढांचे के साथ कॉलेज और अस्पताल भवन के निर्माण के लिए 40-50 एकड़ जमीन आवंटित करने के लिए कॉलेज से अनुरोध प्राप्त हुआ है.
- ये भी पढ़ें: अकादमिक परिषद के विरोध के बाद DU ने रणनीतिक योजना ली वापस, फिर से तैयार होगा संशोधित प्लान
डीएम और मेंटल हेल्थ नर्सिंग कोर्स होंगे शुरू: कुलपति द्वारा गठित निरीक्षण समिति की सिफारिशों के अनुसार मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज में शैक्षणिक सत्र 2024-25 से, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्राल भारत सरकार व राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग द्वारा अनुमोदन के अधीन, प्रति वर्ष दो सीटों के साथ डीएम (पल्मोनरी मेडिसिन) कोर्सों को शुरू करने के लिए भी डीयू ईसी की बैठक में स्वीकृति प्रदान की गई. इसके साथ ही डीन, फैकल्टी ऑफ साइंस को मानव व्यवहार और संबद्ध विज्ञान संस्थान (इहबास) में शैक्षणिक वर्ष 2023-24 से 20 सीटों के इनटेक के साथ मेंटल हेल्थ नर्सिंग कोर्स प्रारंभ करने के निर्णय को भी स्वीकृति प्रदान की गई. इहबास के मनोचिकित्सा विभाग में प्रति वर्ष दो सीटों के साथ वृद्धावस्था मानसिक स्वास्थ्य पाठ्यक्रम में डीएम शुरू करने के लिए कुलपति द्वारा गठित निरीक्षण समिति की सिफारिश पर निर्णय लिया गया.