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GB Pant Hospital में चार साल से खराब पड़ी है कैथ लैब की मशीन, हार्ट के मरीजों का इलाज हो रहा प्रभावित

दिल्ली के जीबी पंत अस्पताल में एक कैथ लैब की मशीन चार साल से खराब पड़ी है. इससे हार्ट के मरीजों का इलाज लगातार प्रभावित हो रहा है. अस्पताल प्रशासन का कहना है कि जल्द इसे ठीक करा लिया जाएगा.

cath lab machine is lying defunct for four years
cath lab machine is lying defunct for four years
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Published : Mar 15, 2023, 5:10 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली सरकार के प्रमुख अस्पताल गोविंद बल्लभ (जीबी) पंत में करीब चार साल से एक कैथ लैब की मशीन खराब पड़ी है, जिसकी वजह से मरीजों की एंजियोग्राफी और एंजियोप्लास्टी (स्टेंट डालने) प्रभावित हो रही है. अस्पताल में हार्ट के मरीजों की एंजियोग्राफी और एंजियोप्लास्टी के लिए दो कैथ लैब हैं. इसमें से एक मशीन कोरोना काल से पहले ही खराब हो गई थी. इसके बाद कोरोना के चलते काफी दिनों तक मशीन खरीदने के लिए फाइल को स्वीकृत होने में समय लगा और फाइल स्वीकृत होने के बाद टेंडर होने में भी देरी हुई. वहीं टेंडर रद्द होने के कारण भी मशीन खरीदने में विलंब हुआ. हालांकि अभी दूसरी कैथ लैब की मशीन द्वारा मरीजों की एंजियोग्राफी और एंजियोप्लास्टी करने की जा रही है.

इस बारे में अस्पताल में कार्डियोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉक्टर साइबल मुखोपाध्याय ने बताया कि मशीन का टेंडर पास हो गया है. अगले एक-दो महीने में मशीन यहां लगा दी जाएगी. उन्होंने यह भी बताया कि अभी एक कैथ लैब में प्रतिदिन 20 मरीजों की एंजियोप्लास्टी हो रही है. फिलहाल इसके लिए कोई लंबी वेटिंग नहीं है. जिस भी मरीज की एंजियोप्लास्टी होती है उसको एक दिन पहले भर्ती किया जाता है और अगले ही दिन एंजियोप्लास्टी हो जाती है. फिर एक दिन बाद मरीज को छुट्टी दे दी जाती है. डॉक्टर ने बताया कि कार्डियोलॉजी की ओपीडी में प्रतिदिन हार्ट के 150 से 200 मरीज आते हैं, जबकि इमरजेंसी में भी 50 से 60 मरीज प्रतिदिन आते हैं.

यह भी पढ़ें-H3N2 virus: एच3एन2 के मरीजों के इलाज के लिए लोकनायक अस्पताल ने 20 बेड का आइसोलेशन वार्ड किया तैयार

जीबी पंत अस्पताल में सरकारी रेट पर ही स्टेंट डाले जाते हैं, जिसमें एक स्टेंट का खर्च करीब 24 रुपये आता है. बता दें कि जीबी पंत अस्पताल एक सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल है. इसमें मुख्य रूप से हार्ट, न्यूरो और गैस्ट्रो से संबंधित बीमारी का इलाज किया जाता है. डॉ. साइबल ने बताया कि कोरोना संकट के समय बहुत से मरीजों के स्टेंट डालने का काम बाधित हो गया था. दिल्ली में कोरोना के नियंत्रण में आने के बाद से यहां स्टेंट डलवाने वाले मरीजों की संख्या अचानक बढ़ गई थी. उस समय कुछ दिनों तक इसकी वेटिंग बढ़ गई थी. लेकिन अब पिछले साल से स्टेंट डलवाने के लिए वेटिंग नहीं है. दूसरी मशीन आ जाने के बाद एक दिन में 40 मरीजों को स्टेंट डाले जा सकेंगे. डॉक्टर ने बताया कि, अस्पताल प्रबंधन एक तीसरी कैथ लैब भी बनाने को लेकर विचार कर रहा है. इसकी प्रक्रिया पूरी होने के बाद एक और मशीन खरीदी जाएगी.

यह भी पढ़ें-Delhi Government Hospital: महिला के गर्भ में बच्चे की मौत, दिल्ली सरकार के अस्पताल पर फिर उठे सवाल

नई दिल्ली: दिल्ली सरकार के प्रमुख अस्पताल गोविंद बल्लभ (जीबी) पंत में करीब चार साल से एक कैथ लैब की मशीन खराब पड़ी है, जिसकी वजह से मरीजों की एंजियोग्राफी और एंजियोप्लास्टी (स्टेंट डालने) प्रभावित हो रही है. अस्पताल में हार्ट के मरीजों की एंजियोग्राफी और एंजियोप्लास्टी के लिए दो कैथ लैब हैं. इसमें से एक मशीन कोरोना काल से पहले ही खराब हो गई थी. इसके बाद कोरोना के चलते काफी दिनों तक मशीन खरीदने के लिए फाइल को स्वीकृत होने में समय लगा और फाइल स्वीकृत होने के बाद टेंडर होने में भी देरी हुई. वहीं टेंडर रद्द होने के कारण भी मशीन खरीदने में विलंब हुआ. हालांकि अभी दूसरी कैथ लैब की मशीन द्वारा मरीजों की एंजियोग्राफी और एंजियोप्लास्टी करने की जा रही है.

इस बारे में अस्पताल में कार्डियोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉक्टर साइबल मुखोपाध्याय ने बताया कि मशीन का टेंडर पास हो गया है. अगले एक-दो महीने में मशीन यहां लगा दी जाएगी. उन्होंने यह भी बताया कि अभी एक कैथ लैब में प्रतिदिन 20 मरीजों की एंजियोप्लास्टी हो रही है. फिलहाल इसके लिए कोई लंबी वेटिंग नहीं है. जिस भी मरीज की एंजियोप्लास्टी होती है उसको एक दिन पहले भर्ती किया जाता है और अगले ही दिन एंजियोप्लास्टी हो जाती है. फिर एक दिन बाद मरीज को छुट्टी दे दी जाती है. डॉक्टर ने बताया कि कार्डियोलॉजी की ओपीडी में प्रतिदिन हार्ट के 150 से 200 मरीज आते हैं, जबकि इमरजेंसी में भी 50 से 60 मरीज प्रतिदिन आते हैं.

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जीबी पंत अस्पताल में सरकारी रेट पर ही स्टेंट डाले जाते हैं, जिसमें एक स्टेंट का खर्च करीब 24 रुपये आता है. बता दें कि जीबी पंत अस्पताल एक सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल है. इसमें मुख्य रूप से हार्ट, न्यूरो और गैस्ट्रो से संबंधित बीमारी का इलाज किया जाता है. डॉ. साइबल ने बताया कि कोरोना संकट के समय बहुत से मरीजों के स्टेंट डालने का काम बाधित हो गया था. दिल्ली में कोरोना के नियंत्रण में आने के बाद से यहां स्टेंट डलवाने वाले मरीजों की संख्या अचानक बढ़ गई थी. उस समय कुछ दिनों तक इसकी वेटिंग बढ़ गई थी. लेकिन अब पिछले साल से स्टेंट डलवाने के लिए वेटिंग नहीं है. दूसरी मशीन आ जाने के बाद एक दिन में 40 मरीजों को स्टेंट डाले जा सकेंगे. डॉक्टर ने बताया कि, अस्पताल प्रबंधन एक तीसरी कैथ लैब भी बनाने को लेकर विचार कर रहा है. इसकी प्रक्रिया पूरी होने के बाद एक और मशीन खरीदी जाएगी.

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