नई दिल्लीः बैंक इंम्प्लाई फेडरेशन ऑफ इंडिया (BEFI) के आह्वान पर देश के अलग-अलग राज्यों से सरकारी बैंक कर्मचारी दिल्ली के जंतर-मंतर पर मंगलवार को जुटे. अपनी विभिन्न मांगों को लेकर बीईएफआई के नेतृत्व में बड़ी संख्या में सरकारी बैंक कर्मचारी दिल्ली के जंतर मंतर पर धरना प्रदर्शन देने के लिए पहुंचे हैं. प्रदर्शन में ओडिशा, हिमाचल प्रदेश, हैदराबाद, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र जैसे अलग-अलग राज्यों से पंजाब नेशनल बैंक, इंडियन बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा जैसे तमाम सरकारी बैंकों के कर्मचारी शामिल हुए. बैंक कर्मचारियों की कई मांग है कि जो सरकार निजीकरण कर रही है, उसे रोका जाए. अगर सभी सरकारी बैंक प्राइवेट हो जाएंगी तो फिर कैसे काम चलेगा. प्राइवेट कंपनी के मालिक अपनी मनमानी करेंगे और इससे लोगों की नौकरी पर भी खतरा बन जाएगा.
दिल्ली के जंतर मंतर पर पहुंचे बैंक कर्मचारियों की कई प्रमुख मांगें हैं, जिनमें बैंकों के निजीकरण का मुद्दा सबसे बड़ा मुद्दा है. सार्वजनिक क्षेत्र के कई बैंकों ने दैनिक कार्य करने के लिए निश्चित अवधि के लिए अप्रेंटिस और अधिकारियों को नियुक्त करना शुरू कर दिया है. केंद्र सरकार ने पहले ही घोषित कर दिया है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को आदेश दिया जाएगा. इसी के खिलाफ आवाज उठाने के लिए दिल्ली के जंतर मंतर पर आए हैं. केंद्र की मौजूदा सरकार बैंकों का निजीकरण कर रही है. मोदी अडानी को सारी चीजें सौंपी जा रही है. जब बैंकों का निजीकरण हो जाएगा तो इससे ग्राहकों को तो सुविधा होगी, लेकिन हमारे भी परिवार हैं, हम कहां जाएंगे? एक तो इस देश में वैसे ही नौकरी नहीं है.
सरकार बैंकों का निजीकरण कर रहीः केंद्र सरकार क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के 49% शेयरों को निजी संस्थानों को बेचने पर विचार कर रही है. 22,000 से अधिक शाखाओं के नेटवर्क वाले 43 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक और अर्ध शहरी क्षेत्रों में आम लोगों की सेवा करते हैं. उनका 80% से अधिक उधार प्राथमिकता क्षेत्र के लिए लोगों को जबरन वसूली करने वाले सूक्ष्म वित्त संस्थानों और सैनिकों के चुंगल से बचाते हैं. यदि क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक के शेयरों की बिक्री की जाती है तो क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के निर्माण का मूल उद्देश्य विफल हो जाएगा.
पुरानी पेंशन स्कीम लागू होः एनपीएस (नेशनल पेंशन सिस्टम) की समाप्ति और पुरानी सुरक्षित पेंशन योजना की वापसी पिछले 10 वर्षों से अधिक समय से बैंक कर्मचारियों और अधिकारियों की मांग रही है. लगातार संघर्षों के चलते अब छत्तीसगढ़, राजस्थान, झारखंड, पंजाब और हिमाचल प्रदेश जैसे 5 राज्य सरकारें एनपीएस के बदले गारंटी सुधा पेंशन योजना लागू करने के लिए आगे आई है. सरकार ने एक कमेटी बनाने का फैसला किया है, लेकिन केंद्र सरकार यह कहकर अड़ंगा लगा रही है कि पेंशन फंड रेगुलेटरी डेवलपमेंट अथॉरिटी के नियमों में राज्य सरकारों और कर्मचारियों के एक बार जमा किए गए पैसे की निकासी का कोई प्रावधान नहीं है.