नई दिल्ली : डूसू चुनाव में अध्यक्ष पद जीतने पर अक्षित दहिया के पिता ने उन्हें बधाई दी है. पिता चाहते थे कि बेटा आईआईटी करके इंजीनियर बने, लेकिन बेटे के कुछ और ही ख्वाब थे. स्वामी विवेकानंद के नक्शे कदम पर चलने के जज्बे ने डीयू की राजनीति का चर्चित चेहरा बना दिया. हम बात कर रहे हैं दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव के अध्यक्ष पद के विजेता अक्षित दहिया की.
अक्षित दहिया के पिता से ईटीवी की बातचीत
बेटे को मिली इस कामयाबी पर गर्वित हुए पिता अनिल दहिया ने बेटे की जीत का श्रेय एबीवीपी संगठन को दिया है. उन्होंने कहा कि जो वादे किए हैं, वो पूरा करें और देश सेवा के अपने संकल्प को आगे बढ़ाएं यही उनकी इच्छा है. बता दें कि दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव में एबीवीपी की ओर से अध्यक्ष पद के उम्मीदवार अक्षित दहिया को चुनाव में भारी मतों से जीत हासिल हुई है. इस जीत पर उनके पिता अनिल दहिया ने उन्हें बधाई दी.
अक्षित के पिता अनिल दहिया ने कहा कि सभी अभिभावकों की तरह उनकी भी इच्छा थी कि उनका बेटा पढ़ लिखकर इंजीनियर बने, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया. उन्होंने कहा कि अक्षित स्वामी विवेकानंद से काफी प्रभावित हैं. वो अक्सर स्वामी विवेकानंद की किताबें पढ़ते रहते हैं और इसलिए वे चाहते थे कि जो भी काम करें वह देश हित के लिए ही करें.
'एबीवीपी से टिकट मिलना ही बहुत बड़ी बात'
अनिल दहिया ने बताया कि एबीवीपी से टिकट मिलना ही बहुत बड़ी बात है. उन्होंने कहा कि जीत की उम्मीद तो थी, लेकिन इतने भारी मतों से जीत हासिल होगी इसका अनुमान नहीं था.
'जीत का श्रेय एबीवीपी को'
वहीं इस जीत का श्रेय उन्होंने एबीवीपी और उसके सभी कार्यकर्ताओं को दिया. साथ ही कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित एबीवीपी के अध्यक्ष, संगठन और सह संगठन मंत्री अक्षित के प्रेरणा स्रोत रहे. उन्होंने कहा कि वे चाहते हैं कि जो भरोसा छात्रों ने अक्षित पर दिखाया है, वह उसे पूरा करें. उन्होंने कहा कि वे चाहते हैं अक्षित मेनिफेस्टो में दिए गए अपने सभी वादों को पूरा करने में जुट जाएं.
बता दें कि अक्षित दहिया ने दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव में रिकॉर्ड 29,685 वोटों से जीत दर्ज की है. वहीं उनकी प्रतिद्वंदी एनएसयूआई की उम्मीदवार चेतना त्यागी के खाते में 10,646 वोट ही आए. मालूम हो कि सेंट्रल पैनल की चारों सीटों में नोटा के लिए सबसे कम 5,495 वोट अध्यक्ष पद पर डाले गए हैं.