नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में खुद की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए महिलाएं और लड़कियां अपने बैग में पेपर स्प्रे रखती हैं.अगर कभी किसी मनचलों उनका सामना हो तो पेपर स्प्रे का इस्तेमाल कर खुद की रक्षा की जा सकती है. पेपर स्प्रे का प्रयोग स्कूल, कॉलेज में पढ़ाने वाली शिक्षिका करती हैं.पेपर स्प्रे को सेल्फ डिफेंस का एक अच्छा उदाहरण माना गया है. यहीं वजह है कि दिल्ली में 45 फीसदी लोग पेपर स्प्रे का इस्तेमाल करते हैं.
पेपर स्प्रे से जुड़े सवालों का जवाब: यह ऑफलाइन का डाटा है.ऑनलाइन में भी लोग निजी कंपनियों से पेपर स्प्रे मंगवाते हैं. दिल्ली में 2 करोड़ से अधिक जनसंख्या है.ऐसे में काफी लोग पेपर स्प्रे का इस्तेमाल करते हैं.आइए जानते हैं पेपर स्प्रे क्या कोई बेहोश भी हो सकता है.यह सवाल इसलिए उठा है, क्योंकि बीते दिन पहले एक सरकारी स्कूल में पेपर स्प्रे होने से 20 स्कूली छात्रा बेहोश हो गई थीं. जिनका इलाज सफदरजंग अस्पताल में किया गया.
काली मिर्च का पाउडर होता है पेपर स्प्रे: पेपर स्प्रे में आमतौर पर काली मिर्च का पाउडर होता है. इसके छिड़कने से आंखों में जलन होती है और आंसू आने लगते हैं. आंखों में तेज दर्द होने के साथ ही कुछ समय के लिए अंधापन भी आ जाता है. घंटे भर में इसका असर खत्म हो जाता है. इसका प्रयोग अधिकतर भीड़ को काबू करने के लिए किया जाता है. कुछ महिलाएं आत्मरक्षा के लिए भी अपने पर्स में पेपर स्प्रे रखती हैं, लेकिन इससे कोई बेहोश नहीं हो सकता. अगर कोई बच्चा इसके संपर्क में आता है, तो उसको थोड़ी ज्यादा दिक्कत हो सकती है, क्योंकि बच्चे पर इसका ज्यादा देर तक असर रह सकता है, लेकिन कोई ज्यादा खतरे वाली बात नहीं होती.
45 फीसदी होती है पेपर स्प्रे की बिक्री: मेडिकल स्टोर संचालक सोनू ने बताया कि सालाना दिल्ली में 40 से 45 फीसदी पेपर स्प्रे की बिक्री होती है. प्रतिदिन पेपर स्प्रे की बिक्री हो यह जरूरी नहीं है.उन्होंने कहा कि कंपनी के हिसाब से पेपर स्प्रे की कीमत तय होती है.25 से 50 एमएल का पेपर स्प्रे 200 से लेकर 500 रुपये तक का मिलता है. दवाओं के लिए दिल्ली का सबसे बड़ा थोक बाजार चांदनी चौक में है. जहां भागीरथ पैलेस यहां थोक में दवाइयां बिक्री होती है.
क्या कहती हैं शिक्षिका और छात्रा: खानपुर स्तिथ राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में अंग्रेजी की शिक्षिका गीता कहती हैं कि उनके स्कूल में सेल्फ डिफेंस के लिए दिल्ली पुलिस के साथ कॉलोब्रेट कर एक प्रशिक्षण सत्र आयोजित किया जाता है. जिसमें छठी से लेकर ग्यारहवीं क्लास की छात्रा को सेल्फ डिफेंस के गुर सिखाए जाते हैं.यह ट्रेनिंग स्कूल देने के लिए दिल्ली पुलिस की महिला ऑफिसर आती हैं. बदरपुर स्थित राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में नौवीं की छात्रा बबली ने बताया कि जब उन्हें सेल्फ डिफेंस दी जाती है, तो पेपर स्प्रे रखने की सलाह भी दी जाती है, लेकिन पेपर स्प्रे महंगा होने के कारण वह नहीं रखती हैं. हालांकि, अन्य जरूरत के हिसाब से बैग में सामान रखती हैं. कॉलेज में पढ़ाने वाली शिक्षकों ने बताया कि सेल्फ डिफेंस के लिए पेपर स्प्रे कारगर साबित हो सकता है, लेकिन वह इस्तेमाल नहीं करती हैं.उनका कहना है कि सरकार को महिला सुरक्षा के लिए बेहतर इंतजाम करने चाहिए.जिससे किसी को पेपर स्प्रे की जरूरत न पड़े.
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