नई दिल्ली: भारत ने विश्व मुक्केबाजी चैंपियनिशप के लिए 13 सदस्यीय टीम भेजी है, जो टोक्यो ओलंपिक के लचर प्रदर्शन को पीछे छोड़कर अधिक से अधिक पदक बटोरने का प्रयास करेगी. इन खिलाड़ियों में थापा को पहले भी विश्व चैंपियनशिप में खेलने का अनुभव है. उन्होंने साल 2015 में इस चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता था.
मुक्केबाजों की सहायता के लिए 'हाई परफॉरमेंस' निदेशक सैंटियागो नीवा, मुख्य कोच नरेंदर राणा और सहायक कोच एल देवेंद्रो सिंह आदि भी टीम के साथ गए हैं. नीवा का यह भारतीय टीम के साथ आखिरी टूर्नामेंट होगा, क्योंकि टोक्यो ओलंपिक के खराब प्रदर्शन के बाद भारतीय मुक्केबाजी महासंघ ने लंबी अवधि तक उनकी सेवाएं नहीं लेने का फैसला किया था.
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टोक्यो ओलंपिक के बाद मुक्केबाज पहली बार किसी अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में भाग लेंगे. मुक्केबाजों को हालांकि तैयारियों के लिए पर्याप्त समय नहीं मिला है. उन्होंने राष्ट्रीय चैंपियनशिप के बाद अभ्यास शिविर में केवल 10 दिन बिताए.
टोक्यो ओलंपिक में भाग लेने वाले पांच मुक्केबाजों को टीम में जगह नहीं मिली, क्योंकि उन्होंने मामूली चोटों या अभ्यास की कमी के कारण राष्ट्रीय चैंपियनशिप में हिस्सा नहीं लिया था. इनमें अमित पंघाल (51 किग्रा) भी शामिल हैं.
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विश्व चैंपियनशिप में 105 देशों के 600 से अधिक मुक्केबाज भाग लेंगे, जिसमें स्वर्ण पदक विजेता को 100,000 डालर की इनामी राशि मिलेगी. रजत पदक विजेता को 50,000 डालर और कांस्य पदक विजेता को 25,000 डालर मिलेंगे.
भारतीय टीम इस प्रकार है:
गोविंद साहनी (48 किग्रा), दीपक कुमार (51 किग्रा), आकाश (54 किग्रा), रोहित मोर (57 किग्रा), वरिंदर सिंह (60 किग्रा), शिव थापा (63.5 किग्रा), आकाश (67 किग्रा), निशांत देव (71 किग्रा), सुमित (75 किग्रा) ), सचिन कुमार (80 किग्रा), लक्ष्य (86 किग्रा), संजीत (92 किग्रा) और नरेंद्र (+92 किग्रा).