ETV Bharat / sports

खिलाड़ी अपने दांत से क्यों काटते हैं Medal? बेहद दिलचस्प वजह

ओलंपिक खेलों की शुरुआत आज से कुछ ही दिन के बाद जापान के टोक्यो शहर में होने वाली है. खेलों के इस महाकुंभ के लिए सभी देशों के खिलाड़ियों ने अपनी तैयारियां पूरी कर ली हैं. अक्सर देखा जाता है कि ओलंपिक में पदक जीतने वाले खिलाड़ी अक्सर अपने मुंह से ओलंपिक पदक को काटते हैं. खिलाड़ी ऐसा क्यों करते हैं, इसके पीछे एक बहुत ही खास वजह है.

ajab gajab amazing news  gold medal  Gold Medal Winners  ओलंपिक खेल  टोक्यो ओलंपिक  मुंह से ओलंपिक पदक को काटना  ओलंपिक में पदक  medals in olympics  cut the olympic medal from the mouth  Tokyo Olympics  Olympic Games
ओलंपिक खेल
author img

By

Published : Jul 16, 2021, 8:01 PM IST

हैदराबाद: कभी आपने गौर किया है, जब भी एथलीट कोई पदक जीतते हैं तो वो अपने मेडल को दांतों तले रखकर उसे दबाते हैं. आखिर वो ऐसा क्यों करते हैं? कोई तो वजह होती होगी उसके पीछे. कभी ऐसा नहीं होता कि वो ऐसा न करते हों. क्या ऐसा करने से ही उन्हें जीत का स्वाद मिलता है?

खेल जीतने के बाद कोई खिलाड़ी ऐसा नहीं होता, जो ऐसा नहीं करता हो. जैसे मानों ये कोई प्रथा बन गई हो. लेकिन सोचने वाली बात यह है कि आखिर ये प्रथा कब और किसने शुरू की?

यह भी पढ़ें: ओलंपिक गेम्स से जुड़े कुछ रोचक पहलू...

अपने सोने के तमगे को चखने की प्रथा ओलंपिक खेलों में बरसों पुरानी है और इसके पीछे कई कहानियां भी प्रचलित हैं.

बता दें, मेडल जीतने के बाद उसकों दांतों से काटने की परंपरा एथेंस ओलंपिक से शुरू हुई थी. लेकिन साल 1912 के स्‍टॉकहोम ओलंपिक के बाद यह परंपरा बंद हो गई थी. स्‍टॉकहोम ओलंपिक में ही खिलाड़ियों को अंतिम बार शुद्ध सोने के मेडल दिए गए थे.

क्यों खिलाड़ी काटते हैं ओलंपिक मेडल?

खिलाड़ी अपने मुंह में अपने ओलंपिक पदक को क्यों दबाते हैं, इसके पीछे एक बहुत ही खास वजह है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, खिलाड़ी ऐसा इसलिए करते हैं, क्योंकि सोना अन्य धातुओं की तुलना में थोड़ा नरम और लचीला होता है. इसे मुंह में दबाकर खिलाड़ी ये निर्धारित करते हैं कि मेडल असली सोने का है भी या नहीं.

यह भी पढ़ें: Corona के कारण Olympic Hockey फाइनल रद्द होने पर क्या होगा...?

लेकिन इसके अलावा ज्यादातर खिलाड़ी फोटो क्लिक करवाने के लिए अपने मेडल को अपने मुंह में दबाते हैं.

अब मेडल सिर्फ गोल्ड प्लेटेड होते हैं. अगर मेडल पर काटने पर उसपर निशान बन जाते हैं तो इससे पता चल जाता है कि ये मेडल सोने का ही था.

हैदराबाद: कभी आपने गौर किया है, जब भी एथलीट कोई पदक जीतते हैं तो वो अपने मेडल को दांतों तले रखकर उसे दबाते हैं. आखिर वो ऐसा क्यों करते हैं? कोई तो वजह होती होगी उसके पीछे. कभी ऐसा नहीं होता कि वो ऐसा न करते हों. क्या ऐसा करने से ही उन्हें जीत का स्वाद मिलता है?

खेल जीतने के बाद कोई खिलाड़ी ऐसा नहीं होता, जो ऐसा नहीं करता हो. जैसे मानों ये कोई प्रथा बन गई हो. लेकिन सोचने वाली बात यह है कि आखिर ये प्रथा कब और किसने शुरू की?

यह भी पढ़ें: ओलंपिक गेम्स से जुड़े कुछ रोचक पहलू...

अपने सोने के तमगे को चखने की प्रथा ओलंपिक खेलों में बरसों पुरानी है और इसके पीछे कई कहानियां भी प्रचलित हैं.

बता दें, मेडल जीतने के बाद उसकों दांतों से काटने की परंपरा एथेंस ओलंपिक से शुरू हुई थी. लेकिन साल 1912 के स्‍टॉकहोम ओलंपिक के बाद यह परंपरा बंद हो गई थी. स्‍टॉकहोम ओलंपिक में ही खिलाड़ियों को अंतिम बार शुद्ध सोने के मेडल दिए गए थे.

क्यों खिलाड़ी काटते हैं ओलंपिक मेडल?

खिलाड़ी अपने मुंह में अपने ओलंपिक पदक को क्यों दबाते हैं, इसके पीछे एक बहुत ही खास वजह है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, खिलाड़ी ऐसा इसलिए करते हैं, क्योंकि सोना अन्य धातुओं की तुलना में थोड़ा नरम और लचीला होता है. इसे मुंह में दबाकर खिलाड़ी ये निर्धारित करते हैं कि मेडल असली सोने का है भी या नहीं.

यह भी पढ़ें: Corona के कारण Olympic Hockey फाइनल रद्द होने पर क्या होगा...?

लेकिन इसके अलावा ज्यादातर खिलाड़ी फोटो क्लिक करवाने के लिए अपने मेडल को अपने मुंह में दबाते हैं.

अब मेडल सिर्फ गोल्ड प्लेटेड होते हैं. अगर मेडल पर काटने पर उसपर निशान बन जाते हैं तो इससे पता चल जाता है कि ये मेडल सोने का ही था.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.