लखनऊ : लखनऊ के भारतीय खेल प्राधिकरण- SAI में अपनी तरह की पहली घटना में, एक राष्ट्रीय स्तर के पदक विजेता सहित तीन वेटलिफ्टर प्रतिबंधित पदार्थों के सेवन का दोषी पाया गया है और उन्हें निलंबित कर परिसर से बाहर कर दिया गया है. तीनों - एक महिला एथलीट सहित - यहां साई की आंतरिक टीम के रडार पर थे, क्योंकि चार-पांच महीने पहले साई केंद्र में शामिल होने के बाद से वे संदिग्ध गतिविधियों में शामिल थे.
एक भारोत्तोलक को सुरक्षा गार्ड ने परिसर में सीमा पार से किसी द्वारा फेंके गए प्रतिबंधित पदार्थ के पैकेट को पकड़ते हुए भी देखा था. अपराध में उनकी संलिप्तता तब सामने आई जब राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी - NADA की टीम ने पिछले महीने किए गए एक परीक्षण के बाद उनके खून में उन दवाओं को पाया. महिला वेटलिफ्टर लखनऊ की ही है और यहां साई केंद्र में शामिल होने से पहले केडी सिंह 'बाबू' स्टेडियम केंद्र में (अक्सर समान कारणों से आर्क लाइट में) प्रशिक्षण ले रही थी.
SAI के लखनऊ केंद्र के कार्यकारी निदेशक, संजय सारस्वत ने कहा, " NADA की एक रिपोर्ट के बाद, सभी तीन वेटलिफ्टर पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगा दिया गया है और हमने उन्हें परिसर से स्थायी रूप से हटाने के लिए उच्च अधिकारियों से सिफारिश की है." उन्होंने कहा, "दरअसल, एक खेल विज्ञान विशेषज्ञ सहित हमारी आंतरिक समिति ने हमें पहले ही इन तीनों की संदिग्ध गतिविधियों के बारे में बता दिया था और हमने इसकी पुष्टि इस बात की जांच करके की कि वे अपने साप्ताहिक दौरे से क्या ले जाते हैं."
उन्होंने यह भी कहा कि एक भारोत्तोलक को उसकी मंगेतर से प्रतिबंधित पदार्थ का पैकेट मिला - जिस पर राज्य की राजधानी में खिलाड़ियों को डोप की आपूर्ति करने का आरोप है - जबकि दो पुरुष भारोत्तोलकों को प्रतिबंधित पदार्थ का पैकेट कूरियर के माध्यम से मिला. सारस्वत ने कहा कि यहां राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र के तहत विभिन्न विषयों के सभी 169 एथलीटों के प्रत्येक पैकेट या सामान की नियमित आधार पर गहन जांच की जा रही है, इसके अलावा डोपिंग रोधी अभियान की साप्ताहिक कक्षाएं भी चल रही हैं, जिसके तहत सभी कोच अपने प्रशिक्षुओं के साथ बातचीत करते हैं और उन्हें डोपिंग के बारे में नियमित आधार पर बताते हैं.