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Saina Nehwal PV Sindhu : अंतर्राष्ट्रीय बैडमिंटन प्रतियोगिताओं में महिलाओं का जलवा कायम - अंतर्राष्ट्रीय बैडमिंटन टूर्नामेंट

International Badminton Competitions : अंतर्राष्ट्रीय बैडमिंटन प्रतियोगिताओं में महिलाओं ने अपना जलवा दिखाया है. बैडमिंटन स्टार साइना नेहवाल और पी.वी. सिंधु महिलाओं ने पिछले एक दशक में भारत को इस खेल में दुनिया के टॉप पर पहुंचाया है.

Saina Nehwal and PV Sindhu
साइना नेहवाल और पीवी सिंधु
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Published : Apr 2, 2023, 5:08 PM IST

नई दिल्ली : दशकों से अंतरराष्ट्रीय बैडमिंटन प्रतियोगिताओं में भारत की उपलब्धियां पुरुष वर्ग तक ही सीमित थीं. इसमें दिनेश खन्ना, प्रकाश पादुकोण और पुलेला गोपीचंद जैसे शटलर हावी थे. पादुकोण और गोपीचंद ने 1980 और 2001 में प्रतिष्ठित ऑल इंग्लैंड खिताब जीतने वाले एकमात्र भारतीय हैं, जबकि खन्ना ने किंग्स्टन, जमैका में 1966 के राष्ट्रमंडल खेलों में कांस्य पदक जीता था. देश ने मधुमिता बिष्ट, मंजूषा कंवर और अपर्णा पोपट सहित कुछ मजबूत महिला खिलाड़ियों को तैयार किया था. जिन्हें अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में सीमित सफलता मिली थी. पादुकोण और खन्ना ओलंपिक में भाग नहीं ले सके थे. क्योंकि इसे 1992 में खेलों के रोस्टर में शामिल किया गया था. गोपीचंद, मधुमिता बिष्ट, अपर्णा पोपट, पी.वी.वी. लक्ष्मी, दीपांकर भट्टाचार्य, ज्वाला गुट्टा और अश्विनी पोनप्पा ने खेल तो खेला, लेकिन पदक हासिल नहीं कर सके.

यह सब 2010 के करीब दो महिला बैडमिंटन स्टार साइना नेहवाल और पी.वी. सिंधु ने पिछले एक दशक में भारतीय बैडमिंटन को दुनिया के टॉप पर पहुंचाया था. साइना ने 2010 के सीजन में नई दिल्ली में राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीता था, एक भारतीय महिला बैडमिंटन खिलाड़ी द्वारा पहला स्वर्ण पदक और फिर आगे चलकर लंदन में 2012 के ओलंपिक में कांस्य पदक जीता था. वह उसी वर्ष अगस्त में जकार्ता में विश्व चैंपियनशिप में रजत जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनने से पहले अप्रैल 2015 में विश्व नंबर 1 बनीं.

पीवी सिंधु ने ओलंपिक खेलों में कई पदक जीतकर भारतीय बैडमिंटन को एक पायदान ऊपर ले गईं. रियो डी जेनेरो में 2016 के ओलंपिक खेलों में रजत और 2021 में आयोजित टोक्यो में अगले ओलंपिक में कांस्य पदक जीता था. विश्व चैंपियनशिप में दो कांस्य (2013, 2014), दो रजत (2017, 2018), राष्ट्रमंडल खेलों में रजत (2018) और स्वर्ण पदक (2022) जीता था. स्विट्जरलैंड के बासेल में 2019 के संस्करण में विश्व चैंपियनशिप में उनकी जीत उनके और भारतीय बैडमिंटन के लिए गौरव की बात थी.

नई दिल्ली : दशकों से अंतरराष्ट्रीय बैडमिंटन प्रतियोगिताओं में भारत की उपलब्धियां पुरुष वर्ग तक ही सीमित थीं. इसमें दिनेश खन्ना, प्रकाश पादुकोण और पुलेला गोपीचंद जैसे शटलर हावी थे. पादुकोण और गोपीचंद ने 1980 और 2001 में प्रतिष्ठित ऑल इंग्लैंड खिताब जीतने वाले एकमात्र भारतीय हैं, जबकि खन्ना ने किंग्स्टन, जमैका में 1966 के राष्ट्रमंडल खेलों में कांस्य पदक जीता था. देश ने मधुमिता बिष्ट, मंजूषा कंवर और अपर्णा पोपट सहित कुछ मजबूत महिला खिलाड़ियों को तैयार किया था. जिन्हें अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में सीमित सफलता मिली थी. पादुकोण और खन्ना ओलंपिक में भाग नहीं ले सके थे. क्योंकि इसे 1992 में खेलों के रोस्टर में शामिल किया गया था. गोपीचंद, मधुमिता बिष्ट, अपर्णा पोपट, पी.वी.वी. लक्ष्मी, दीपांकर भट्टाचार्य, ज्वाला गुट्टा और अश्विनी पोनप्पा ने खेल तो खेला, लेकिन पदक हासिल नहीं कर सके.

यह सब 2010 के करीब दो महिला बैडमिंटन स्टार साइना नेहवाल और पी.वी. सिंधु ने पिछले एक दशक में भारतीय बैडमिंटन को दुनिया के टॉप पर पहुंचाया था. साइना ने 2010 के सीजन में नई दिल्ली में राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीता था, एक भारतीय महिला बैडमिंटन खिलाड़ी द्वारा पहला स्वर्ण पदक और फिर आगे चलकर लंदन में 2012 के ओलंपिक में कांस्य पदक जीता था. वह उसी वर्ष अगस्त में जकार्ता में विश्व चैंपियनशिप में रजत जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनने से पहले अप्रैल 2015 में विश्व नंबर 1 बनीं.

पीवी सिंधु ने ओलंपिक खेलों में कई पदक जीतकर भारतीय बैडमिंटन को एक पायदान ऊपर ले गईं. रियो डी जेनेरो में 2016 के ओलंपिक खेलों में रजत और 2021 में आयोजित टोक्यो में अगले ओलंपिक में कांस्य पदक जीता था. विश्व चैंपियनशिप में दो कांस्य (2013, 2014), दो रजत (2017, 2018), राष्ट्रमंडल खेलों में रजत (2018) और स्वर्ण पदक (2022) जीता था. स्विट्जरलैंड के बासेल में 2019 के संस्करण में विश्व चैंपियनशिप में उनकी जीत उनके और भारतीय बैडमिंटन के लिए गौरव की बात थी.

(आईएएनएस)

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