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'ओलंपिक में भारत को जगह दिला गर्व महसूस कर रहा हूं'

फवाद अहमद ने कहा, 'ओलंपिक हर किसी खिलाड़ी के लिए सबसे बड़ा टूर्नामेंट होता है, चाहे वो किसी भी खेल का हो. बेशक दबाव होगा, लेकिन मुझे लगता है कि दबाव अच्छा होता, ये आपको कड़ी मेहनत करने के लिए विवश करता है.'

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Published : Jan 8, 2020, 8:38 PM IST

MIRZA
MIRZA

नई दिल्ली: दो दशक में ऐसा पहली बार होगा जब ओलंपिक खेलों में इक्वेस्टेरियन (घुड़सवारी) में कोई खिलाड़ी भारत का प्रतिनिधित्व करेगा. एशियाई खेलों में रजत पदक जीत भारत का 36 साल का सूखा खत्म करने वाले फवाद मिर्जा ने आधिकारिक तौर पर टोक्यो ओलंपिक-2020 का टिकट कटा लिया है.

वे 20 साल में पहली बार ओलंपिक में हिस्सा लेने वाले भारतीय घुड़सवार होंगे. फवाद इस बात से बेहद खुश हैं कि वे ओलंपिक में भारतीय इक्वेस्टेरियन को कोटा दिला सके.

फवाद का ओलंपिक खेलना पिछले साल नवंबर में ही तय हो गया था, लेकिन इसकी आधिकारिक घोषणा मंगलवार को हुई जब इंटरनेशनल इक्वेस्टेरिन फेडेरेशन (एफईआई) ने अपनी रैंकिंग जारी की. फवाद दक्षिण-पूर्व एशिया-ओसनिया जोन में सबसे ज्यादा ओलंपिक क्वालीफिकेशन अंक हासिल करने वाले राइडर बनकर उभरे और ओलम्पिक कोटा हासिल करने में सफल रहे.

फवाद मिर्जा
फवाद मिर्जा
उनसे पहले भारत के सिर्फ दो घुड़सवार विंग कमांडर आईजे लाम्बा (1996) और इम्तियाज अनीस (2000) ही भारत को इक्नवेस्टेरियन में ओलंपिक कोटा दिला सके थे.20 साल के इस सूखे को खत्म कर फवाद काफी उत्साहित हैं. उन्होंने आईएएनएस से बातचीत में अपनी खुशी जाहिर की और कहा कि वह ओलम्पिक कोटा हासिल कर गर्व महसूस कर रहे हैं.

ये भी पढ़े- EXCLUSIVE: द ग्रेट खली ने माना कि WWE के मैच होते हैं फिक्स

देश के इस उभरते हुए घुडसवार पर एशियाई खेलों के बाद से ही दबावा था. एशियाई खेलों में फवाद ने रजत जीत 36 साल बाद देश को पदक दिलाया था और अब वह ओलम्पिक में भी भारत की बागडोर संभालेंगे. ओलंपिक में खेलने को लेकर जहां अधिकतर खिलाड़ी दबाव के कारण ठंड़े पड़ जाते हैं, वहीं फवाद कहते हैं कि उन्हें दबाव से डर नहीं लगता, क्योंकि वह दबाव पसंद करते हैं.

ओलंपिक 2020 का लोगो
ओलंपिक 2020 का लोगो
27 साल के फवाद ने कहा, "ओलंपिक हर किसी खिलाड़ी के लिए सबसे बड़ा टूर्नामेंट होता है, चाहे वो किसी भी खेल का हो. बेशक दबाव होगा, लेकिन मुझे लगता है कि दबाव अच्छा होता, ये आपको कड़ी मेहनत करने के लिए विवश करता है, फोकस रखता है."उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि दबाव जरूरी है और मैं इसे अपनी ड्राइविंग फोर्स के तौर पर उपयोग में लेता हूं. दबाव वो चीज है जो मुझे प्रेरित करता है और सुबह बिस्तर से उठ कड़ी मेहनत करने की प्ररेणा देता है और जब मैं अच्छा महसूस नहीं करता हूं तो ये मुझे उस भावना से बाहर निकालने में भी मदद करता है. मुझे दबाव पसंद है और मुझे दबाव चाहिए भी."

नई दिल्ली: दो दशक में ऐसा पहली बार होगा जब ओलंपिक खेलों में इक्वेस्टेरियन (घुड़सवारी) में कोई खिलाड़ी भारत का प्रतिनिधित्व करेगा. एशियाई खेलों में रजत पदक जीत भारत का 36 साल का सूखा खत्म करने वाले फवाद मिर्जा ने आधिकारिक तौर पर टोक्यो ओलंपिक-2020 का टिकट कटा लिया है.

वे 20 साल में पहली बार ओलंपिक में हिस्सा लेने वाले भारतीय घुड़सवार होंगे. फवाद इस बात से बेहद खुश हैं कि वे ओलंपिक में भारतीय इक्वेस्टेरियन को कोटा दिला सके.

फवाद का ओलंपिक खेलना पिछले साल नवंबर में ही तय हो गया था, लेकिन इसकी आधिकारिक घोषणा मंगलवार को हुई जब इंटरनेशनल इक्वेस्टेरिन फेडेरेशन (एफईआई) ने अपनी रैंकिंग जारी की. फवाद दक्षिण-पूर्व एशिया-ओसनिया जोन में सबसे ज्यादा ओलंपिक क्वालीफिकेशन अंक हासिल करने वाले राइडर बनकर उभरे और ओलम्पिक कोटा हासिल करने में सफल रहे.

फवाद मिर्जा
फवाद मिर्जा
उनसे पहले भारत के सिर्फ दो घुड़सवार विंग कमांडर आईजे लाम्बा (1996) और इम्तियाज अनीस (2000) ही भारत को इक्नवेस्टेरियन में ओलंपिक कोटा दिला सके थे.20 साल के इस सूखे को खत्म कर फवाद काफी उत्साहित हैं. उन्होंने आईएएनएस से बातचीत में अपनी खुशी जाहिर की और कहा कि वह ओलम्पिक कोटा हासिल कर गर्व महसूस कर रहे हैं.

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देश के इस उभरते हुए घुडसवार पर एशियाई खेलों के बाद से ही दबावा था. एशियाई खेलों में फवाद ने रजत जीत 36 साल बाद देश को पदक दिलाया था और अब वह ओलम्पिक में भी भारत की बागडोर संभालेंगे. ओलंपिक में खेलने को लेकर जहां अधिकतर खिलाड़ी दबाव के कारण ठंड़े पड़ जाते हैं, वहीं फवाद कहते हैं कि उन्हें दबाव से डर नहीं लगता, क्योंकि वह दबाव पसंद करते हैं.

ओलंपिक 2020 का लोगो
ओलंपिक 2020 का लोगो
27 साल के फवाद ने कहा, "ओलंपिक हर किसी खिलाड़ी के लिए सबसे बड़ा टूर्नामेंट होता है, चाहे वो किसी भी खेल का हो. बेशक दबाव होगा, लेकिन मुझे लगता है कि दबाव अच्छा होता, ये आपको कड़ी मेहनत करने के लिए विवश करता है, फोकस रखता है."उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि दबाव जरूरी है और मैं इसे अपनी ड्राइविंग फोर्स के तौर पर उपयोग में लेता हूं. दबाव वो चीज है जो मुझे प्रेरित करता है और सुबह बिस्तर से उठ कड़ी मेहनत करने की प्ररेणा देता है और जब मैं अच्छा महसूस नहीं करता हूं तो ये मुझे उस भावना से बाहर निकालने में भी मदद करता है. मुझे दबाव पसंद है और मुझे दबाव चाहिए भी."
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'ओलंपिक में भारत को जगह दिला गर्व महसूस कर रहा हूं'



 





फवाद अहमद ने कहा, 'ओलंपिक हर किसी खिलाड़ी के लिए सबसे बड़ा टूर्नामेंट होता है, चाहे वो किसी भी खेल का हो. बेशक दबाव होगा, लेकिन मुझे लगता है कि दबाव अच्छा होता, ये आपको कड़ी मेहनत करने के लिए विवश करता है.'





नई दिल्ली: दो दशक में ऐसा पहली बार होगा जब ओलंपिक खेलों में इक्वेस्टेरियन (घुड़सवारी) में कोई खिलाड़ी भारत का प्रतिनिधित्व करेगा. एशियाई खेलों में रजत पदक जीत भारत का 36 साल का सूखा खत्म करने वाले फवाद मिर्जा ने आधिकारिक तौर पर टोक्यो ओलंपिक-2020 का टिकट कटा लिया है.

वे 20 साल में पहली बार ओलंपिक में हिस्सा लेने वाले भारतीय घुड़सवार होंगे. फवाद इस बात से बेहद खुश हैं कि वे ओलंपिक में भारतीय इक्वेस्टेरियन को कोटा दिला सके.

फवाद का ओलंपिक खेलना पिछले साल नवंबर में ही तय हो गया था, लेकिन इसकी आधिकारिक घोषणा मंगलवार को हुई जब इंटरनेशनल इक्वेस्टेरिन फेडेरेशन (एफईआई) ने अपनी रैंकिंग जारी की. फवाद दक्षिण-पूर्व एशिया-ओसनिया जोन में सबसे ज्यादा ओलंपिक क्वालीफिकेशन अंक हासिल करने वाले राइडर बनकर उभरे और ओलम्पिक कोटा हासिल करने में सफल रहे.

उनसे पहले भारत के सिर्फ दो घुड़सवार विंग कमांडर आईजे लाम्बा (1996) और इम्तियाज अनीस (2000) ही भारत को इक्नवेस्टेरियन में ओलंपिक कोटा दिला सके थे.

20 साल के इस सूखे को खत्म कर फवाद काफी उत्साहित हैं. उन्होंने आईएएनएस से बातचीत में अपनी खुशी जाहिर की और कहा कि वह ओलम्पिक कोटा हासिल कर गर्व महसूस कर रहे हैं.

देश के इस उभरते हुए घुडसवार पर एशियाई खेलों के बाद से ही दबावा था. एशियाई खेलों में फवाद ने रजत जीत 36 साल बाद देश को पदक दिलाया था और अब वह ओलम्पिक में भी भारत की बागडोर संभालेंगे. ओलंपिक में खेलने को लेकर जहां अधिकतर खिलाड़ी दबाव के कारण ठंड़े पड़ जाते हैं, वहीं फवाद कहते हैं कि उन्हें दबाव से डर नहीं लगता, क्योंकि वह दबाव पसंद करते हैं.

27 साल के फवाद ने कहा, "ओलंपिक हर किसी खिलाड़ी के लिए सबसे बड़ा टूर्नामेंट होता है, चाहे वो किसी भी खेल का हो. बेशक दबाव होगा, लेकिन मुझे लगता है कि दबाव अच्छा होता, ये आपको कड़ी मेहनत करने के लिए विवश करता है, फोकस रखता है."

उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि दबाव जरूरी है और मैं इसे अपनी ड्राइविंग फोर्स के तौर पर उपयोग में लेता हूं. दबाव वो चीज है जो मुझे प्रेरित करता है और सुबह बिस्तर से उठ कड़ी मेहनत करने की प्ररेणा देता है और जब मैं अच्छा महसूस नहीं करता हूं तो ये मुझे उस भावना से बाहर निकालने में भी मदद करता है. मुझे दबाव पसंद है और मुझे दबाव चाहिए भी."




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