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Sheetal Devi : एशियन पैरा गेम्स में 3 मेडल जीतकर रचा इतिहास, जानिए दुनिया की पहली बिना हाथ की तीरंदाज शीतल देवी की प्रेरणादायक कहानी

तीरंदाज शीतल देवी ने एशियाई पैरा खेल 2023 में 2 गोल्ड मेडल सहित कुल 3 पदक हासिल कर इतिहास रच दिया है. दोनों हाथों के ना होने के कारण पैर और मुंह के सहारे से तीर चलाने वाली इस 16 वर्षीय तीरंदाज की कहानी हर किसी के लिए प्रेरणादायक है. आज हम आपको बतायेंगे किस तरह से शीतल देवी ने जम्मू कश्मीर के दूरस्थ इलाके से निकलकर दुनिया भर में भारत का परचम बुलंद कर दिया.

Story of world first armless archer Sheetal Devi
भुजाहिन तीरंदाज शीतल देवी की कहानी
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 30, 2023, 6:36 PM IST

Updated : Oct 30, 2023, 6:58 PM IST

हैदराबाद : कौन कहता है कि आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों...! इस कहावत को चरितार्थ कर दिखाया है भारत की बिना हाथ वाली तीरंदाज शीतल देवी ने. जम्मू कश्मीर की रहने वाली 16 वर्षीय इस तीरंदाज ने हाल ही में चीन के हांगझाऊ में संपन्न हुए एशियाई पैरा खेलों 2023 में 3 मेडल जीतकर इतिहास रचा है. वो इन खेलों के एक ही संस्करण में 2 स्वर्ण पदक अपने नाम करने वाली पहली भारतीय महिला बन गई हैं. आज उन्होंने सफलता का मुकाम हासिल कर लिया है लेकिन उनका यहां तक का सफर बिल्कुल आसान नहीं रहा है.

आज हम आपको शीतल देवी की प्रेरणादायक कहानी बताने वाले हैं कि कैसे एक 16 साल की लड़की ने जम्मू कश्मीर के किश्तवाड़ के दूरस्थ इलाके से निकलकर चीन में भारत का परचम बुलंद कर दिया.

शीतल देवी का सफर
शीतल देवी का जन्म जम्मू कश्मीर के किश्तवाड़ जिले के दूरदराज गांव लोई धार में एक गरीब परिवार में हुआ था. शीतल के पिता खेतों में काम करते हैं और उनकी मां घर की 4-5 बकरियों को संभालती हैं. उनके जन्म से ही दोनों हाथ नहीं है. लेकिन 16 साल की भारत की इस बेटी के लिए दिव्यांगता अभिशाप नहीं बन पाई और शीतल दोनों बाजु के बिना ही अपनी छाती के सहारे दांतों और पैर से तीरंदाजी करने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी बन गई. साथ ही शीतल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने वाली बिना हाथों वाली पहली तीरंदाज भी हैं. हालांकि अब दुनिया में बिना हाथ वाले कुल 6 तिरंदाज आ चुके हैं.

फोकोमेलिया बीमारी से हैं पीड़ित
शीतल जन्म से ही फोकोमेलिया नाम की बीमारी से पीड़ित है. इस बीमारी में अंग अविकसित रहता है और पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाता है. जब उन्होंने तीरंदाजी की ट्रेनिंग लेनी शुरू कि तो शुरुआत में तो वो धनुष तक नहीं उठा पाती थीं, क्योंकि भुजाहिन होने के कारण उन्हें अपने दाएं पैर से धनुष को उठाना पड़ता था. लेकिन निरंतर प्रयास और कुछ कर गुरजने के जज्बे के साथ वो मेहनत में जुटी रहीं और फिर सभी चीजें उनके लिए आसान होती चली गईं.

  • 2 year's before whn I visited to #SheetalDevi village in Loi Dhaar (Kishtwar), she totally surprised me by her actions.
    She was adopted by Indian Army 11 RR Col. Shishpal & thy mde efforts & tried to tie up with no. of NGO's.
    It ws difficult task bt nvr fr Army @NorthernComd_IA pic.twitter.com/b69zvkDaEl

    — Deepak Prem Thakur 🇮🇳 (@DeepakThakur_10) October 30, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

2 साल पहले शुरू की ट्रेनिंग
शीतल देवी का तीरंदाज के तौर पर सफर साल 2021 में शुरू हुआ, जब उन्होंने पहली बार किश्तवाड़ में भारतीय सेना की एक युवा प्रतियोगीता में भाग लिया था. शीतल ने अपनी काबिलियत और जज्बे की बदौलत सभी कोच को अपनी ओर आकर्षित किया. फिर शीतल को भारतीय सेना ने बचपन में ही गोद ले लिया. इसके बाद सेना ने उनके आर्टिफिशियल हाथ के लिए बैंगलोर में मेजर अक्षय गिरीश मेमोरियल ट्रस्ट से संपर्क किया, ट्रस्ट ने स्टोरीटेलिंग प्लेटफॉर्म Being You से संपर्क किया, लेकिन आर्टिफिशियल हाथ उन्हें फिट नहीं हो पाया. एक बार को तो ऐसा लगने लगा कि शीतल का करियर शुरू होने से पहले ही खत्म हो जाएगा लेकिन इसके बाद पाया गया कि उनके शरीर का ऊपरी हिस्सा बहुत मजबूत है. फिर उनके शरीर के ऊपरी हिस्सों को और अधिक मजबूत करने पर जोर दिया गया.

  • Impossible is Nothing. Still can't stop watching this continuously on loop and just be in awe of the inspiration that is #SheetalDevi, 16 yr old daughter of Shakti ji & Mann Singh Ji from a small village in Kishtwar, J&K.
    Worlds first armless female archer to win a Gold. Truly… pic.twitter.com/Yyu2Em0WKS

    — VVS Laxman (@VVSLaxman281) October 28, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

ट्रेनिंग के लिए कैसे हुई तैयारी
इसके बाद ये फैसला किया गया कि शीतल देवी कटरा में मौजूद श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड अकादमी में ट्रेनिंग लेंगी. जब शीतल अकादमी पहुंची और उन्होंने दूसरे पैरा तीरंदाजों को तीरंदाजी करते देखा तो वो इस खेल में आगे बढ़ने के लिए तैयार हो गईं. फिर उनके लिए एक विशेष धनुष तैयार कराया गया. जिसे वो पैर से आसानी से उठा सकें और कंधे से तीर को खींच सकें और ठोड़ी और मुंह को ट्रिगर की तरह इस्तेमाल कर तीर को चला सकें. कुछ माह के अंदर ही शीतल एक निपुण तीरंदाज बन गईं और पैरा के अलावा वो आम तीरंदाजों के साथ तक खेलने लगीं. उन्हें कोच अभिलाषा चौधरी और कुलदीप वेदवान ने ट्रेनिंग दी.

  • Proud of Sheetal Devi on her extraordinary Gold Medal in Archery Women's Individual Compound open event at the Asian Para Games. This achievement is a testament to her grit and determination. pic.twitter.com/4JtbxrmPY2

    — Narendra Modi (@narendramodi) October 27, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

कैसा रहा है शीतल का प्रदर्शन?
शीतल देवी ने जुलाई में पैरा विश्व तीरंदाजी चैम्पियनशिप में सिंगापुर की तीरंदाज अलीम नूर एस को 144.142 से हराकर गोल्ड मेडल जीता था. एशियाई पैरा खेलों 2023 में उन्होंने राकेश कुमार के साथ मिलकर मिश्रित कंपाउंड इवेंट में गोल्ड मेडल हासिल किया. टीम इवेंट में शीतल ने सिल्वर मेडल अपने नाम किया. वहीं, महिलाओं के व्यक्तिगत कंपाउंड वर्ग में भी शीतल ने गोल्ड मेडल पर अपना कब्जा जमाया. इस तरह शीतल ने पैरा खेलों के किसी एक संस्करण में दो गोल्ड मेडल हासिल करने वाली पहली महिला खिलाड़ी बनकर इतिहास रच दिया.

  • It is a Glorious Gold for our Para Archery Mixed Team.

    Congrats to Sheetal Devi and @RakeshK21328176 for their extraordinary performance.

    This glory is a testament to their precision, dedication and exceptional skills. pic.twitter.com/g5Pw5qdJl7

    — Narendra Modi (@narendramodi) October 26, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

मेरी कोई भी कार ले लो: आनंद महिंद्रा
एशियाई पैरा खेलों 2023 में 2 स्वर्ण सहित 3 मेडल अपने नाम करने वाली शीतल देवी को आनंद महिंद्रा ने अपनी कंपनी की कार देने की पेशकश की है. उन्होंने एक्स (जिसे पहले ट्विटर से जाना जाता था) पर पोस्ट करते हुए लिखा- 'मैं अपने जीवन में कभी भी छोटी-मोटी समस्याओं के बारे में शिकायत नहीं करूंगा. शीतल देवी आप हम सभी के लिए एक शिक्षक हैं. कृपया हमारी रेंज में से कोई भी कार आप अपने लिए चुनें और हम इसे आपकी सुविधा के अनुसार कस्टमाइज़ कर आपको तोहफे में देंगें'.

  • I will never,EVER again complain about petty problems in my life. #SheetalDevi you are a teacher to us all. Please pick any car from our range & we will award it to you & customise it for your use. pic.twitter.com/JU6DOR5iqs

    — anand mahindra (@anandmahindra) October 28, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

शीतल देवी की सफलता की कहानी हमें यह शिक्षा देती है कि अगर हम मन में कुछ करने की ठान लें और पूरी लग्न, मेहनत और जज्बे के साथ उसे हासिल करने के लिए जुट जाएं तो एक दिन हमें सफलता अवश्य मिल ही जाती है.

बिना दोनों हाथों के तीरंदाजी करने का कोई सपने में भी नहीं सोच सकता है. हिंदु पौराणिक कथाओं में वर्णन है कि अर्जुन से भी बड़ा धनुर्धर एकलव्य था. लेकिन गुरू द्रोणाचार्य ने उससे गुरु दक्षिणा में उसके दाएं हाथ का अंगूठा मांग लिया था, जो उसने काटकर उन्हें सौंप दिया और फिर कभी जीवन में तीर नहीं चला पाया. लेकिन, शीतल ने तो बिना दोनों हाथों के गोल्ड पर निशाना साधकर इतिहास रचा है.

  • A big round of applause to Sheetal Devi for seizing the gold🥇with her phenomenal talent in the Para Archery Women's Individual Compound Open event at the #AsianParaGames. You have proven the true spirit of our nation. The nation rejoices in your success. pic.twitter.com/QExcwoxDlx

    — Amit Shah (@AmitShah) October 27, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

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हैदराबाद : कौन कहता है कि आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों...! इस कहावत को चरितार्थ कर दिखाया है भारत की बिना हाथ वाली तीरंदाज शीतल देवी ने. जम्मू कश्मीर की रहने वाली 16 वर्षीय इस तीरंदाज ने हाल ही में चीन के हांगझाऊ में संपन्न हुए एशियाई पैरा खेलों 2023 में 3 मेडल जीतकर इतिहास रचा है. वो इन खेलों के एक ही संस्करण में 2 स्वर्ण पदक अपने नाम करने वाली पहली भारतीय महिला बन गई हैं. आज उन्होंने सफलता का मुकाम हासिल कर लिया है लेकिन उनका यहां तक का सफर बिल्कुल आसान नहीं रहा है.

आज हम आपको शीतल देवी की प्रेरणादायक कहानी बताने वाले हैं कि कैसे एक 16 साल की लड़की ने जम्मू कश्मीर के किश्तवाड़ के दूरस्थ इलाके से निकलकर चीन में भारत का परचम बुलंद कर दिया.

शीतल देवी का सफर
शीतल देवी का जन्म जम्मू कश्मीर के किश्तवाड़ जिले के दूरदराज गांव लोई धार में एक गरीब परिवार में हुआ था. शीतल के पिता खेतों में काम करते हैं और उनकी मां घर की 4-5 बकरियों को संभालती हैं. उनके जन्म से ही दोनों हाथ नहीं है. लेकिन 16 साल की भारत की इस बेटी के लिए दिव्यांगता अभिशाप नहीं बन पाई और शीतल दोनों बाजु के बिना ही अपनी छाती के सहारे दांतों और पैर से तीरंदाजी करने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी बन गई. साथ ही शीतल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने वाली बिना हाथों वाली पहली तीरंदाज भी हैं. हालांकि अब दुनिया में बिना हाथ वाले कुल 6 तिरंदाज आ चुके हैं.

फोकोमेलिया बीमारी से हैं पीड़ित
शीतल जन्म से ही फोकोमेलिया नाम की बीमारी से पीड़ित है. इस बीमारी में अंग अविकसित रहता है और पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाता है. जब उन्होंने तीरंदाजी की ट्रेनिंग लेनी शुरू कि तो शुरुआत में तो वो धनुष तक नहीं उठा पाती थीं, क्योंकि भुजाहिन होने के कारण उन्हें अपने दाएं पैर से धनुष को उठाना पड़ता था. लेकिन निरंतर प्रयास और कुछ कर गुरजने के जज्बे के साथ वो मेहनत में जुटी रहीं और फिर सभी चीजें उनके लिए आसान होती चली गईं.

  • 2 year's before whn I visited to #SheetalDevi village in Loi Dhaar (Kishtwar), she totally surprised me by her actions.
    She was adopted by Indian Army 11 RR Col. Shishpal & thy mde efforts & tried to tie up with no. of NGO's.
    It ws difficult task bt nvr fr Army @NorthernComd_IA pic.twitter.com/b69zvkDaEl

    — Deepak Prem Thakur 🇮🇳 (@DeepakThakur_10) October 30, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

2 साल पहले शुरू की ट्रेनिंग
शीतल देवी का तीरंदाज के तौर पर सफर साल 2021 में शुरू हुआ, जब उन्होंने पहली बार किश्तवाड़ में भारतीय सेना की एक युवा प्रतियोगीता में भाग लिया था. शीतल ने अपनी काबिलियत और जज्बे की बदौलत सभी कोच को अपनी ओर आकर्षित किया. फिर शीतल को भारतीय सेना ने बचपन में ही गोद ले लिया. इसके बाद सेना ने उनके आर्टिफिशियल हाथ के लिए बैंगलोर में मेजर अक्षय गिरीश मेमोरियल ट्रस्ट से संपर्क किया, ट्रस्ट ने स्टोरीटेलिंग प्लेटफॉर्म Being You से संपर्क किया, लेकिन आर्टिफिशियल हाथ उन्हें फिट नहीं हो पाया. एक बार को तो ऐसा लगने लगा कि शीतल का करियर शुरू होने से पहले ही खत्म हो जाएगा लेकिन इसके बाद पाया गया कि उनके शरीर का ऊपरी हिस्सा बहुत मजबूत है. फिर उनके शरीर के ऊपरी हिस्सों को और अधिक मजबूत करने पर जोर दिया गया.

  • Impossible is Nothing. Still can't stop watching this continuously on loop and just be in awe of the inspiration that is #SheetalDevi, 16 yr old daughter of Shakti ji & Mann Singh Ji from a small village in Kishtwar, J&K.
    Worlds first armless female archer to win a Gold. Truly… pic.twitter.com/Yyu2Em0WKS

    — VVS Laxman (@VVSLaxman281) October 28, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

ट्रेनिंग के लिए कैसे हुई तैयारी
इसके बाद ये फैसला किया गया कि शीतल देवी कटरा में मौजूद श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड अकादमी में ट्रेनिंग लेंगी. जब शीतल अकादमी पहुंची और उन्होंने दूसरे पैरा तीरंदाजों को तीरंदाजी करते देखा तो वो इस खेल में आगे बढ़ने के लिए तैयार हो गईं. फिर उनके लिए एक विशेष धनुष तैयार कराया गया. जिसे वो पैर से आसानी से उठा सकें और कंधे से तीर को खींच सकें और ठोड़ी और मुंह को ट्रिगर की तरह इस्तेमाल कर तीर को चला सकें. कुछ माह के अंदर ही शीतल एक निपुण तीरंदाज बन गईं और पैरा के अलावा वो आम तीरंदाजों के साथ तक खेलने लगीं. उन्हें कोच अभिलाषा चौधरी और कुलदीप वेदवान ने ट्रेनिंग दी.

  • Proud of Sheetal Devi on her extraordinary Gold Medal in Archery Women's Individual Compound open event at the Asian Para Games. This achievement is a testament to her grit and determination. pic.twitter.com/4JtbxrmPY2

    — Narendra Modi (@narendramodi) October 27, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

कैसा रहा है शीतल का प्रदर्शन?
शीतल देवी ने जुलाई में पैरा विश्व तीरंदाजी चैम्पियनशिप में सिंगापुर की तीरंदाज अलीम नूर एस को 144.142 से हराकर गोल्ड मेडल जीता था. एशियाई पैरा खेलों 2023 में उन्होंने राकेश कुमार के साथ मिलकर मिश्रित कंपाउंड इवेंट में गोल्ड मेडल हासिल किया. टीम इवेंट में शीतल ने सिल्वर मेडल अपने नाम किया. वहीं, महिलाओं के व्यक्तिगत कंपाउंड वर्ग में भी शीतल ने गोल्ड मेडल पर अपना कब्जा जमाया. इस तरह शीतल ने पैरा खेलों के किसी एक संस्करण में दो गोल्ड मेडल हासिल करने वाली पहली महिला खिलाड़ी बनकर इतिहास रच दिया.

  • It is a Glorious Gold for our Para Archery Mixed Team.

    Congrats to Sheetal Devi and @RakeshK21328176 for their extraordinary performance.

    This glory is a testament to their precision, dedication and exceptional skills. pic.twitter.com/g5Pw5qdJl7

    — Narendra Modi (@narendramodi) October 26, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

मेरी कोई भी कार ले लो: आनंद महिंद्रा
एशियाई पैरा खेलों 2023 में 2 स्वर्ण सहित 3 मेडल अपने नाम करने वाली शीतल देवी को आनंद महिंद्रा ने अपनी कंपनी की कार देने की पेशकश की है. उन्होंने एक्स (जिसे पहले ट्विटर से जाना जाता था) पर पोस्ट करते हुए लिखा- 'मैं अपने जीवन में कभी भी छोटी-मोटी समस्याओं के बारे में शिकायत नहीं करूंगा. शीतल देवी आप हम सभी के लिए एक शिक्षक हैं. कृपया हमारी रेंज में से कोई भी कार आप अपने लिए चुनें और हम इसे आपकी सुविधा के अनुसार कस्टमाइज़ कर आपको तोहफे में देंगें'.

  • I will never,EVER again complain about petty problems in my life. #SheetalDevi you are a teacher to us all. Please pick any car from our range & we will award it to you & customise it for your use. pic.twitter.com/JU6DOR5iqs

    — anand mahindra (@anandmahindra) October 28, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

शीतल देवी की सफलता की कहानी हमें यह शिक्षा देती है कि अगर हम मन में कुछ करने की ठान लें और पूरी लग्न, मेहनत और जज्बे के साथ उसे हासिल करने के लिए जुट जाएं तो एक दिन हमें सफलता अवश्य मिल ही जाती है.

बिना दोनों हाथों के तीरंदाजी करने का कोई सपने में भी नहीं सोच सकता है. हिंदु पौराणिक कथाओं में वर्णन है कि अर्जुन से भी बड़ा धनुर्धर एकलव्य था. लेकिन गुरू द्रोणाचार्य ने उससे गुरु दक्षिणा में उसके दाएं हाथ का अंगूठा मांग लिया था, जो उसने काटकर उन्हें सौंप दिया और फिर कभी जीवन में तीर नहीं चला पाया. लेकिन, शीतल ने तो बिना दोनों हाथों के गोल्ड पर निशाना साधकर इतिहास रचा है.

  • A big round of applause to Sheetal Devi for seizing the gold🥇with her phenomenal talent in the Para Archery Women's Individual Compound Open event at the #AsianParaGames. You have proven the true spirit of our nation. The nation rejoices in your success. pic.twitter.com/QExcwoxDlx

    — Amit Shah (@AmitShah) October 27, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

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Last Updated : Oct 30, 2023, 6:58 PM IST
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