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भारत के पूर्व टेबल टेनिस खिलाड़ी चंद्रशेखर का कोरोना से निधन

दिल्ली स्टेट टेबल टेनिस संघ के महासचिव और मुख्य चयनकर्ता तथा चीफ नेशनल कोच मनजीत दुआ ने आईएएनएस से कहा, "चंद्रा मुझसे दो साल जूनियर थे और एक शानदार व्यक्ति थे. तीन दिन पहले मैंने सुना था कि वह खतरे से बाहर हैं लेकिन फिर यह दुखद खबर सुनने को मिली."

India's table tennis tiger Chandrasekhar dead fighting Covid
India's table tennis tiger Chandrasekhar dead fighting Covid
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Published : May 13, 2021, 4:06 PM IST

Updated : May 13, 2021, 5:19 PM IST

चेन्नई: चंद्रा के नाम से मशहूर भारत के पूर्व टेबल टेनिस खिलाड़ी वी. चंद्रशेखर का कोरोना वायरस के कारण निधन हो गया। वह 63 वर्ष के थे.

चंद्रा कोरोना वायरस से संक्रमित थे और उनका यहां एक निजी अस्पताल में निधन हो गया.

दिल्ली स्टेट टेबल टेनिस संघ के महासचिव और मुख्य चयनकर्ता तथा चीफ नेशनल कोच मनजीत दुआ ने आईएएनएस से कहा, "चंद्रा मुझसे दो साल जूनियर थे और एक शानदार व्यक्ति थे. तीन दिन पहले मैंने सुना था कि वह खतरे से बाहर हैं लेकिन फिर यह दुखद खबर सुनने को मिली."

पूर्व नेशनल चैंपियन कमलेश मेहता ने आईएएनएस से कहा, "चंद्रा हमसे सीनियर खिलाड़ी थे और हम उनका मैच देखा करते थे. उनका टॉप स्पिन ड्राइव शानदार था। जब मैं पहली बार देश के लिए खेला तो चंद्रा मेरे कप्तान थे. पहली बार मैं राष्ट्रीय चैंपियनशिप के फाइनल में उनसे 0-3 से हार गया था और इसके अगले साल ही मैंने उन्हें 3-0 से हराकर यह खिताब जीता था."

उन्होंने कहा, "अपनी आखिरी सांस तक चंद्रा टेबल टेनिस से जुड़े रहे. विभिन्न कठिनाईयों के बावजूद उन्होंने इस खेल के लिए काफी योगदान दिया. वह लेजेंड थे. उन्हें एक फाइटर और बेहतरीन खिलाड़ी के रूप में याद किया जाएगा."

चंद्रा के नाम तीन राष्ट्रीय खिताब थे. वह राष्ट्रमंडल खेल में सेमीफाइनल तक गए थे और उन्हें अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था. वह बीए अर्थशास्त्र और लॉ में गोल्ड मेडलिस्ट थे.

चंद्रा ने एक बार आईएएनएस से कहा था, "1984 मेरे जीवन का महत्वपूर्ण साल था. मेरे सामने लॉ को करियर चुनने और टेबल टेनिस खेलना जारी रखने में से किसी एक को चुनना था जबकि मैं स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में काम करता था. मैंने सोचा कि इस बारे में फैसला विश्व चैंपियनशिप में भाग लेने के बाद लूंगा."

मेहता ने पहले आईएएनएस से कहा था, "उस वक्त टेबल टेनिस धीरे-धीरे पहचान बना रहा था. चंद्रा बेहतरीन और आकर्षित खिलाड़ियों में से एक थे. वह फाइटर थे और जोखिम उठाना जानते थे. खेल के कठिन समय में भी वह जोखिम उठाते और अपने विपक्षी खिलाड़ी को चित्त कर मैच जीत लेते थे."

एक अन्य सीनियर खिलाड़ी जी. जगन्नाथ के अनुसार, चंद्रा जब 12 वर्ष के थे तो वह बिना किसी तैयारी के लिए मैच खेलने आए और उन्होंने जीत हासिल की.

जगन्नाथ ने आईएएनएस से कहा, "उस लड़के ने मुझसे कहा था कि वह आसानी से मैच जीत सकता है. उसका आत्मविश्वास कमाल का था."

मनजीत ने कहा, "उनका आखिरी प्रोफेशनल मैच राष्ट्रीय जोनल चैंपियनशिप में मेरे खिलाफ था. मैच के बाद चंद्रा ने मुझसे कहा कि उनकी घुटने की सर्जरी होगी जिसके बाद वह वापसी करेंगे लेकिन वह वापसी नहीं कर सके."

चंद्रा अपोलो अस्पताल में घुटने की सर्जरी कराने गए थे लेकिन उन्होंने बोलने और देखने की क्षमता खो दी थी.

चंद्रा ने अस्पताल के खिलाफ अदालत में मामला लड़ा और अदालत ने उन्हें 16 लाख रूपये देने का फैसला सुनाया. चंद्रा ने योगा क्लासेस के जरिए रेहेबिलिटेशन प्रक्रिया शुरू की.

चंद्रा ने इसके बाद आने वाले खिलाड़ियों को ट्रेनिंग देने पर ध्यान केंद्रित किया और कोचिंग क्लासेस शुरू की. पहले उन्होंने वाईएमसीए, फिर डी.जी वैष्णव कॉलेज तथा एबीओए स्कूल में ट्रेनिंग दी. अंत में उन्होंने चंद्रा टीटी कोचिंग सेंटर खोला.

चेन्नई: चंद्रा के नाम से मशहूर भारत के पूर्व टेबल टेनिस खिलाड़ी वी. चंद्रशेखर का कोरोना वायरस के कारण निधन हो गया। वह 63 वर्ष के थे.

चंद्रा कोरोना वायरस से संक्रमित थे और उनका यहां एक निजी अस्पताल में निधन हो गया.

दिल्ली स्टेट टेबल टेनिस संघ के महासचिव और मुख्य चयनकर्ता तथा चीफ नेशनल कोच मनजीत दुआ ने आईएएनएस से कहा, "चंद्रा मुझसे दो साल जूनियर थे और एक शानदार व्यक्ति थे. तीन दिन पहले मैंने सुना था कि वह खतरे से बाहर हैं लेकिन फिर यह दुखद खबर सुनने को मिली."

पूर्व नेशनल चैंपियन कमलेश मेहता ने आईएएनएस से कहा, "चंद्रा हमसे सीनियर खिलाड़ी थे और हम उनका मैच देखा करते थे. उनका टॉप स्पिन ड्राइव शानदार था। जब मैं पहली बार देश के लिए खेला तो चंद्रा मेरे कप्तान थे. पहली बार मैं राष्ट्रीय चैंपियनशिप के फाइनल में उनसे 0-3 से हार गया था और इसके अगले साल ही मैंने उन्हें 3-0 से हराकर यह खिताब जीता था."

उन्होंने कहा, "अपनी आखिरी सांस तक चंद्रा टेबल टेनिस से जुड़े रहे. विभिन्न कठिनाईयों के बावजूद उन्होंने इस खेल के लिए काफी योगदान दिया. वह लेजेंड थे. उन्हें एक फाइटर और बेहतरीन खिलाड़ी के रूप में याद किया जाएगा."

चंद्रा के नाम तीन राष्ट्रीय खिताब थे. वह राष्ट्रमंडल खेल में सेमीफाइनल तक गए थे और उन्हें अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था. वह बीए अर्थशास्त्र और लॉ में गोल्ड मेडलिस्ट थे.

चंद्रा ने एक बार आईएएनएस से कहा था, "1984 मेरे जीवन का महत्वपूर्ण साल था. मेरे सामने लॉ को करियर चुनने और टेबल टेनिस खेलना जारी रखने में से किसी एक को चुनना था जबकि मैं स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में काम करता था. मैंने सोचा कि इस बारे में फैसला विश्व चैंपियनशिप में भाग लेने के बाद लूंगा."

मेहता ने पहले आईएएनएस से कहा था, "उस वक्त टेबल टेनिस धीरे-धीरे पहचान बना रहा था. चंद्रा बेहतरीन और आकर्षित खिलाड़ियों में से एक थे. वह फाइटर थे और जोखिम उठाना जानते थे. खेल के कठिन समय में भी वह जोखिम उठाते और अपने विपक्षी खिलाड़ी को चित्त कर मैच जीत लेते थे."

एक अन्य सीनियर खिलाड़ी जी. जगन्नाथ के अनुसार, चंद्रा जब 12 वर्ष के थे तो वह बिना किसी तैयारी के लिए मैच खेलने आए और उन्होंने जीत हासिल की.

जगन्नाथ ने आईएएनएस से कहा, "उस लड़के ने मुझसे कहा था कि वह आसानी से मैच जीत सकता है. उसका आत्मविश्वास कमाल का था."

मनजीत ने कहा, "उनका आखिरी प्रोफेशनल मैच राष्ट्रीय जोनल चैंपियनशिप में मेरे खिलाफ था. मैच के बाद चंद्रा ने मुझसे कहा कि उनकी घुटने की सर्जरी होगी जिसके बाद वह वापसी करेंगे लेकिन वह वापसी नहीं कर सके."

चंद्रा अपोलो अस्पताल में घुटने की सर्जरी कराने गए थे लेकिन उन्होंने बोलने और देखने की क्षमता खो दी थी.

चंद्रा ने अस्पताल के खिलाफ अदालत में मामला लड़ा और अदालत ने उन्हें 16 लाख रूपये देने का फैसला सुनाया. चंद्रा ने योगा क्लासेस के जरिए रेहेबिलिटेशन प्रक्रिया शुरू की.

चंद्रा ने इसके बाद आने वाले खिलाड़ियों को ट्रेनिंग देने पर ध्यान केंद्रित किया और कोचिंग क्लासेस शुरू की. पहले उन्होंने वाईएमसीए, फिर डी.जी वैष्णव कॉलेज तथा एबीओए स्कूल में ट्रेनिंग दी. अंत में उन्होंने चंद्रा टीटी कोचिंग सेंटर खोला.

Last Updated : May 13, 2021, 5:19 PM IST
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