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टखने में चोट के बावजूद मेरे दिमाग में हार नहीं मानने की बात चल रही थी : प्रणय - भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी

दुनिया के 13वें नंबर के खिलाड़ी रास्मस गेमके के खिलाफ प्रणय को कोर्ट पर फिसलने के कारण टखने में चोट भी लगी लेकिन इस भारतीय ने ‘मेडिकल टाइमआउट’ लेने के बाद मुकाबला जारी रखा. वह कोर्ट पर दर्द में दिख रहे थे लेकिन इस परेशानी के बावजूद उन्होंने 13-21 21-9 21-12 से जीत दर्ज कर भारत का नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज करा दिया.

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hs prannoy
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Published : May 14, 2022, 4:26 PM IST

Updated : May 14, 2022, 4:40 PM IST

बैकॉक: टखने में चोट के बाद भी अपने करियर की सबसे यादगार जीत में से एक दर्ज करने के बाद भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी एचएस प्रणय ने कहा कि किसी भी परिस्थिति में हार न मानने की मानसिकता ने उन्हें थॉमस कप सेमीफाइनल में डेनमार्क पर शानदार जीत के दौरान प्रेरित किया. प्रणय ने निर्णायक एकल मैच में शानदार प्रदर्शन किया जिससे भारतीय पुरुष टीम ने शुक्रवार को डेनमार्क पर 3-2 से जीत के साथ इतिहास रच दिया. भारतीय टीम पहली बार थॉमस कप के फाइनल में पहुंचने में सफल रही.

दुनिया के 13वें नंबर के खिलाड़ी रास्मस गेमके के खिलाफ प्रणय को कोर्ट पर फिसलने के कारण टखने में चोट भी लगी लेकिन इस भारतीय ने ‘मेडिकल टाइमआउट’ लेने के बाद मुकाबला जारी रखा. वह कोर्ट पर दर्द में दिख रहे थे लेकिन इस परेशानी के बावजूद उन्होंने 13-21 21-9 21-12 से जीत दर्ज कर भारत का नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज करा दिया.

यह भी पढ़ें: पूर्व चैम्पियन आमिर खान ने मुक्केबाजी से संन्यास की घोषणा की

प्रणय ने मुकाबले के बाद कहा, मानसिक रूप से मेरे दिमाग में बहुत सी बातें चल रही थीं. फिसलने के बाद मुझे सामान्य से अधिक दर्द महसूस हो रहा था और मैं ठीक से चल भी नहीं कर पा रहा था. मैं सोच रहा था कि ऐसी स्थिति में क्या करना है. उन्होंने कहा, मेरे दिमाग में हार नहीं मानने की बात चल रही थी, मैं बस कोशिश करके देखना चाहता था कि चीजें कैसी चल रही है. मैं प्रार्थना कर रहा था कि दर्द न बढ़े. मेरा दर्द दूसरे गेम के दौरान कम होने लगा था और तीसरे गेम के दौरान मैं काफी बेहतर महसूस कर रहा था.

भारतीय टीम 1979 के बाद से कभी भी सेमीफाइनल से आगे नहीं बढ़ सकी थी. लेकिन उसने जुझारू जज्बा दिखाते हुए 2016 के चैम्पियन डेनमार्क को हरा दिया. प्रणय ने कहा कि मेडिकल टाइमआउट के बाद कोर्ट में जाकर उनकी योजना अपने प्रतिद्वंद्वी पर दबाव बनाए रखने की थी और इसने उनके पक्ष में काम किया. उन्होंने कहा, हमने दूसरे और तीसरे गेम में जिस रणनीति का इस्तेमाल किया, वह बहुत महत्वपूर्ण था. रणनीति दबाव बनाए रखने की थी और मुझे पता था कि अगर मैं दूसरे हाफ में अच्छी बढ़त बनाता हूं तो मुकाबले में बने रहने का एक और मौका मिलेगा.

विश्व चैम्पियनशिप के रजत पदक विजेता किदाम्बी श्रीकांत तथा सात्विकसाईराज रंकीरेड्डी और चिराग शेट्टी की दुनिया की आठवें नंबर की युगल जोड़ी ने भारत को फाइनल की दौड़ में बनाये रखा लेकिन 2-2 की बराबरी के बाद एच एस प्रणय ने टीम को इतिहास रचने में मदद की. विश्व चैम्पियनशिप के कांस्य पदक विजेता लक्ष्य सेन के विक्टर एक्सेलसेन से हारने के बाद भारतीय टीम 0-1 से पिछड़ रही थी.

यह भी पढ़ें: सब-जूनियर राष्ट्रीय हॉकी: सेमीफाइनल में ओडिशा, झारखंड, यूपी और हरियाणा पहुंचे

रंकीरेड्डी और शेट्टी ने पहले युगल मुकाबले में जीत हासिल की. भारतीय जोड़ी ने दूसरे मैच में किम अस्ट्रूप और माथियास क्रिस्टियनसेन को 21-18 21-23 22-20 से हराकर भारत को 1-1 की बराबरी पर ला दिया. शेट्टी ने कहा, जब हम तीसरे गेम में पिछड़ रहे थे तब मुझे लगा था कि हमारा सफर यहीं खत्म हो जायेगा. हमारी किस्मत अच्छी थी कि हमें लय मिल गई. छठे मैच प्वाइंट पर मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूं. फिर मैंने हिम्मत जुटाकर फ्लिक सर्विस की और यह काम कर गया. भारतीय टीम रविवार को फाइनल में 14 बार के चैम्पियन इंडोनेशिया से भिड़ेगी.

बैकॉक: टखने में चोट के बाद भी अपने करियर की सबसे यादगार जीत में से एक दर्ज करने के बाद भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी एचएस प्रणय ने कहा कि किसी भी परिस्थिति में हार न मानने की मानसिकता ने उन्हें थॉमस कप सेमीफाइनल में डेनमार्क पर शानदार जीत के दौरान प्रेरित किया. प्रणय ने निर्णायक एकल मैच में शानदार प्रदर्शन किया जिससे भारतीय पुरुष टीम ने शुक्रवार को डेनमार्क पर 3-2 से जीत के साथ इतिहास रच दिया. भारतीय टीम पहली बार थॉमस कप के फाइनल में पहुंचने में सफल रही.

दुनिया के 13वें नंबर के खिलाड़ी रास्मस गेमके के खिलाफ प्रणय को कोर्ट पर फिसलने के कारण टखने में चोट भी लगी लेकिन इस भारतीय ने ‘मेडिकल टाइमआउट’ लेने के बाद मुकाबला जारी रखा. वह कोर्ट पर दर्द में दिख रहे थे लेकिन इस परेशानी के बावजूद उन्होंने 13-21 21-9 21-12 से जीत दर्ज कर भारत का नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज करा दिया.

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प्रणय ने मुकाबले के बाद कहा, मानसिक रूप से मेरे दिमाग में बहुत सी बातें चल रही थीं. फिसलने के बाद मुझे सामान्य से अधिक दर्द महसूस हो रहा था और मैं ठीक से चल भी नहीं कर पा रहा था. मैं सोच रहा था कि ऐसी स्थिति में क्या करना है. उन्होंने कहा, मेरे दिमाग में हार नहीं मानने की बात चल रही थी, मैं बस कोशिश करके देखना चाहता था कि चीजें कैसी चल रही है. मैं प्रार्थना कर रहा था कि दर्द न बढ़े. मेरा दर्द दूसरे गेम के दौरान कम होने लगा था और तीसरे गेम के दौरान मैं काफी बेहतर महसूस कर रहा था.

भारतीय टीम 1979 के बाद से कभी भी सेमीफाइनल से आगे नहीं बढ़ सकी थी. लेकिन उसने जुझारू जज्बा दिखाते हुए 2016 के चैम्पियन डेनमार्क को हरा दिया. प्रणय ने कहा कि मेडिकल टाइमआउट के बाद कोर्ट में जाकर उनकी योजना अपने प्रतिद्वंद्वी पर दबाव बनाए रखने की थी और इसने उनके पक्ष में काम किया. उन्होंने कहा, हमने दूसरे और तीसरे गेम में जिस रणनीति का इस्तेमाल किया, वह बहुत महत्वपूर्ण था. रणनीति दबाव बनाए रखने की थी और मुझे पता था कि अगर मैं दूसरे हाफ में अच्छी बढ़त बनाता हूं तो मुकाबले में बने रहने का एक और मौका मिलेगा.

विश्व चैम्पियनशिप के रजत पदक विजेता किदाम्बी श्रीकांत तथा सात्विकसाईराज रंकीरेड्डी और चिराग शेट्टी की दुनिया की आठवें नंबर की युगल जोड़ी ने भारत को फाइनल की दौड़ में बनाये रखा लेकिन 2-2 की बराबरी के बाद एच एस प्रणय ने टीम को इतिहास रचने में मदद की. विश्व चैम्पियनशिप के कांस्य पदक विजेता लक्ष्य सेन के विक्टर एक्सेलसेन से हारने के बाद भारतीय टीम 0-1 से पिछड़ रही थी.

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रंकीरेड्डी और शेट्टी ने पहले युगल मुकाबले में जीत हासिल की. भारतीय जोड़ी ने दूसरे मैच में किम अस्ट्रूप और माथियास क्रिस्टियनसेन को 21-18 21-23 22-20 से हराकर भारत को 1-1 की बराबरी पर ला दिया. शेट्टी ने कहा, जब हम तीसरे गेम में पिछड़ रहे थे तब मुझे लगा था कि हमारा सफर यहीं खत्म हो जायेगा. हमारी किस्मत अच्छी थी कि हमें लय मिल गई. छठे मैच प्वाइंट पर मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूं. फिर मैंने हिम्मत जुटाकर फ्लिक सर्विस की और यह काम कर गया. भारतीय टीम रविवार को फाइनल में 14 बार के चैम्पियन इंडोनेशिया से भिड़ेगी.

Last Updated : May 14, 2022, 4:40 PM IST
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