नई दिल्ली: भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) ने बुधवार को कहा कि उसे सरकार से आश्वासन मिला है कि घातक कोरोना वायरस से जुड़े खतरे के बावजूद चीन के पहलवानों को आगामी एशियाई चैंपियनशिप के लिए देश में आने से नहीं रोका जाएगा.
भारत सरकार ने चीन के लोगों के लिए ई-वीजा की सुविधा निलंबित कर दी है क्योंकि इस विषाणु के फैलने का डर है जिसके कारण अब तक 490 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है.
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डब्ल्यूएफआई को चैंपियनशिप के लिए चीन के 40 सदस्यीय मजबूत दल के आने की उम्मीद है. विदेश मामलों के मंत्रालय से आश्वासन के बाद इस टूर्नामेंट का आयोजन 18 से 23 फरवरी तक किया जाएगा.
डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह ने कहा कि उन्होंने विदेश मंत्रालय से आग्रह किया है कि पाकिस्तान के पहलवानों को भी वीजा सुनिश्चित किया जाए. शरण ने कहा, 'आज मैं विदेश मंत्री से मिला और मुझे पूरी उम्मीद है कि कोई परेशानी नहीं आएगी. दोनों देशों के पहलवानों के हिस्सा लेने की उम्मीद है.'
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उन्होंने कहा, 'उन्होंने मुझे आश्वासन दिया है कि कोई समस्या नहीं होगी. चर्चा के बाद मुझे नहीं लगता कि कोई समस्या होने वाली है.'
चीन कुश्ती महासंघ (सीडब्ल्यूए) ने डब्ल्यूएफआई को पत्र लिखकर आग्रह किया था कि उनके पहलवानों की चैंपियनशिप में हिस्सा लेने में मदद की जाए.
शरण ने कहा, 'चीन महासंघ ने आग्रह करते हुए हमें पत्र लिखा कि 40 पहलवानों का परीक्षण किया गया है और इनमें से कोई भी विषाणु के लिए पॉजीटिव नहीं पाया गया है. उन्हें अलग रखा गया है.'
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डब्ल्यूएफआई ने हालांकि स्पष्ट किया है कि चीन के पहलवानों को उस प्रोटोकाल से गुजरना होगा जिसे इस विषाणु के संक्रमण की पहचान करने के लिए तय किया गया है. उन्होंने कहा, 'सभी पहलवानों को सभी ऐहतियाती कदमों से गुजरना होगा.'
शरण ने साथ ही कहा कि अगर चीन के पहलवान विषाणु से संक्रमित नहीं पाए जाते हैं तो कोई भी पहलवान उनके खिलाफ खेलने से इनकार नहीं कर सकता.
उन्होंने कहा, 'समस्या चीन के एक-दो शहरों में है. पूरे देश में ऐसा नहीं है. अगर पहलवानों के चीन में सभी परीक्षण होते हैं और फिर हमारी सरकार के परीक्षणों में भी वे पाजीटिव नहीं पाए जाते तो फिर कोई खिलाड़ी नहीं कह सकता कि वह वहां से आए हैं और हमें उनके खिलाफ नहीं उतरेंगे.'
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डब्ल्यूएफआई को कुश्ती की वैश्विक संस्था यूनाईटेड वर्ल्ड रेस्लिंग (यूडब्ल्यूडब्ल्यू) का भी पत्र मिला है जिसमें चेताया गया है कि किसी भी देश को प्रतिनिधित्व से महरूम नहीं किया जाना चाहिए.
अगर भारत वीजा देने से इनकार करता है तो देश पर टूर्नामेंटों की मेजबानी से प्रतिबंध लगने का खतरा है. पिछले साल नई दिल्ली में प्रतियोगिता के लिए दो पाकिस्तानी निशानेबाजों को वीजा देने से इनकार किए जाने के बाद अंतराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) ने भविष्य में प्रतियोगिताओं की मेजबानी के लिए भारत के सभी आवेदनों को निलंबित कर दिया था.
उन्होंने कहा , 'यूडब्ल्यूडब्ल्यू ने भी हमें लिखा है कि किसी भी देश के पहलवानों को वीजा मिलने में दिक्कत नहीं होनी चाहिए क्योंकि यह अनिवार्य टूर्नामेंट है. जब हमें टूर्नामेंट का आवंटन किया गया था तो हमें उन्हें आश्वासन देना था कि हम किसी देश को प्रतिनिधित्व से नहीं रोकेंगे.'