नई दिल्ली: अनुभवी भारतीय गोल्फर जीव मिल्खा सिंह ने खुलासा किया है कि 1990 के दशक की शुरूआत में उनके माता-पिता का एक फोन कॉल, उनके खेल करियर के सबसे बड़े फैसलों में से एक था. जीव जब नौ साल के थे तब उनके पिता ने उन्हें गोल्फ से रूबरू कराया था. बाद में भारतीय राष्ट्रीय टीम का प्रतिनिधित्व करने के बाद उन्हें अमेरिका में गोल्फ स्कॉलरशिप मिली थी.
अमेरिका में एक यूनिवर्सिटी में गोल्फ टीम के लिए खेलते हुए उन्होंने पेशेवर खेल खेलने की इच्छा जाहिर की, लेकिन इसके लिए उन्हें परिवार से मंजूरी मिलनी जरूरी थी.
एशियन टूर डॉट कॉम ने जीव के हवाले से कहा, "मुझे बड़ा फैसला लेना था और मैंने फोन उठाया तथा अपने माता-पिता से बात की."
उन्होंने कहा, "मेरे पिताजी ने मुझसे कहा, 'तुम जानते हो, आगे बढ़ो, लेकिन 5-10 साल बाद मेरे पास वापस मत आना' उन्होंने स्पष्ट रूप से मुझे सही मार्गदर्शन दिया."
जीव द्वारा यह एक समझदारी भरा कदम था, क्योंकि जीव के पिता मिल्खा सिंह भारत के सबसे बड़े स्प्रिंटर धावक थे और उनकी मां निर्मल कौर, भारतीय महिला वॉलीबॉल टीम की पूर्व कप्तान थी.
मिल्खा ने कहा, "वास्तव में हम उन्हें डॉक्टर बनाना चाहते थे. लेकिन उन्होंने कहा, 'नहीं, मैं गोल्फ खेलना चाहता हूं'. इसके बाद मैंने कहा कि अगर आप गोल्फ खेलना चाहते हैं तो आपको दिन-रात काम करना होगा. मैं आपको दुनिया में नंबर वन गोल्फर देखना चाहता हूं."
जीव 1993 में पेशेवर गोल्फर बने थे और फिर इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.
जीव ने कहा, "मेरी प्रेरणा मेरे पिता से बड़े हो रहे थे. भारत में बहुत से लोगों का कहना था कि आप मिल्खा परिवार से आते हैं, आप पर बहुत दबाव है."
जीव ने दो बार एशियन टूर ऑर्डर ऑफ मेरिट का खिताब जीतकर पेशेवर बनने के अपने निर्णय को सही ठहराया है. इसके अलावा उन्होंने पांच बार एशियाई टूर और चार-चार बार यूरोपियन टूर तथा जापान गोल्फ टूर खिताब जीता है.