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ये गोलकीपर अब भाजपा के लिए 'गोल' करने को तैयार

फुटबॉल खिलाड़ी के तौर अपने कॅरियर में कई गोल बचाने को लेकर अपनी सुरक्षात्मक रणनीति के लिए पहचाने जाने वाले कल्याण चौबे अब चुनाव के मैदान में आक्रामक रणनीति के साथ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए गोल दागने को तैयार हैं. राजनीति के मैदान में उतरे कल्याण चौबे का ये पहला चुनाव है.

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Published : Apr 27, 2019, 7:12 PM IST

कृष्णानगर : भाजपा ने पश्चिम बंगाल के कृष्णानगर लोकसभा क्षेत्र से उनको चुनाव मैदान में उतारा है. 42 वर्षीय चौबे कहते हैं कि रोजाना 17-18 घंटे कड़ी मेहनत कर रहे हैं. वे खासतौर से ग्रामीण क्षेत्र के मतदाताओं को रिझाने के लिए रोज 150-200 किलोमीटर का सफर तय करते हैं. इस संसदीय क्षेत्र में 29 अप्रैल को मतदान होगा.

राजनीति के बारे में क्या रखते हैं राय

भाजपा प्रत्याशी कल्याण चौबे ने मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में कहा,"ये पहला चुनावी मैदान ज्यादा प्रस्पर्धी है. फुटबॉल में नियम और कायदे होते हैं और समय भी निर्धारित होता है, लेकिन राजनीति में ऐसा नहीं है. यहां आपके प्रतिद्वंद्वी हमेशा हमला कर कमर तोड़ने की फिराक में रहते हैं." चौबे 1994-2006 के दौरान विभिन्न आयु वर्ग व भारत की सीनियर टीम में राष्ट्रीय स्तर के फुटबॉल खिलाड़ी के तौर पर चर्चित रहे हैं.

फुटबॉल में 11 खिलाड़ियों से मुकाबला करने वाले चौबे का मुख्य मुकाबला तृणमूल कांग्रेस के तेजतर्रार पूर्व निवेश बैंकर महुआ मोइत्रा, मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के शांतनु झा और कांग्रेस के इंताज अली शाह से ऐसी सीट पर है, जिस पर 1999 में भाजपा उम्मीदवार सत्यब्रत मुखर्जी विजयी रहे थे. इलाके में वह जुलु बाबू के उपनाम से ज्यादा लोकप्रिय थे.

ये उम्मीदवार देंगे कड़ी चुनौती

कृष्णानगर ऐसी सीट है, जिसे पश्चिम बंगाल में भाजपा ने असल चुनाव रणनीति 2019 में ग्राउंड जीरो यानी गतिविधि का आधार बनाया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह दोनों ने चौबे के लिए चुनाव प्रचार किया है.

इस सीट से 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी रहे जुलु बाबू (86) से आधी उम्र के चौबे को प्रत्याशी बनाए जाने पर शुरू में जुलु बाबू अपनी नाराजगी नहीं छिपा पाए, लेकिन उम्मीदवार बनने के बाद चौबे ने जब उन्हें फोन किया तो वे मान गए.

चौबे ने कहा,"उन्होंने मुझे आशीर्वाद दिया और उन्होंने मेरे लिए सभी सात विधानसभा क्षेत्रों में जाकर मेरे लिए वोट मांगे." चौबे 2015 में भाजपा में शामिल हुए थे.

कल्याण चौबे
कल्याण चौबे

यह भी पढ़ें- स्वर्ण तक का सफर पूजा रानी के लिए नहीं था आसान, जानिए पूजा ने क्या कहा..

फुटबॉल से संन्यास के बाद ये सब किया

खेल से संन्यास लेने के बाद उन्होंने कई क्षेत्रों में काम किया है. वे फुटबॉल प्रशासक रहे हैं और चार फुटबॉल एकेडमी का संचालन किए हैं. इसके अलावा, उन्होंने प्रतिभाओं का तराशने के लिए भारतीय व विदेशी एजेंसियों के साथ काम किया है और लक्मे फैशन शो के रैंप पर भी उतर चुके हैं. उन्होंने शिरडी साई बाबा के जीवन पर लिखी गई एक किताब का अनुवाद करने के साथ-साथ बंगाली में एक उपन्यास अपूर्णितो लिखा है.

अत्यंत धार्मिक प्रकृति के चौबे ने कहा, "ईश्वर ने मुझे जिंदगी दी है और मेरा मानना है कि जिंदगी जिस दिशा में ले जाएगी, उस दिशा में जाना होगा." अभिनेता से राजनेता बने तृणमूल कांग्रेस के तापस पॉल पिछले दो चुनावों में यहां से विजयी रहे हैं, लेकिन इस बार नफरत वाले बयान और रोज वैली पोंजी घोटाले में गिरफ्तारी की वजह से उनको टिकट नहीं मिला है.

कृष्णानगर : भाजपा ने पश्चिम बंगाल के कृष्णानगर लोकसभा क्षेत्र से उनको चुनाव मैदान में उतारा है. 42 वर्षीय चौबे कहते हैं कि रोजाना 17-18 घंटे कड़ी मेहनत कर रहे हैं. वे खासतौर से ग्रामीण क्षेत्र के मतदाताओं को रिझाने के लिए रोज 150-200 किलोमीटर का सफर तय करते हैं. इस संसदीय क्षेत्र में 29 अप्रैल को मतदान होगा.

राजनीति के बारे में क्या रखते हैं राय

भाजपा प्रत्याशी कल्याण चौबे ने मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में कहा,"ये पहला चुनावी मैदान ज्यादा प्रस्पर्धी है. फुटबॉल में नियम और कायदे होते हैं और समय भी निर्धारित होता है, लेकिन राजनीति में ऐसा नहीं है. यहां आपके प्रतिद्वंद्वी हमेशा हमला कर कमर तोड़ने की फिराक में रहते हैं." चौबे 1994-2006 के दौरान विभिन्न आयु वर्ग व भारत की सीनियर टीम में राष्ट्रीय स्तर के फुटबॉल खिलाड़ी के तौर पर चर्चित रहे हैं.

फुटबॉल में 11 खिलाड़ियों से मुकाबला करने वाले चौबे का मुख्य मुकाबला तृणमूल कांग्रेस के तेजतर्रार पूर्व निवेश बैंकर महुआ मोइत्रा, मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के शांतनु झा और कांग्रेस के इंताज अली शाह से ऐसी सीट पर है, जिस पर 1999 में भाजपा उम्मीदवार सत्यब्रत मुखर्जी विजयी रहे थे. इलाके में वह जुलु बाबू के उपनाम से ज्यादा लोकप्रिय थे.

ये उम्मीदवार देंगे कड़ी चुनौती

कृष्णानगर ऐसी सीट है, जिसे पश्चिम बंगाल में भाजपा ने असल चुनाव रणनीति 2019 में ग्राउंड जीरो यानी गतिविधि का आधार बनाया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह दोनों ने चौबे के लिए चुनाव प्रचार किया है.

इस सीट से 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी रहे जुलु बाबू (86) से आधी उम्र के चौबे को प्रत्याशी बनाए जाने पर शुरू में जुलु बाबू अपनी नाराजगी नहीं छिपा पाए, लेकिन उम्मीदवार बनने के बाद चौबे ने जब उन्हें फोन किया तो वे मान गए.

चौबे ने कहा,"उन्होंने मुझे आशीर्वाद दिया और उन्होंने मेरे लिए सभी सात विधानसभा क्षेत्रों में जाकर मेरे लिए वोट मांगे." चौबे 2015 में भाजपा में शामिल हुए थे.

कल्याण चौबे
कल्याण चौबे

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फुटबॉल से संन्यास के बाद ये सब किया

खेल से संन्यास लेने के बाद उन्होंने कई क्षेत्रों में काम किया है. वे फुटबॉल प्रशासक रहे हैं और चार फुटबॉल एकेडमी का संचालन किए हैं. इसके अलावा, उन्होंने प्रतिभाओं का तराशने के लिए भारतीय व विदेशी एजेंसियों के साथ काम किया है और लक्मे फैशन शो के रैंप पर भी उतर चुके हैं. उन्होंने शिरडी साई बाबा के जीवन पर लिखी गई एक किताब का अनुवाद करने के साथ-साथ बंगाली में एक उपन्यास अपूर्णितो लिखा है.

अत्यंत धार्मिक प्रकृति के चौबे ने कहा, "ईश्वर ने मुझे जिंदगी दी है और मेरा मानना है कि जिंदगी जिस दिशा में ले जाएगी, उस दिशा में जाना होगा." अभिनेता से राजनेता बने तृणमूल कांग्रेस के तापस पॉल पिछले दो चुनावों में यहां से विजयी रहे हैं, लेकिन इस बार नफरत वाले बयान और रोज वैली पोंजी घोटाले में गिरफ्तारी की वजह से उनको टिकट नहीं मिला है.

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ये गोलकीपर अब भाजपा के लिए 'गोल' करने को तैयार





कृष्णानगर : फुटबॉल खिलाड़ी के तौर अपने कॅरियर में कई गोल बचाने को लेकर अपनी सुरक्षात्मक रणनीति के लिए पहचाने जाने वाले कल्याण चौबे अब चुनाव के मैदान में आक्रामक रणनीति के साथ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए गोल दागने को तैयार हैं. राजनीति के मैदान में उतरे कल्याण चौबे का ये पहला चुनाव है.

भाजपा ने पश्चिम बंगाल के कृष्णानगर लोकसभा क्षेत्र से उनको चुनाव मैदान में उतारा है. 42 वर्षीय चौबे कहते हैं कि रोजाना 17-18 घंटे कड़ी मेहनत कर रहे हैं. वे खासतौर से ग्रामीण क्षेत्र के मतदाताओं को रिझाने के लिए रोज 150-200 किलोमीटर का सफर तय करते हैं. इस संसदीय क्षेत्र में 29 अप्रैल को मतदान होगा.

राजनीति के बारे में क्या रखते हैं राय

भाजपा प्रत्याशी कल्याण चौबे ने मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में कहा,"ये पहला चुनावी मैदान ज्यादा प्रस्पर्धी है. फुटबॉल में नियम और कायदे होते हैं और समय भी निर्धारित होता है, लेकिन राजनीति में ऐसा नहीं है. यहां आपके प्रतिद्वंद्वी हमेशा हमला कर कमर तोड़ने की फिराक में रहते हैं."

चौबे 1994-2006 के दौरान विभिन्न आयु वर्ग व भारत की सीनियर टीम में राष्ट्रीय स्तर के फुटबॉल खिलाड़ी के तौर पर चर्चित रहे हैं.

फुटबॉल में 11 खिलाड़ियों से मुकाबला करने वाले चौबे का मुख्य मुकाबला तृणमूल कांग्रेस के तेजतर्रार पूर्व निवेश बैंकर महुआ मोइत्रा, मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के शांतनु झा और कांग्रेस के इंताज अली शाह से ऐसी सीट पर है, जिस पर 1999 में भाजपा उम्मीदवार सत्यब्रत मुखर्जी विजयी रहे थे. इलाके में वह जुलु बाबू के उपनाम से ज्यादा लोकप्रिय थे.

ये उम्मीदवार देंगे कड़ी चुनौती

कृष्णानगर ऐसी सीट है, जिसे पश्चिम बंगाल में भाजपा ने असल चुनाव रणनीति 2019 में ग्राउंड जीरो यानी गतिविधि का आधार बनाया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह दोनों ने चौबे के लिए चुनाव प्रचार किया है.

इस सीट से 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी रहे जुलु बाबू (86) से आधी उम्र के चौबे को प्रत्याशी बनाए जाने पर शुरू में जुलु बाबू अपनी नाराजगी नहीं छिपा पाए, लेकिन उम्मीदवार बनने के बाद चौबे ने जब उन्हें फोन किया तो वे मान गए.

चौबे ने कहा,"उन्होंने मुझे आशीर्वाद दिया और उन्होंने मेरे लिए सभी सात विधानसभा क्षेत्रों में जाकर मेरे लिए वोट मांगे." चौबे 2015 में भाजपा में शामिल हुए थे.

फुटबॉल से संन्यास के बाद ये सब किया

खेल से संन्यास लेने के बाद उन्होंने कई क्षेत्रों में काम किया है. वे फुटबॉल प्रशासक रहे हैं और चार फुटबॉल एकेडमी का संचालन किए हैं. इसके अलावा, उन्होंने प्रतिभाओं का तराशने के लिए भारतीय व विदेशी एजेंसियों के साथ काम किया है और लक्मे फैशन शो के रैंप पर भी उतर चुके हैं. उन्होंने शिरडी साई बाबा के जीवन पर लिखी गई एक किताब का अनुवाद करने के साथ-साथ बंगाली में एक उपन्यास अपूर्णितो लिखा है.

अत्यंत धार्मिक प्रकृति के चौबे ने कहा, "ईश्वर ने मुझे जिंदगी दी है और मेरा मानना है कि जिंदगी जिस दिशा में ले जाएगी, उस दिशा में जाना होगा."

अभिनेता से राजनेता बने तृणमूल कांग्रेस के तापस पॉल पिछले दो चुनावों में यहां से विजयी रहे हैं, लेकिन इस बार नफरत वाले बयान और रोज वैली पोंजी घोटाले में गिरफ्तारी की वजह से उनको टिकट नहीं मिला है.


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