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रोहित की टीम 40 साल बाद तीसरा खिताब कर सकती है अपने नाम, उससे पहले 1983 और 2011 के सफर पर डालिए एक नजर

रोहित शर्मा की कप्तानी में टीम इंडिया 19 नवंबर को अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में आईसीसी विश्व कप 2023 का फाइनल मैच ऑस्ट्रेलिया के साथ खेलने वाली है. ये भारतीय टीम का चौथा वनडे विश्व कप फाइनल है. तो आइए इससे पहले 1983 और 2011 की शानदार जीत पर एक नजर डालते हैं.

Indian Cricket Team
भारतीय क्रिकेट टीम
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By IANS

Published : Nov 18, 2023, 6:05 PM IST

Updated : Nov 18, 2023, 6:11 PM IST

नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट इतिहास में 25 जून, 1983, 23 मार्च 2003 और 2 अप्रैल, 2011 की तारीखों को हमेशा यादा रखा जाएगा. इन तारीकों को भारत ने वनडे विश्व कप का फाइनल मैच खेला था. इन तीन वर्षों में हमने दो बार ट्रॉफी पर कब्जा जमाया जबकि 2003 में रिकी पोंटिंग की अगुवाई वाली ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भारत को हार का सामना करना पड़ा था. अब रविवार ,19 नवंबर 2023 को भारत के पास अपना पुराना हिसाब चुकता करने का मौका है, क्योंकि एक बार फिर वर्ल्ड कप 2023 के खिताबी मुकाबले में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच टक्कर होगी.

Team wins Two World Cup title
भारतीय टीम ने जीते 2 वर्ल्ड कप टाइटल

इस टूर्नामेंट में इन दोनों टीमों का सफर भी एक दूसरे के खिलाफ शुरु हुआ था, जहां जीत भारत की हुई थी.दिलचस्प बात यह है कि 1983 में इंग्लैंड में अपनी खिताबी जीत के दौरान कपिल देव की अगुवाई वाली टीम ने गत चैंपियन वेस्टइंडीज पर 34 रनों की जीत के साथ अपने अभियान की शुरुआत की और 25 जून को लॉर्ड्स में एक यादगार दिन उसी टीम को 43 रनों से हराकर ट्रॉफी जीती. क्या रविवार को अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में इतिहास खुद को दोहरा सकता है? कप्तान रोहित शर्मा के नेतृत्व में भारत ने सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड को 70 रनों से हराकर फाइनल में प्रवेश किया. यह आईसीसी इवेंट में नॉकआउट मैच में कीवी टीम पर उनकी पहली जीत और लगातार 10वीं जीत थी,

1983 की शानदार जीत पर एक नजर
प्रूडेंशियल कप में प्रतिस्पर्धा करने वाली शीर्ष आठ टीमों में वेस्टइंडीज, ऑस्ट्रेलिया, मेजबान इंग्लैंड, पाकिस्तान, न्यूजीलैंड, भारत, श्रीलंका और जिम्बाब्वे शामिल थे. भारत ने सभी बाधाओं के बावजूद दो बार के गत चैंपियन वेस्टइंडीज को हराकर अपने अभियान की शुरुआत की और एक उल्लेखनीय यात्रा की नींव रखी. हालांकि, पहले मुकाबलों में वेस्टइंडीज ने भारत को 66 रनों से हरा दिया. फिर 18 जून को टुनब्रिज वेल्स में जिम्बाब्वे के खिलाफ टूर्नामेंट का मैच आया. जब टीम 9/4 पर थी तब इस संकट के बीच कपिल देव ने भारत के 266/8 के कुल स्कोर में से नाबाद 175 रन बनाए, जिसे जिम्बाब्वे हासिल करने में मामूली अंतर से असफल रहा और 31 रन से हार गया.

इस महत्वपूर्ण जीत ने ग्रुप बी में वेस्टइंडीज के बाद दूसरे स्थान पर रहकर सेमीफाइनल में भारत की जगह सुनिश्चित कर दी. भारत ने सेमीफाइनल में ओल्ड ट्रैफर्ड में इंग्लैंड को हराया और मेजबान टीम को 213 रनों पर रोक दिया. मोहिंदर अमरनाथ के हरफनमौला प्रदर्शन (2/27 और 46) ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई क्योंकि भारत ने 6 विकेट से जीत दर्ज करके फ़ाइनल में अपनी जगह पक्की कर ली. भारत की 25 जून को वेस्टइंडीज से फाइनल में लॉर्ड्स पर टक्कर हुई. अ

वेस्टइंडीज को लगातार तीसरी बार कप जीतने का प्रबल दावेदार माना जा रहा था. पहले बल्लेबाजी करने उतरी भारत की शुरुआत खराब रही और सुनील गावस्कर 2 रन पर एंडी रॉबर्ट्स का शिकार बन गए. कृष्णमाचारी श्रीकांत और अमरनाथ के बीच एक संक्षिप्त साझेदारी ने टीम को 50 रन के पार पहुंचाया. इससे पहले भारत ने यशपाल शर्मा, कपिल के साथ कुछ विकेट जल्दी खो दिए. इस तरह भारत 111/6 पर छह विकेट खो चुका था. इसके बाद संदीप पाटिल और मदन लाल के कुछ उपयोगी योगदान ने भारत को 183 रन बनाने में मदद की. हालांकि मजबूत विंडीज़ लाइन-अप के लिए लक्ष्य बहुत छोटा लग रहा था.

जवाब में वेस्टइंडीज ने शुरुआती विकेट खो दिए. बलविंदर संधू ने गॉर्डन ग्रीनिज को बोल्ड कर दिया. एक छोटी साझेदारी के बाद मदल लाल ने डेसमंड हेन्स और विवियन रिचर्ड्स को आउट किया. देखते ही देखते मौजूदा चैंपियन का स्कोर 57/3 हो गया. तब से, विंडीज़ नियमित अंतराल पर विकेट खोती रही और अंत में जीत भारत की हुई.

2011 वानखेड़े की जीत
1983 में खिताबी जीत के बाद भारत विश्व कप में ज्यादा सफल नहीं रहा. 1987 में घरेलू मैदान पर इंग्लैंड के हाथों सेमीफाइनल में हार के नौ साल बाद कोलकाता में उसी चरण में श्रीलंका के खिलाफ खराब प्रदर्शन और जोहान्सबर्ग में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ फाइनल में दिल टूटने से फैंस परेशान थे कि स्थिति कब बदलेगी. लेकिन समय बदला और साल 2011 में भारत ने वर्ल्ड कप पर कब्जा जमाया.

भारत ने 2011 में श्रीलंका और बांग्लादेश के साथ संयुक्त रूप से विश्व कप की मेजबानी की. भारत ने ग्रुप ए में दक्षिण अफ्रीका के बाद दूसरे स्थान पर रहकर क्वार्टर फाइनल के लिए क्वालीफाई किया. सचिन तेंदुलकर, गौतम गंभीर और युवराज सिंह के अर्धशतकों की मदद से एम.एस.धोनी की टीम ने अहमदाबाद में छह विकेट से जीत हासिल कर क्वार्टर फाइनल में तीन बार के गत चैंपियन ऑस्ट्रेलिया को मात दी.

मोहाली में चिर-प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान के खिलाफ बहुप्रतीक्षित सेमीफाइनल में एक मैच जिसमें दोनों देशों के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और यूसुफ रजा गिलानी स्टैंड में मौजूद थे. भारत ने सचिन तेंदुलकर के 85 रनों की मदद से 29 रन से जीत दर्ज की और श्रीलंका के साथ फाइनल में जगह बनाई. फिर, 2 अप्रैल को मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में कुमारा संगकारा ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया. धीमी शुरुआत के बाद संगकारा ने 48 रन पर आउट होने से पहले माहेला जयवर्धने के साथ 62 रन जोड़े. लेकिन नियमित अंतराल पर विकेट खोने के बावजूद, जयवर्धने ने 103 रनों की तेज़ पारी खेलकर श्रीलंका को चुनौतीपूर्ण 274 रन बनाने में मदद की.

भारत की शुरुआत खराब रही, वीरेंद्र सहवाग पारी की दूसरी ही गेंद पर लसिथ मलिंगा का शिकार बन गए. अगला झटका भारत को सचिन तेंदुलकर के रूप में लगा. हालांकि, इसके बाद गौतम गंभीर और विराट कोहली के बीच अहम साझेदारी हुई. विराट के आउट होने के बाद खुद को ऊपरी क्रम में प्रमोट करते हुए धोनी ने गंभीर के साथ 109 रन की मैच जिताऊ साझेदारी की. गंभीर के 97 रन पर आउट होने के बाद धोनी (नाबाद 91*) और युवराज सिंह (नाबाद 21) ने भारत को जीत दिलाई. इसमें कोई शक नहीं है कि अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में फैंस इसी तरह के समापन की उम्मीद करेंगे.

ये खबर भी पढ़ें : विश्व कप 2023! फाइनल टक्कर में कौन मारेगा बाजी, भारत और ऑस्ट्रेलिया में से किसके हाथ लगेगी ट्रॉफी

नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट इतिहास में 25 जून, 1983, 23 मार्च 2003 और 2 अप्रैल, 2011 की तारीखों को हमेशा यादा रखा जाएगा. इन तारीकों को भारत ने वनडे विश्व कप का फाइनल मैच खेला था. इन तीन वर्षों में हमने दो बार ट्रॉफी पर कब्जा जमाया जबकि 2003 में रिकी पोंटिंग की अगुवाई वाली ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भारत को हार का सामना करना पड़ा था. अब रविवार ,19 नवंबर 2023 को भारत के पास अपना पुराना हिसाब चुकता करने का मौका है, क्योंकि एक बार फिर वर्ल्ड कप 2023 के खिताबी मुकाबले में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच टक्कर होगी.

Team wins Two World Cup title
भारतीय टीम ने जीते 2 वर्ल्ड कप टाइटल

इस टूर्नामेंट में इन दोनों टीमों का सफर भी एक दूसरे के खिलाफ शुरु हुआ था, जहां जीत भारत की हुई थी.दिलचस्प बात यह है कि 1983 में इंग्लैंड में अपनी खिताबी जीत के दौरान कपिल देव की अगुवाई वाली टीम ने गत चैंपियन वेस्टइंडीज पर 34 रनों की जीत के साथ अपने अभियान की शुरुआत की और 25 जून को लॉर्ड्स में एक यादगार दिन उसी टीम को 43 रनों से हराकर ट्रॉफी जीती. क्या रविवार को अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में इतिहास खुद को दोहरा सकता है? कप्तान रोहित शर्मा के नेतृत्व में भारत ने सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड को 70 रनों से हराकर फाइनल में प्रवेश किया. यह आईसीसी इवेंट में नॉकआउट मैच में कीवी टीम पर उनकी पहली जीत और लगातार 10वीं जीत थी,

1983 की शानदार जीत पर एक नजर
प्रूडेंशियल कप में प्रतिस्पर्धा करने वाली शीर्ष आठ टीमों में वेस्टइंडीज, ऑस्ट्रेलिया, मेजबान इंग्लैंड, पाकिस्तान, न्यूजीलैंड, भारत, श्रीलंका और जिम्बाब्वे शामिल थे. भारत ने सभी बाधाओं के बावजूद दो बार के गत चैंपियन वेस्टइंडीज को हराकर अपने अभियान की शुरुआत की और एक उल्लेखनीय यात्रा की नींव रखी. हालांकि, पहले मुकाबलों में वेस्टइंडीज ने भारत को 66 रनों से हरा दिया. फिर 18 जून को टुनब्रिज वेल्स में जिम्बाब्वे के खिलाफ टूर्नामेंट का मैच आया. जब टीम 9/4 पर थी तब इस संकट के बीच कपिल देव ने भारत के 266/8 के कुल स्कोर में से नाबाद 175 रन बनाए, जिसे जिम्बाब्वे हासिल करने में मामूली अंतर से असफल रहा और 31 रन से हार गया.

इस महत्वपूर्ण जीत ने ग्रुप बी में वेस्टइंडीज के बाद दूसरे स्थान पर रहकर सेमीफाइनल में भारत की जगह सुनिश्चित कर दी. भारत ने सेमीफाइनल में ओल्ड ट्रैफर्ड में इंग्लैंड को हराया और मेजबान टीम को 213 रनों पर रोक दिया. मोहिंदर अमरनाथ के हरफनमौला प्रदर्शन (2/27 और 46) ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई क्योंकि भारत ने 6 विकेट से जीत दर्ज करके फ़ाइनल में अपनी जगह पक्की कर ली. भारत की 25 जून को वेस्टइंडीज से फाइनल में लॉर्ड्स पर टक्कर हुई. अ

वेस्टइंडीज को लगातार तीसरी बार कप जीतने का प्रबल दावेदार माना जा रहा था. पहले बल्लेबाजी करने उतरी भारत की शुरुआत खराब रही और सुनील गावस्कर 2 रन पर एंडी रॉबर्ट्स का शिकार बन गए. कृष्णमाचारी श्रीकांत और अमरनाथ के बीच एक संक्षिप्त साझेदारी ने टीम को 50 रन के पार पहुंचाया. इससे पहले भारत ने यशपाल शर्मा, कपिल के साथ कुछ विकेट जल्दी खो दिए. इस तरह भारत 111/6 पर छह विकेट खो चुका था. इसके बाद संदीप पाटिल और मदन लाल के कुछ उपयोगी योगदान ने भारत को 183 रन बनाने में मदद की. हालांकि मजबूत विंडीज़ लाइन-अप के लिए लक्ष्य बहुत छोटा लग रहा था.

जवाब में वेस्टइंडीज ने शुरुआती विकेट खो दिए. बलविंदर संधू ने गॉर्डन ग्रीनिज को बोल्ड कर दिया. एक छोटी साझेदारी के बाद मदल लाल ने डेसमंड हेन्स और विवियन रिचर्ड्स को आउट किया. देखते ही देखते मौजूदा चैंपियन का स्कोर 57/3 हो गया. तब से, विंडीज़ नियमित अंतराल पर विकेट खोती रही और अंत में जीत भारत की हुई.

2011 वानखेड़े की जीत
1983 में खिताबी जीत के बाद भारत विश्व कप में ज्यादा सफल नहीं रहा. 1987 में घरेलू मैदान पर इंग्लैंड के हाथों सेमीफाइनल में हार के नौ साल बाद कोलकाता में उसी चरण में श्रीलंका के खिलाफ खराब प्रदर्शन और जोहान्सबर्ग में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ फाइनल में दिल टूटने से फैंस परेशान थे कि स्थिति कब बदलेगी. लेकिन समय बदला और साल 2011 में भारत ने वर्ल्ड कप पर कब्जा जमाया.

भारत ने 2011 में श्रीलंका और बांग्लादेश के साथ संयुक्त रूप से विश्व कप की मेजबानी की. भारत ने ग्रुप ए में दक्षिण अफ्रीका के बाद दूसरे स्थान पर रहकर क्वार्टर फाइनल के लिए क्वालीफाई किया. सचिन तेंदुलकर, गौतम गंभीर और युवराज सिंह के अर्धशतकों की मदद से एम.एस.धोनी की टीम ने अहमदाबाद में छह विकेट से जीत हासिल कर क्वार्टर फाइनल में तीन बार के गत चैंपियन ऑस्ट्रेलिया को मात दी.

मोहाली में चिर-प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान के खिलाफ बहुप्रतीक्षित सेमीफाइनल में एक मैच जिसमें दोनों देशों के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और यूसुफ रजा गिलानी स्टैंड में मौजूद थे. भारत ने सचिन तेंदुलकर के 85 रनों की मदद से 29 रन से जीत दर्ज की और श्रीलंका के साथ फाइनल में जगह बनाई. फिर, 2 अप्रैल को मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में कुमारा संगकारा ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया. धीमी शुरुआत के बाद संगकारा ने 48 रन पर आउट होने से पहले माहेला जयवर्धने के साथ 62 रन जोड़े. लेकिन नियमित अंतराल पर विकेट खोने के बावजूद, जयवर्धने ने 103 रनों की तेज़ पारी खेलकर श्रीलंका को चुनौतीपूर्ण 274 रन बनाने में मदद की.

भारत की शुरुआत खराब रही, वीरेंद्र सहवाग पारी की दूसरी ही गेंद पर लसिथ मलिंगा का शिकार बन गए. अगला झटका भारत को सचिन तेंदुलकर के रूप में लगा. हालांकि, इसके बाद गौतम गंभीर और विराट कोहली के बीच अहम साझेदारी हुई. विराट के आउट होने के बाद खुद को ऊपरी क्रम में प्रमोट करते हुए धोनी ने गंभीर के साथ 109 रन की मैच जिताऊ साझेदारी की. गंभीर के 97 रन पर आउट होने के बाद धोनी (नाबाद 91*) और युवराज सिंह (नाबाद 21) ने भारत को जीत दिलाई. इसमें कोई शक नहीं है कि अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में फैंस इसी तरह के समापन की उम्मीद करेंगे.

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Last Updated : Nov 18, 2023, 6:11 PM IST
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