झारखंड : चेन्नई सुपर किंग्स को आईपीएल 2023 फाइनल मैच जीतने के लिए आखिरी गेंद पर चार रन चाहिए थे. मोहित शर्मा की गेंद पर रविंद्र जडेजा ने थर्ड मैन पर शानदार चौका मारा, तो एमएस धोनी डग-आउट में शांत बैठे थे. कई युद्धों के नायक ने अपनी चेकर टोपी में एक और पंख जोड़ा. जैसा कि जडेजा ने बेहद नपे-तुले अंदाज में उन्हें गले लगाकर जाहिर किया था.
खड़गपुर रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म से शुरू हुई इस लड़ाई को पूरी दुनिया ने न सिर्फ देखा बल्कि खूब आनंद भी उठाया. रांची की एक गली से लंबे बालों वाला लड़का कैसे एक क्रिकेटर से एक महान फिनिशर के रूप में विकसित हुआ है. कैसे वह अत्यधिक तनावपूर्ण क्षणों में भी शांत रहे. मोटेरा ने देखा कि यह तस्वीर मंगलवार आधी रात के बाद अच्छी तरह से जीवित हो गई. माही के बचपन के कोच चंचल भट्टाचार्य इस चिंगारी को देखने वाले पहले व्यक्ति थे. भट्टाचार्य तभी समझ गए थे कि इस कैनवास पर चित्रित चित्र एक दिन दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचेगा और अपने पैरों पर खड़ा कर देगा.धोनी 'एजलेस वंडर' के मुहावरे पर पूरी तरह फिट बैठते हैं.
चंचल भट्टाचार्य ने चेन्नई सुपर किंग्स द्वारा अपना पांचवां आईपीएल खिताब जीतने के तुरंत बाद ईटीवी भारत को बताया. 'जब वह रांची में होते हैं, तो सुबह जल्दी अभ्यास करने चले जाते हैं. धोनी उस समय को भीड़ से बचने के लिए चुनते हैं. लेकिन, वह अभ्यास नहीं छोड़ते हैं. फिर भी फिट रहने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं. यह किसी भी युवा क्रिकेटर की तुलना में खुद को खेल में अधिक रखता है. यही धोनी को बाकी लोगों से अलग करता है.'
मोटेरा इतिहास का गवाह रहा, खासतौर पर इस बात के लिए कि जिस तरह सीएसके ने बारिश से बाधित फिचर में मैच का रुख अपने सिर पर ले लिया. हालांकि भारतीय क्रिकेट के गोल्डन मैन द्वारा गोल्डन डक से दर्शक निराश थे. पीली सेना ने अपने नेता के करतब को देखने के लिए मैदान भर दिया. इस मैच में धोनी ने बल्ले से नहीं बल्कि एक शानदार विकेटकीपर के रूप में अपना क्रिकेट कौशल दिखाया. धोनी के बड़े ग्लव्स पहनने से कोई भी बल्लेबाज ट्रैक के नीचे नाचने से डरेगा. बारिश से प्रभावित इस मैच में भी नरेंद्र मोदी स्टेडियम में धोनी की झलक दिखी. बैटिंग सेंसेशन शुभमन गिल ने जडेजा की टर्न को गलत समझकर क्रीज छोड़ने की गलती की और धोनी ने बड़ी फुर्ती से गिल को स्टंप आउट कर दिया.
भट्टाचार्य ने कहा, '37 साल की उम्र में बल्लेबाजी करने से ज्यादा मुश्किल विकेटकीपिंग होती है. 20 ओवर में 6 गेंदें. हर गेंद पर फोकस रखना आसान नहीं होता. यह केवल शारीरिक क्षमता के चरम पर ही संभव है. धोनी अभी भी नियमित अभ्यास करते हैं. कभी-कभी वह टेनिस खेलता है. माइंड गेम खेलता है, एकाग्रता बढ़ाने के लिए बिलियर्ड्स खेलता है. उसका मुकाबला करना अभी भी असंभव है. जिस तरह से वह खुद को उच्चतम स्तर पर ले गए हैं, उसके पीछे काफी दृढ़ता है'.
सीएसके एक बार आईपीएल के महामुकाबले में दबाव में था. लेकिन इससे धोनी को कोई फर्क नहीं पड़ा क्योंकि वह डग आउट में शांति से बैठे थे और बीच में खेल को देख रहे थे. उन्होंने चरण दर चरण समझाया कि कई युद्ध के घोड़े तोपों की आवाज से डरते नहीं हैं.
जीत की बाउंड्री के बाद उनकी बंद आंखों ने संकेत दिया कि जीत स्वाभाविक है. चैंपियंस हार में विश्वास नहीं करते. वे हारना नहीं जानते. जैसे-जैसे कोई बूढ़ा होता जाता है, वैसे-वैसे हड्डियों का घनत्व कम होता जाता है. ग्रे मैटर बरकरार रहता है, जटिल गणितीय समीकरण शांत, उदासीन दिमाग में चल रहे होते हैं. नतीजतन, जो सवाल सबसे ज्यादा आता है वह यह है कि माही अपने जूते कब लटकाएगा. धोनी के क्रिकेट छोड़ने के फैसले पर चंचल ने कहा, 'रिटायरमेंट के सवाल का कोई समय नहीं है. फिटनेस, आंखों की रोशनी अभी भी धोनी का सबसे अच्छा हथियार है. अगर एक क्रिकेटर के पास यह है, तो उसे अब और सोचने की जरूरत नहीं है.
अगर विश्व कप विजेता कप्तान वास्तव में अपनी सेवानिवृत्ति की घोषणा करता है के प्रश्न के जवाब में भट्टाचार्य ने कहा, 'धोनी जो भी फैसला करेंगे, वह उसे सावधानी से लेंगे. और वह इसे पूरी तरह से समय देंगे. उनके कोच को अपने पूर्व छात्र पर बहुत भरोसा है. एक दिन मैंने कहा, काया माही. तू तो मुझे भूल ही गया. नंबर डिलीट कर दिया क्या? इसके जवाब में धोनी ने 10-12 लोगों के सामने मेरा नंबर पढ़कर सुनाया. यह वह चीज है जो उसे अद्वितीय बनाती है'. पूर्व छात्र के साथ भट्टाचार्य की आंखें गर्व से भरी हुई हैं.