लखनऊ : राजधानी में अब से 30 साल पहले केडी सिंह बाबू स्टेडियम में इंग्लैंड की क्रिकेट टीम के खिलाफ एक मुकाबला खेला गया था. उस तीन दिवसीय मुकाबले में बोर्ड प्रेसिडेंट इलेवन की ओर से राहुल द्रविड़ युवा बल्लेबाज के तौर पर शामिल हुए थे. राहुल द्रविड़ उस मुकाबले में भी थे और इंग्लैंड जब 30 साल बाद फिर से लखनऊ खेलने आ रही है तो इस मुकाबले में भी वह भारतीय टीम के कोच के तौर पर शामिल रहेंगे.
29 अक्टूबर को भारत और इंग्लैंड की टीमों के बीच लखनऊ में विश्वकप क्रिकेट प्रतियोगिता के तहत एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मुकाबला खेला जाएगा. इस मुकाबले से पहले इंग्लैंड की टीम केवल एक बार लखनऊ में आकर अपना जौहर दिखा चुकी है, साल 1993 की जनवरी में जब इंग्लैंड की टीम भारत दौरे पर आई थी, तब लखनऊ के केडी सिंह बाबू स्टेडियम में उसने एक तीन दिवसीय अभ्यास मुकाबला खेला था. यह मुकाबला ड्रॉ हो गया था. इस अभ्यास मुकाबले में इंग्लैंड की पूरी मजबूत टीम खेली थी. जिसमें ग्राहम गूच, माइक गैटिंग ग्राहम हिक, फिल टफनेल और कई बड़े नाम शामिल थे, जबकि बोर्ड प्रेसिडेंट इलेवन की ओर से नवजोत सिंह सिद्धू, विनोद कांबली, राहुल द्रविड़, नयन मोंगिया, मनिंदर सिंह, राजेश चौहान और नरेंद्र हिरवानी जैसे खिलाड़ी खेले थे, जिसमें राहुल द्रविड़ अकेला नाम हैं जोकि 30 साल बाद इंग्लैंड के बाद लखनऊ में खेले जाने वाले एक दिवसीय मुकाबले में वापस भारतीय टीम के सदस्य के तौर पर आ रहे हैं. उस दौरान कुछ मुकाबले में भारतीय टीम ने दोनों पारियों में बल्लेबाजी की थी, जिसमें राहुल द्रविड़ ने एक पारी में 27 रन और दूसरी में नॉट आउट 28 रन बनाए थे. राहुल द्रविड़ को टीम में आने में इस मुकाबले के बाद तीन साल लग गए थे और 1996 में भारतीय टीम में शामिल हुए थे. इसके बाद राहुल द्रविड़ ने लगातार 16 साल भारतीय टीम का हिस्सा रहते हुए शानदार पारियां खेलीं और दुनिया भर में नाम कमाया. राहुल द्रविड़ को नेशनल क्रिकेट अकादमी, इंडिया ए, टीम इंडिया अंडर-19 टीम और आखिरकार भारतीय टीम का भी कोच बनाने के बाद फिर से वह लखनऊ आ रहे हैं.
1993 में खेले गए मुकाबले के दौरान मैच के आयोजन से जुड़े रहे पूर्व क्रिकेटर समीर मिश्रा बताते हैं कि 'निश्चित तौर पर उस समय राहुल द्रविड़ एक युवा बल्लेबाज थे और उनकी अपार क्षमताओं को पहचाना जा चुका है. उम्मीद की जा रही थी कि उनको इंग्लैंड के खिलाफ भारतीय टीम में शामिल किया जाएगा, मगर बहुत कम अनुभव को देखते हुए तब वह टीम में नहीं शामिल हो सके थे. आखिरकार उनको करीब तीन साल बाद भारतीय टीम में मौका मिला और अब एक बहुत अच्छा मौका है कि एक बार फिर वह भारतीय टीम के कोच बनाकर लखनऊ आ रहे हैं.'