कश्मीर : कश्मीर में इन दिनों आंखों से लाचारों के लिए क्रिकेट टूर्नामेंट का आयोजन किया जा रहा है. यह टूर्नामेंट समावेशिता और प्रतिभा के प्रोत्साहन की बेहतरीन मिसाल पेश करता है. टूर्नामेंट कराने की ये पहल क्रिकेट एसोसिएशन फॉर द ब्लाइंड की है. टूर्नामेंट के जम्मू और कश्मीर चैप्टर का मुख्य मकसद इस इलाके के ज्यादा से ज्यादा खिलाड़ियों को खेल में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करना है. कश्मीर में बहुत सारे ब्लाइंड युवा हैं जो घरों में रहे हैं. इसके अलावा इवन जे एंड के में अप्रॉक्स 70,000 ब्लाइंड है. यह आंकड़ा 2011 के सेंसस के अकॉर्डिंग है.
युवाओं के अंधे होने के आंकड़े के अलावा और न जाने कितने देश में ऐसे कितने लोग होंगे. ऐसे लोगों को मेनस्ट्रीम में लाना सरकार का मोटिव है. इसलिए ऐसे लोगों को सरकार स्पोर्ट्स में ला रही है. अपनी प्रतिबद्धता के बावजूद क्रिकेट एसोसियेशन को आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. उन्हें सरकार से किसी तरह की आर्थिक मदद नहीं मिलती है. लिहाजा उन्हें टूर्नामेंट से जुड़े सभी खर्चे अपनी बदौलत करने पड़ते हैं. जम्मू कश्मीर क्रिकेट एसोसियेशन फॉर ब्लाइंड के महासचिव अजय कुमार ने बताया कि 2015 से आज तक हमें कोई गवर्मेंट से कुछ नहीं मिला है. एक स्पोर्ट्स काउंसिल की तरफ से हमें ग्राउंड मिल रहा है. उसके अलावा हमें कुछ नहीं मिल रहा है और रहने खाने-पीने का या जो भी खर्चा है वह फिलहाल हम अपनी जेब से लगा रहे हैं. यह टूर्नामेंट जे एंड के हैंडिकैप्ड एसोसिएशन के साथ मिलकर आयोजित किया जा रहा है.
म्यूजिकल बॉल से क्रिकेट टूर्नामेंट
हैंडिकैप्ड एसोसिएशन के राज्य अध्यक्ष अब्दुल रशीद भट ने कहा कि वह सबसे पहले तो सरकार से अपील करेंगे कि जिस तरीके से आप हर फील्ड में हर कैटेगरी के लिए आपने फंड सेलेक्ट किए हैं. उसी तरीके से खेल-कूद में डिसैबल्ड लोगों के लिए फेड अलग से रखना चाहिए. जिस तरीके से हमारी चार परसेंट रिजर्वेशन है. उसी हिसाब से उनको इसमें भी फंड मिलना चाहिए. बख्शी स्टेडियम के स्पोर्ट्स काउंसिल मैनेजर मुश्ताक अहमद जरगर ने बताया कि उनको ग्राउंड दिया चूंकि ये फुटबॉल का ग्राउंड है. इस मैदान पर बाहर की गाड़ियों की आवाज नहीं आती है. इस क्रिकेट टूर्नामेंट म्यूजिकल बॉल से खेला जा रहा है. म्यूजिक सुनकर खिलाड़ी को पता लगा लेता है कि गेंद कहां पर है.
कश्मीर में आंखों से लाचार लोगों के लिए क्रिकेट टूर्नामेंट ऐसे खिलाड़ियों की समावेशिता को बढ़ावा देने का काम करेगा. इसके साथ ही यह टूर्नामेंट आम लोगों में जागरूकता बढ़ाने और प्रतिभा को प्रोत्साहन देने की मिसाल पेश करेगा. साथ ही ये दिव्यांग एथलीटों को सशक्त बनाने और खेल के तंत्र में उनके एकीकरण को सुविधाजनक बनाने के लिए आर्थिक मदद भी करेगा. ऐसे आयोजनों के लिए ज्यादा सरकारी मदद की तत्काल जरूरत पर भी प्रकाश डालता है.
खेल की खबरें पढ़ें : |
(पीटीआई भाषा)