नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के पूर्व कोषाध्यक्ष अनिरुद्ध चौधरी ने प्रशासकों की समिति (सीओए) के पूर्व अध्यक्ष विनोद राय को लेकर तल्ख टिप्पणी की है और कहा है कि पूर्व सीएजी के कारण बोर्ड को काफी नुकसान उठाना पड़ा. राय द्वारा हाल ही में दिए गए इंटरव्यू के बाद चौधरी ने लंबे समय की अपनी चुप्पी तोड़ने का फैसला किया और राय को घेरा है.
राय से एक इंटरव्यू में जब पूछा गया कि बीसीसीआई को वे पैसा मिला जो आईसीसी ने 2014 रेवेन्यू मॉडल के तहत उसे देने का वादा किया था? राय ने इसपर कहा कि उन्होंने यही सवाल कोषाध्यक्ष से पूछा था. चौधरी ने इस पर कहा कि राय के इस बयान पर उन्हें हंसी आई थी, क्योंकि ये बताता है कि राय को क्रिकेट प्रशासन के बारे में कुछ भी जानकारी नहीं थी। चौधरी ने कहा कि उन्हें नहीं पता कि यह बात कहां से आई.
उन्होंने कहा, 'राय का पूरा इंटरव्यू गलत तथ्यों और झूठी बातों पर आधारित था, जिस पर हंसी आ रही थी. राय ने जो बात इंटरव्यू में कही, वे मेरी समझ से परे है. मैं इसके कारण भी नहीं सोच पा रहा हूं. विनोद राय की प्रतिक्रिया ने बता दिया है कि उन्हें इस बात की कितनी समझ थी.'
अनिरुद्ध ने कहा कि पूर्व सीओए अध्यक्ष का बीसीसीआई के रेवेन्यू मॉडल को गलत तरीके से पेश करना दुर्भाग्यपूर्ण है और उन्होंने पूर्व सीएजी से इस तरह की उम्मीद नहीं की थी.
चौधरी ने कहा, 'ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिस शख्स ने तीन साल तक बीसीसीआई का प्रशासन संभाला हो, उसे इस मामूली-सी बात की जानकारी नहीं है.' चौधरी ने कहा कि राय ने इस बात को सुनिश्चित किया था कि दोनों का ज्यादा से ज्यादा समय तक कोई संपर्क न हो. चौधरी ने कहा कि राय आईसीसी से ताल्लुक रखने वाले मुद्दों पर असमंजस में रहते थे.
उन्होंने कहा, 'राय आईसीसी को लेकर खुद में ही उलझे रहते थे, क्योंकि एक तरफ वे बीसीसीआई के गर्वनेंस पैकेज और फाइनेंसियल पैकेज से अछूते रहने पर दूसरों पर दोष मड़ते थे तो वहीं दूसरी तरफ वह आईसीसी चेयरमैन शशांक मनोहर की तारीफें किया करते थे और कहते थे उन दोनों के संबंध मधुर हैं. क्या यह संबंध इस बात का कारण नहीं थे, जिनकी वजह से आईसीसी को बीसीसीआई को बुरी तरह से ट्रीट करने की इजाजत दी, क्योंकि वे जानते थे कि बीसीसीआई की तरफ से पलट कर कार्रवाई नहीं की जाएगी.'
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उन्होंने कहा, 'यह सभी जानते हैं कि आईसीसी में गिरती साख का कारण मनोहर थे और राय का यह बयान गंभीर विवाद पैदा करता है कि उन्हें शाशंक के प्लान की जानकारी थी.' चौधरी ने बताया कि सीओए के आदेश के बाद से उनके हाथ बंधे हुए थे और वे किस तरह से सर्वोच्च अदालत के आदेशों का पालन कर रहे थे. उन्होंने कहा, 'सीओए द्वारा जारी किए गए आदेश के कारण मैं चुप रहा और ये बताता है कि मेरी आवाज को दबाने के लिए वे किस हद तक गए. सुप्रीम कोर्ट के आदेश को मैंने पूरी तरह से माना.'