हैदराबाद: ऐसे खिलाड़ी कम ही आते हैं जब फैंस उनको गेम से बढ़कर मानने लगते हैं. भारतीय क्रिकेट इतिहास में वैसे तो कई खिलाड़ी आए, उनका जश्न मना और वो समय के साथ ढल भी गए लेकिन महेंद्र सिंह धोनी आए और वो एक इमोशन बनकर सभी फैंस के दिलों में बस गए.
भारतीय क्रिकेट इतिहास से लेकर 2020 तक लगभग हर भारतीय कप्तान अपनी एक अलग सोच, गेम के प्रति रवैये और खेल की भावना को लेकर जाने जाते हैं जिसमें धोनी आज एक बड़ा और चमकता हुआ नाम माना जाता है.
एक कप्तान के तौर पर धोनी ने आईसीसी की टी-20 वर्ल्ड कप 2007, आईसीसी 2011 विश्व कप, चैंपियंस ट्रॉफी 2013 को अपने नाम कर आईसीसी क्रिकेट के इतिहास में ऐसा पहला कप्तान बनकर दिखाया जिन्होंने ये तीनों ट्रॉफी अपने देश के नाम की. आज फिर याद करते हैं वो 5 ऐसे मौके जब धोनी ने साबित किया कि उनसे अच्छा खेल का विद्यार्थी और कोई नहीं.
1. 2007 टी-20 विश्व कप: जोगिंदर शर्मा को बनाया अपना मोहरा
भारतीय टीम उन दिनों एक बुरे दौर से गुजर रही थी जब महेंद्र सिंह धोनी को एक युवा टीम बनाकर दक्षिण अफ्रीका के लिए रवाना कर दिया गया. उस समय कोई युवा टीम से इस विश्व कप के जीतने की उम्मीद नहीं कर रहा ता क्योंकि धोनी एक नए कप्तान थे. लेकिन धोनी ने बॉल आउट से लेकर विश्व कप जीतने तक भारतीय क्रिकेट को एक नई उम्मीद दी. डरबन में खेले गए इस मुकाबलें में भारत और पाकिसतान आमने-सामने थे. भारत ने पहली इनिंग में बल्लेबाजी करते हुए 20 ओवर खेलकर 9 विकेट के नुकसान पर 141 रन बनाए जिसके बाद इस लक्ष्य का पीछा करते हुए पाकिस्तान ने 9 विकेट गवां कर इतने ही रन जुटाए.
नए कानूनों के चलते बॉल आउट का आयोजन हुआ. धोनी ने इधर मैच के दौरान ही अपने सभी खिलाड़ियों से (रेगूलर और पार्ट टाइम) गेंद फेकने की प्रैक्टिस करवा दी थी जिसके बाद धोनी के गेंदबाजों ने निशाना लगाकर पाकिस्तना के गेंदबाजों को बॉल आउट में पछाड़ दिया. इसके अलावा एक बार फिर से पाकिसतान को निशाना बनाते हुए धोनी ने फाइनल मैच में असाधारण क्रिकेट का नमूना पेश किया. अपने स्कवॉड में जोगिंदर शर्मा को शामिल कर धोनी ने उनपर वो भरोसा जताया जो खुद जोगिंदर को अपनी गेंदबाजी पर न होगा. फाइनल ओवर में जोगिंदर शर्मा से गेंदबाजी करवा कर आखिरी गेंद पर मिस्बाह-उल-हक का विकेट लपकने से भारत ने न सिर्फ 5 रनों से मैच जीता बल्कि पाकिस्तान को हमेशा को मलाल दे दिया.
2. 2011 विश्व कप: जब युवराज की जगह खुद मैदान में उतर कर बदले समीकरण
धोनी अकसर अपने आसाधरण क्रिकेट के लिए याद किए जाते हैं जो उन्होंने कई बार साबित भी किया है. 2011 विश्व कप में धोनी ने चेज करते हुए आखिरी समय में युवराज की जगह खुद जाकर मैच का रूख पलट दिया. 2 अप्रैल 2011 को भारत का सामना श्रीलंका टीम से हुआ जिसमें श्रीलंका ने टॉस जीतकर बल्लेबाजी करने का फैसला लिया और 50 ओवरों में 207 रन बनाए जिसका सामने करने उतरी भारतीय टीम ने शुरूआती ओवरों में सचिन और सेहवाग को सस्ते में गवां दिया था. हालांकि गंभीर की 97 रनों की पारी ने भारतीय टीम की उम्मीद को जिंदा रखा. जिसके बाद मिडिल ऑर्डर में कोहली के आउट होने के बाद युवराज सिंह को जाना था लेकिन उधर श्रीलंकाई दिग्गज मुथैया मुरलीधरन अपनी खुंखार गेंदबाजी से युवराज का शिकार करने के लिए खड़े थे.
कोहली का विकेट गिरा और युवराज पूरी तरह से तैयार होकर बैठे थे लेकिन धोनी ने उस वक्त के हालातों को कई ओवरों पहले ही पढ़ लिया था. धोनी ने चेन्नई सुपरकिंग्स के साथ खेलते हुए मुथैया मुरलीधरन के सामने काफी बार बल्लेबाजी की थी जिसके चलते वो मुरलीधरन के सामने युवराज से बेहतर साबित होते. यहीं सोचकर कप्तान धोनी ने युवराज की जगह खुद को तरजीह दी और मुरलीधरन के ओवरों को न सिर्फ खत्म किया बल्कि खूब रन भी बटोरे. इसके बाद जो हुआ वो इतिहास बन गया.
3. रोहित शर्मा को ओपनर बना, भारत को दिया चैंपियन का तमगा
2012 कॉमेनवेल्थ बैंक सीरीज में धोनी के ऊपर एक बड़ी जिम्मेदारी थी. सचिन, सेहवाग और गंभीर के बीच एक बेहतर ओपनिंग जोड़ी ढूंढना. धोनी ने ऑस्ट्रेलिया, श्रीलंका के खिलाफ खेली जाने वाली इस सीरीज में सचिन, गंभीर और सहवाग तीनों ही बल्लेबाजों को अलग-अलग तरह से एक दूसरे के साथ ट्राई किया लेकिन कोई एक भी बेहतर कॉम्बीनेशन बनकर सामने नहीं आ पाया. जिसके बाद चैंपियंस ट्रॉफी की तैयारी सर पर खड़ी थी. लेकिन धोनी की कप्तानी सोच कहीं और ही इशारा कर रही थी.
रोहित शर्मा उस वक्त तक फॉर्म में नहीं थे घरेलू क्रिकेट की कुछ गिनी चुनी पारियों के चलते रोहित को टीम में जगह मिली थी. न फिटनेस थी न फॉर्म, लेकिन उनमें धोनी को भारतीय टीम का अगला ओपनर दिखाई पड़ा रहा था. इंग्लैड पहुंचकर रोहित को प्रैक्टिस मैच में एक ओपनर की तरह ट्राई किया गया. इस बात का अंदाजा खुद रोहित को नहीं था कि यहां इतिहास रचा जा रहा है. उस दिन के बाद से रोहित ने लिमिटेड ओवरों में पलट कर नहीं देखा. धोनी ने रोहित के टैलेंट को पहचान लिया और उनको टूर्नामेंट का ओपनर घोषित किया. रोहित ने पहले ही मैच से रफतार पकड़ी और 81 गेंदों में 65 रन जड़ अपने हिटमैन अवतार का आगाज किया. आज भी भारतीय क्रिकेट धोनी के इस जोहरी अवतार का शुक्रगुजार है जो उन्होंने रोहित शर्मा को पर्खा और भारतीय क्रिकेट की सेवा करने का मौका दिया.
4. 2013 चैंपियंस ट्रॉफी: ईशांत शर्मा के हाथों भारत को सरताज बनाया
2013 चैंपियंस ट्रॉफी की शुरूआत से लेकर अंत तक सब यागदार था जिसके लिए हम आज भी धोनी की कप्तानी का लोहा मानते हैं. बर्मिंघम में उस दिन बारिश का माहौल था लेकिन मैच के रोमांच में कोई फर्क नहीं पड़ा. भारतीय टीम ने बारिश से बाधित मैच में 20 ओवरों में कुल 129 रनों का लक्ष्य इंग्लैड के सामने रखा जिसके बाद बल्लेबाजी करने उतरी इंग्लैंड की टीम को रोकने के लिए हमारे गेंदबाजों ने अपने प्रदर्शन से सबको चौंकाया. उन दिनों भारतीय टीम की डेथ बॉलिंग किसी बुरे सपने से कम नहीं थी ऐसे में मैच के हालात भी आखिरी ओवर में जाकर खत्म होने के बन रहे थे.
भुवनेश्वर कुमार, उमेश यादव और ईशांत शर्मा के बीच किसा एक गेंदबाज को हीरो बनने का मौका देना था. जिसके लिए धोनी ने ईशांत को चुना क्योंकि भुवनेश्वर को गेंद को मूव कराने में समस्या हो रही थी और उमेश सिर्फ तभी घातक सबित हो पा रहे थे जब गेंद स्विंग करती थी इसलिए ईशांत के अलावा और कोई ऑपशन कप्तान धोनी के पास नहीं बचा था. हालांकि ईशांत ने अपनी गेंदबाजी से सभी को चौंकाया और आखिरी ओवर में इंग्लिश बल्लेबाजों को चित कर दिया.
5. 2016 टी-20 वर्ल्ड कप: हार्दिक की गेंदबाजी को बनाया बांग्लादेश का काल
2016 विश्व कप, एम चिन्नास्वामी स्टेडियम में भारतीय टीम का सामना बांग्लादेश से हुआ जिसको आज तक इतिहास भुला नहीं सका है. भारतीय टीम ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 20 ओवरों में 146 का लक्ष्य बांग्लादेश को दिया जिसका पीछा करते हुए बांग्लादेश की टीम आखिरी ओवर तक मैच को लेकर आ पहुंची उस वक्त से पहले तक धोनी के पास मौका था कि वो बुमराह का आखिरी ओवर बचा लेते लेकिन उन्होंने पांड्या के ऊपर भरोसा जताया. उस दिन को याद करते हुए पांड्या बताते हैं कि बांग्लादेश को एक ओवर में 2 रन बनाने थे ऐसे में धोनी ने उनको सलाह दी कि वो ऑफ स्टंप के बाहर गेंद कराए जबकि सभी टीम के लोग उनको बाउंसर कराने की सलाह दे रहे थे. पांड्या ने धोनी की सलाह को मानते हुए ऑफ स्टंप के बाहर गेंद फेंकी जिसको स्ट्राइक पर खड़े बल्लेबाज शुवागता होम पूरी तरह से मिस कर गए फिर उन दोंनों ही बल्लेबाजों ने दौड़कर बाई का रन लेने की कोशिश की लेकिन धोनी ने अपनी विकेटकीपिंग स्किल्स से मेन इन ब्लू की वापसी करवाई.