लंदन: क्रिकेट के नियम निर्धारण करने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था मेरिलबोर्न क्रिकेट क्लब (एमसीसी) ने रविचंद्रन अश्विन द्वारा जोस बटलर को मांकडिंग तरीके से आउट करने के मामले में अब यू-टर्न ले लिया है. आपको बता दें पहले लॉ-मेकिंग बॉडी एमसीसी ने नियमानुसार इसे सही बताया था. लेकिन अब एमसीसी ने 'स्प्रिट ऑफ द गेम' के लिहाज से इसे गलत बताया है.
एमसीसी के लॉ मैनेजर फ्रेसर स्टेवर्ट ने ब्रिटिश मीडिया से बात करते हुए कहा है कि, "बार-बार इस मसले पर गौर करने के बाद हम इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि 'स्प्रिट ऑफ द गेम' के लिहाज से अश्विन ने जो भी किया वो सही नहीं था."
उन्होंने कहा, "इस घटना के वक्त एक चीज जो सामने आई वो ये थी कि क्रीज में पहुंचने और गेंद फेंकने के बीच के समय अश्विन ज्यादा समय के लिए रुके थे. वहीं जिस वक्त नियमानुसार अश्विन को गेंद फेंकनी चाहिए थी उस वक्त बटलर का बैट क्रीज में ही था."
हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि,"नॉन-स्ट्राइकिंग बल्लेबाजों द्वारा अतिशीघ्र क्रीज से बाहर निकलना भी उचित नहीं है. उन्हें गेंद फेंके जाने तक इंतजार करना चाहिए. अगर बटलर ने भी संयम रखा होता तो इतना बड़ा विवाद नहीं होता."
गौरतलब है क्रिकेट के नियम बनाने वाली वैश्विक संस्था एमसीसी ने इस मामले में पहले अश्विन का समर्थन किया था. एमसीसी ने कहा था कि यह खेल भावना का उल्लंघन नहीं है, क्योंकि नियमानुसार नॉन स्ट्राइकर एंड पर खड़े बल्लेबाज को गेंद डलने तक क्रीज़ में रहना चाहिए. एमसीसी के नियम 41.16 के तहत यह नियम निर्धारित है कि नॉन स्ट्राइकर बल्लेबाज़ यदि गेंद डलने से पूर्व ही क्रीज़ छोड़ता है, तो उसकी बल्लियां उड़ाई जा सकती हैं.
यदि गेंदबाज़ बल्लेबाज़ को रनआउट करने में सफल रहे या न रहे इस गेंद को भी ओवर में गिना नहीं जाता है. यदि गेंदबाज़ नॉन स्ट्राइकर बल्लेबाज़ को रनआउट करने में विफल रहता है, तो अंपायर को इस गेंद को डेड बॉल घोषित करना चाहिए. एमसीसी ने बयान में कहा था कि इस पूरे विवाद का मुद्दा यही है कि नॉन स्ट्राइकर एंड का बल्लेबाज़ ग्राउंड छोड़ सकता है या नहीं और हम बता दें कि नियम में कहीं नहीं लिखा कि रनआउट करने से पहले आपको बल्लेबाज़ को चेतावनी देनी चाहिए.