नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व हरफनमौला खिलाड़ी युवराज सिंह ने कहा कि वे बचपन में टेनिस खिलाड़ी बनना चाहते थे लेकिन पिता के डर के कारण उन्होंने टेनिस छोड़ दी.
युवराज ने बताया कि उनके पिता ने बचपन में एक रैकेट लाकर दिया था जो उनसे टूट गया. इसके बाद उन्होंने डर के मारे दूसरा रैक्ट नहीं मांगा.
एक वेबसाइट को दिए गए इंटरव्यू में युवराज ने बचपन का किस्सा याद करते हुए कहा, 'मुझे स्केटिंग और टेनिस काफी पसंद थे. मैं टेनिस में करियर बनाना चाहता था. मुझे याद है कि मैंने अपनी मां से रैकेट मांगा था और उन्होंने मेरे पिता से इसके लिए कहा. पिता थोड़े नाराज हुए लेकिन उन्होंने उस समय करीब 2500 रुपये का रैकेट लाकर दिया. मैं क्वॉर्टर फाइनल या कुछ खेल रहा था और आखिर में हार गया. मैंने रैकेट जोर-जोर से मारा वह टूट गया.'
युवराज ने आगे कहा, 'रैकेट टूटने के बाद मैं अपने पिता से नया रैकेट मांगने से डर गया था. तब मैंने सोचा कि कुछ दिन क्रिकेट खेल लेता हूं उसके बाद नया रैकेट मांग लूंगा. लेकिन मुझे क्रिकेट खेलने में मजा आने लगा और फिर मैंने टेनिस खेलना छोड़ ही दिया.
38 साल के ऑलराउंडर ने कहा कि वे फिटनेस के लिए टेनिस खेलते हैं और उन्हें इस खेल में इतना मजा आता है कि वे क्रिकेट को मिस नहीं करते हैं.
उन्होंने कहा, 'मैंने टेनिस हमेशा फिटनेस के लिए खेला है. मुझे टेनिस बहुत पसंद है और सच कहूं तो मैं अब क्रिकेट न खेल पाने को ज्यादा मिस नहीं करता मैं लगभग हर दूसरे दिन टेनिस खेलता हूं.'
इसी इंटरव्यू में भारत की टी-20 विश्व कप-2007 और विश्व कप-2011 जीत का अहम हिस्सा रहे युवराज ने कहा कि करियर के अंत में उनके सात गैरपेशेवर तरीके से व्यवहार किया गया.
युवराज ने कुछ और महान खिलाड़ियों के नाम लिए जिनका शानदार अंतरराष्ट्रीय करियर होने के बाद भी उनके करियर का अंत अच्छा नहीं रहा.
युवराज ने कहा, "मुझे लगता है कि उन्होंने मेरे करियर के अंत में मेरे साथ जैसा व्यवहार किया गया, वो काफी गैरपेशवर था. लेकिन जब मैं कुछ और महान खिलाड़ियों जैसे हरभजन सिंह, वीरेंद्र सहवाग, जहीर खान को देखते हूं तो इनके साथ भी अच्छा व्यवहार नहीं हुआ. इसलिए ये भारतीय क्रिकेट का हिस्सा है. मैंने ऐसा पहले भी देखा है तो मैं इससे हैरान नहीं था."