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IPL 2020 में खिलाड़ियों की फिटनेस का बना TWITTER पर मजाक, जानिए ये कितना सही है या कितना गलत?

आईपीएल मैच के दौरान खिलाड़ियों को फैट शेम करने का दौर TWITTER पर चल पड़ा है जिससे लोगों की मानसिक्ता का पता चलता है, तो आईये ऐसे में जानते हैं कि ये कितना सही है और कितना गलत?

How good or bad is to fat sham IPL cricketers?
How good or bad is to fat sham IPL cricketers?
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Published : Sep 22, 2020, 6:47 AM IST

हैदराबाद: लॉजिस्टिकल इशूज, खिलाड़ियों की कोविड से दूरी और एक पूरी तरह से सुरक्षित माहौल- आईपीएल 2020 के आयोजन के लिए बीसीसीआई ने जो तैयारियों के बारे में मिटिंग्स में चर्चा की उनमें ये मुद्दें शामिल किये गए थे.

जिसके बाद 19 सितंबर 2020 को शेड्यूल के अनुसार गत चैंपियन मुंबई इंडियंस और चेन्नई सुपरकिंग्स के बीच खेले गए मैच से आईपीएल के सफल आयोजन की शुरूआत भी हुई. इस बीच ट्विटर पर कई ट्विट्स आए जिसमें मैच को लेकर चर्चा शुरू हुई.

How good or bad is to fat sham IPL cricketers?
रोहित शर्मा और धोनी

हालांकि इस बार लोगों का ध्यान खिलाड़ियों पर कम लेकिन उनके 'फिट' दिखने की ओर ज्यादा था.

एक के बाद एक ट्वीट आते गए और एथलिटों को 'बॉडी शेम' करते गए. इस दौरान कई बड़े जर्नलिस्ट भी बनी बनाई धारणाओं को आगे ले जाते दिखाई दिए.

एक ओर एक बड़े क्रिकेट जर्नलिस्ट कम कॉमेंटेटर ने काफी शालीनता भरे शब्दों का इस्तेमाल करते हुए ट्वीट किया, "आज काफी सारी तंदुरूस्त वेस्टलाइन दिखाई पड़ रही हैं."

जिसके बाद एक पूर्व महिला ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी ने भी ट्वीट करते हुए कहा, "चोकलेट मूज से सावधान रहिए."

एक पूर्व भारतीय हॉकी खिलाड़ी ने तो सीधा-सीधा खिलाड़ियों के दिख रहे मोटापे को निशाना बनाते हुए उनका मजाक उड़ाया.

उन्होंने कहा, "मैने कभी गली क्रिकेट से ज्यादा कुछ नहीं खेला लेकिन मैं कुछ खिलाड़ियों को #IPL2020 में इस लेवल पर खेलता देखते हुए शौक्ड हूं. मैं ऐसे किसी फिजिकल स्पोर्ट की कल्पना नहीं कर सकता जो इस लेवल पर ये खिलाड़ी ऐसी फिटनेस के साथ खेल रहे हैं."

उस मैच के दौरान मुंबई इंडियंस के कप्तान रोहित शर्मा और बल्लेबाज सौरभ तिवारी सभी के टारगेट हुए थे.

How good or bad is to fat sham IPL cricketers?
रोहित शर्मा

खिलाड़ियों और जर्नलिस्टों द्वारा इस तरह के ट्विट्स के बाद कई फैंस ने भी उनके मोटापे का मजाक उड़ाया तो कई अपनी भाषा की गरिमाओं को भी भूल गए और ये हो भी क्यों न ? ये बनी बनाई धारणांए आज भी लोगों की सोच की जड़ों में अंदर तक घूसी हुईं हैं.

यहां सभी को लगता है कि जो फिट दिखता है वहीं फिट होता है और जो फिट नहीं दिखता वो फिट नहीं होता है.

इसी धारणा पर विशेष करके ये रिपोर्ट पेश है जो एनवाईडेली ने शेयर की है. इस रिपोर्ट के अनुसार इस सवाल का जवाब ढूंढने की कोशिश की गई.

जो फैट है क्या वो फिट भी है?

कई बड़े शरीर वाले एथलीट अपने स्वास्थ्य के बारे में बात करने के लिए आगे आए जहां उनका मानना था कि हेल्थ हर साइज में आती है.

इस कड़ी में सबसे पहले जॉर्जिया की एक एथलीट का नाम आगे आता है जिन्होंने 6 मैराथॉन, 6 अल्ट्रा मैराथॉन में हिस्सा लिया है और वो भी 250 पाउंड से ज्यादा वजन के साथ.

वहीं ओलंपिक वेटलिफ्टर हौली मैनगोल्ड और ओलंपियन हैमर थ्रो एथलीट अमेंडा बिंगसन को एक मैगजीन द्वारा स्पेशल एडिशन में फिचर किया गया जिसका मकसद था लोगों को इसकी जानकारी देना कि 'ओवरवेट का मतलब आउट ऑफ शेप नहीं है'

How good or bad is to fat sham IPL cricketers?
रोहित शर्मा

न्यूयॉर्क ओबेसिटी रिसर्च सेंटर वेटलॉस प्रोग्राम के डायरेक्टर रिचर्ड वेल ने कहा, "कोई भी फिट हो सकता है. वजन भेदभाव नहीं करता."

उन्होंने आगे कहा, "55% - 65% मोटे लोग जो हमारी जनसंखाया का हिस्सा हैं उनका BMI लेवल उनको शारीरिक तौर पर ज्यादा सेहतमंद बताता है. आप किसी को भी देख सकते हैं जिसका BMI लेवल ज्यादा हो लेकिन वो कसरत करता हो उसकी मिलान उससे करें जिसका BMI लेवल कम हो और वो कसरत न करता हो तो आपको पता चलेगा कि हाई BMI लेवल वाला ज्यादा हेल्दी है."

हालांकि इसमें कोई दो राय नहीं है कि एथलिट में भी एक्सट्रा वेट ज्यादा रिस्क के साथ आता है.

एक तिहाई से अधिक अमेरिकी लोग मोटापे से ग्रस्त हैं, और प्लस-साइज के एथलीट समाज के फिटनेस को लेकर बनी धारणा के ढ़ाचें में नहीं समाते हैं- विशेष रूप से ऐसे एथलीट जो फिजिकली एक्टिव स्पोर्ट जैसे कि रनिंग और योगा का हिस्सा हैं क्योंकि अकसर स्पोर्ट्स के पोस्टर बॉय और पॉस्टर गर्ल्स वो लोग होते हैं जो लंबे और दुबले होते हैं"

एक्स्पर्ट्स का ये भी कहना है कि कई बार एथलीट्स ट्रेनिंग करने के बावजूद वेट लूज नहीं कर पाते क्योंकि ये अलग-अलग बॉडी टाइप पर भी निर्भर करता है. ऐसी स्थति को ओबेसिटी पैराडॉक्स कहते हैं और इसका कोई कारण अभी तक पता नहीं लग सका है कि ऐसा क्यों होता है.

इस पूरी रिपोर्ट का एक ही मत था कि जिस तरह से ट्विटर पर आईपीएल के पहले मैच के दौरान खिलाड़ियों को उनके मोटापे को लेकर खुलकर घेरा गया वो नैतिक तौर पर गलत है और एक गलत धारणा को आगे बढ़ाता है.

हैदराबाद: लॉजिस्टिकल इशूज, खिलाड़ियों की कोविड से दूरी और एक पूरी तरह से सुरक्षित माहौल- आईपीएल 2020 के आयोजन के लिए बीसीसीआई ने जो तैयारियों के बारे में मिटिंग्स में चर्चा की उनमें ये मुद्दें शामिल किये गए थे.

जिसके बाद 19 सितंबर 2020 को शेड्यूल के अनुसार गत चैंपियन मुंबई इंडियंस और चेन्नई सुपरकिंग्स के बीच खेले गए मैच से आईपीएल के सफल आयोजन की शुरूआत भी हुई. इस बीच ट्विटर पर कई ट्विट्स आए जिसमें मैच को लेकर चर्चा शुरू हुई.

How good or bad is to fat sham IPL cricketers?
रोहित शर्मा और धोनी

हालांकि इस बार लोगों का ध्यान खिलाड़ियों पर कम लेकिन उनके 'फिट' दिखने की ओर ज्यादा था.

एक के बाद एक ट्वीट आते गए और एथलिटों को 'बॉडी शेम' करते गए. इस दौरान कई बड़े जर्नलिस्ट भी बनी बनाई धारणाओं को आगे ले जाते दिखाई दिए.

एक ओर एक बड़े क्रिकेट जर्नलिस्ट कम कॉमेंटेटर ने काफी शालीनता भरे शब्दों का इस्तेमाल करते हुए ट्वीट किया, "आज काफी सारी तंदुरूस्त वेस्टलाइन दिखाई पड़ रही हैं."

जिसके बाद एक पूर्व महिला ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी ने भी ट्वीट करते हुए कहा, "चोकलेट मूज से सावधान रहिए."

एक पूर्व भारतीय हॉकी खिलाड़ी ने तो सीधा-सीधा खिलाड़ियों के दिख रहे मोटापे को निशाना बनाते हुए उनका मजाक उड़ाया.

उन्होंने कहा, "मैने कभी गली क्रिकेट से ज्यादा कुछ नहीं खेला लेकिन मैं कुछ खिलाड़ियों को #IPL2020 में इस लेवल पर खेलता देखते हुए शौक्ड हूं. मैं ऐसे किसी फिजिकल स्पोर्ट की कल्पना नहीं कर सकता जो इस लेवल पर ये खिलाड़ी ऐसी फिटनेस के साथ खेल रहे हैं."

उस मैच के दौरान मुंबई इंडियंस के कप्तान रोहित शर्मा और बल्लेबाज सौरभ तिवारी सभी के टारगेट हुए थे.

How good or bad is to fat sham IPL cricketers?
रोहित शर्मा

खिलाड़ियों और जर्नलिस्टों द्वारा इस तरह के ट्विट्स के बाद कई फैंस ने भी उनके मोटापे का मजाक उड़ाया तो कई अपनी भाषा की गरिमाओं को भी भूल गए और ये हो भी क्यों न ? ये बनी बनाई धारणांए आज भी लोगों की सोच की जड़ों में अंदर तक घूसी हुईं हैं.

यहां सभी को लगता है कि जो फिट दिखता है वहीं फिट होता है और जो फिट नहीं दिखता वो फिट नहीं होता है.

इसी धारणा पर विशेष करके ये रिपोर्ट पेश है जो एनवाईडेली ने शेयर की है. इस रिपोर्ट के अनुसार इस सवाल का जवाब ढूंढने की कोशिश की गई.

जो फैट है क्या वो फिट भी है?

कई बड़े शरीर वाले एथलीट अपने स्वास्थ्य के बारे में बात करने के लिए आगे आए जहां उनका मानना था कि हेल्थ हर साइज में आती है.

इस कड़ी में सबसे पहले जॉर्जिया की एक एथलीट का नाम आगे आता है जिन्होंने 6 मैराथॉन, 6 अल्ट्रा मैराथॉन में हिस्सा लिया है और वो भी 250 पाउंड से ज्यादा वजन के साथ.

वहीं ओलंपिक वेटलिफ्टर हौली मैनगोल्ड और ओलंपियन हैमर थ्रो एथलीट अमेंडा बिंगसन को एक मैगजीन द्वारा स्पेशल एडिशन में फिचर किया गया जिसका मकसद था लोगों को इसकी जानकारी देना कि 'ओवरवेट का मतलब आउट ऑफ शेप नहीं है'

How good or bad is to fat sham IPL cricketers?
रोहित शर्मा

न्यूयॉर्क ओबेसिटी रिसर्च सेंटर वेटलॉस प्रोग्राम के डायरेक्टर रिचर्ड वेल ने कहा, "कोई भी फिट हो सकता है. वजन भेदभाव नहीं करता."

उन्होंने आगे कहा, "55% - 65% मोटे लोग जो हमारी जनसंखाया का हिस्सा हैं उनका BMI लेवल उनको शारीरिक तौर पर ज्यादा सेहतमंद बताता है. आप किसी को भी देख सकते हैं जिसका BMI लेवल ज्यादा हो लेकिन वो कसरत करता हो उसकी मिलान उससे करें जिसका BMI लेवल कम हो और वो कसरत न करता हो तो आपको पता चलेगा कि हाई BMI लेवल वाला ज्यादा हेल्दी है."

हालांकि इसमें कोई दो राय नहीं है कि एथलिट में भी एक्सट्रा वेट ज्यादा रिस्क के साथ आता है.

एक तिहाई से अधिक अमेरिकी लोग मोटापे से ग्रस्त हैं, और प्लस-साइज के एथलीट समाज के फिटनेस को लेकर बनी धारणा के ढ़ाचें में नहीं समाते हैं- विशेष रूप से ऐसे एथलीट जो फिजिकली एक्टिव स्पोर्ट जैसे कि रनिंग और योगा का हिस्सा हैं क्योंकि अकसर स्पोर्ट्स के पोस्टर बॉय और पॉस्टर गर्ल्स वो लोग होते हैं जो लंबे और दुबले होते हैं"

एक्स्पर्ट्स का ये भी कहना है कि कई बार एथलीट्स ट्रेनिंग करने के बावजूद वेट लूज नहीं कर पाते क्योंकि ये अलग-अलग बॉडी टाइप पर भी निर्भर करता है. ऐसी स्थति को ओबेसिटी पैराडॉक्स कहते हैं और इसका कोई कारण अभी तक पता नहीं लग सका है कि ऐसा क्यों होता है.

इस पूरी रिपोर्ट का एक ही मत था कि जिस तरह से ट्विटर पर आईपीएल के पहले मैच के दौरान खिलाड़ियों को उनके मोटापे को लेकर खुलकर घेरा गया वो नैतिक तौर पर गलत है और एक गलत धारणा को आगे बढ़ाता है.

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