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COA की नीति पर फूटा BCCI अधिकारियों का गुस्सा

प्रशासकों की समिति (सीओए) ने गुरुवार को फैसला किया है कि न ही कोई भी अधिकारी और सीईओ अब से क्रिकेट समिति की बैठक का हिस्सा होंगे.

सीओए
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Published : Jul 18, 2019, 9:40 PM IST

नई दिल्ली: अभी तक चयन समिति को अपने फैसलों में सचिव को लूप में लेना पड़ता था लेकिन सीओए ने फैसला किया है कि अब ऐसा नहीं होगा. सीओए के इस फैसले पर अब भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के अधिकारियों का गुस्सा फूट पड़ा है.

बीसीसीआई के एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि क्या सीओए को अभी तक संविधान के नियमों के बारे में पता नहीं है? क्या समिति ने खुद जो संविधान बनाया है उसे समझने में उन्हें एक साल का समय लगेगा.

सीओए विनोद राय
सीओए विनोद राय

अधिकारी ने कहा,"बीसीसीआई के नए संविधान को सर्वोच्च अदालत ने देखा है और इसलिए ये जरूरी है कि उसका पालन किया जाए. इसे पंजीकृत किए तकरीबन एक साल का समय हो गया है लेकिन सीओए के लिए अभी ये सवेरा क्यों हुआ है? ऐसा क्या हुआ जिसने उन्हें जगा दिया? क्या उन्हें नहीं पता कि बोर्ड में क्या हो रहा है?"

अधिकारी ने कहा कि अगर सविंधान का पालन होना चाहिए तो अधिकारियों को भी नए नियमों के हिसाब से काम करने देना चाहिए.

अधिकारी ने कहा,"क्या वो अधिकारियों को भी नए संविधान के तहत काम करने देंगे या फिर ये सिर्फ उन्हें रोकना चाहते हैं. नए संविधान के मुताबिक, अधिकारी वही हैं जो पूर्व में शीर्ष परिषद का हिस्सा रह चुके हैं, और अगर सीओए सोचती है कि वही शीर्ष परिषद है, तो ऐसे में अदालत द्वारा नियुक्त किए गए अधिकारी बैठक में हिस्सा ले सकते हैं."

उन्होंने कहा,"ये साफ है कि नए संविधान के मुताबिक अधिकारियों को कार्य करने पर रोक है, ऐसे में यह सीओए द्वारा 'पिक एंड चूस' नीति को अपनाना है."

एक और अधिकारी ने इस बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि,"अगर आप अन्य मुद्दों को देखें तो, क्रिकेट समिति के गठन की तरफ कोई कदम नहीं उठाया गया है जिस पर चयन, कोचिंग, टीम के प्रदर्शन को परखने की जिम्मेदारी है वो भी बीसीसीआई के नए संविधान के नियम 26 के तहत, लेकिन इस पर अभी तक ध्यान नहीं गया है. आप सीओए को सिर्फ इस तरह के मुद्दों पर काम करते देखेंगे. इसलिए सीओए खुद बीसीसीआई के संविधान को मान नहीं रही है."

बीसीसीआई सचिव अमिताभ चौधरी
बीसीसीआई सचिव अमिताभ चौधरी

उन्होंने कहा,"क्रिकेट सलाहकार समिति (सीओए) के संदर्भ में, सर्वोच्च अदालत ने सीओए को अधिकार दे रखे हैं कि वो चुनाव न होने तक सीएसी से चयनकर्ताओं की नियुक्ति को लेकर चर्चा करे, जिसका साफ सा मतलब है कि सीएसी चुनावों तक काम करना जारी रखेगी और इसके बाद एजीएम में नई सीएसी का गठन होगा दो नई चयन समिति चुनेगी, लेकिन हम जानते हैं कि क्या हो रहा है."

सीओए ने कहा है कि चयन समिति को किसी भी तरह के चयन के लिए सचिव या सीईओ की जरूरत नहीं है. साथ ही चयन समितियों को कन्वेनर बैठक बुला सकते हैं न कि सचिव.

हालांकि सीओए ने विदेश दौरों के लिए कछ छूट दी हैं जिनके मुताबिक, एडमिनिस्ट्रेटिव मैनेजर पर बैठक की जिम्मेदारी होगी. सचिव को बैठक संबंधित जानकारी होगी ताकि वो रिकॉर्ड के लिए काम आ सके.

नई दिल्ली: अभी तक चयन समिति को अपने फैसलों में सचिव को लूप में लेना पड़ता था लेकिन सीओए ने फैसला किया है कि अब ऐसा नहीं होगा. सीओए के इस फैसले पर अब भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के अधिकारियों का गुस्सा फूट पड़ा है.

बीसीसीआई के एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि क्या सीओए को अभी तक संविधान के नियमों के बारे में पता नहीं है? क्या समिति ने खुद जो संविधान बनाया है उसे समझने में उन्हें एक साल का समय लगेगा.

सीओए विनोद राय
सीओए विनोद राय

अधिकारी ने कहा,"बीसीसीआई के नए संविधान को सर्वोच्च अदालत ने देखा है और इसलिए ये जरूरी है कि उसका पालन किया जाए. इसे पंजीकृत किए तकरीबन एक साल का समय हो गया है लेकिन सीओए के लिए अभी ये सवेरा क्यों हुआ है? ऐसा क्या हुआ जिसने उन्हें जगा दिया? क्या उन्हें नहीं पता कि बोर्ड में क्या हो रहा है?"

अधिकारी ने कहा कि अगर सविंधान का पालन होना चाहिए तो अधिकारियों को भी नए नियमों के हिसाब से काम करने देना चाहिए.

अधिकारी ने कहा,"क्या वो अधिकारियों को भी नए संविधान के तहत काम करने देंगे या फिर ये सिर्फ उन्हें रोकना चाहते हैं. नए संविधान के मुताबिक, अधिकारी वही हैं जो पूर्व में शीर्ष परिषद का हिस्सा रह चुके हैं, और अगर सीओए सोचती है कि वही शीर्ष परिषद है, तो ऐसे में अदालत द्वारा नियुक्त किए गए अधिकारी बैठक में हिस्सा ले सकते हैं."

उन्होंने कहा,"ये साफ है कि नए संविधान के मुताबिक अधिकारियों को कार्य करने पर रोक है, ऐसे में यह सीओए द्वारा 'पिक एंड चूस' नीति को अपनाना है."

एक और अधिकारी ने इस बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि,"अगर आप अन्य मुद्दों को देखें तो, क्रिकेट समिति के गठन की तरफ कोई कदम नहीं उठाया गया है जिस पर चयन, कोचिंग, टीम के प्रदर्शन को परखने की जिम्मेदारी है वो भी बीसीसीआई के नए संविधान के नियम 26 के तहत, लेकिन इस पर अभी तक ध्यान नहीं गया है. आप सीओए को सिर्फ इस तरह के मुद्दों पर काम करते देखेंगे. इसलिए सीओए खुद बीसीसीआई के संविधान को मान नहीं रही है."

बीसीसीआई सचिव अमिताभ चौधरी
बीसीसीआई सचिव अमिताभ चौधरी

उन्होंने कहा,"क्रिकेट सलाहकार समिति (सीओए) के संदर्भ में, सर्वोच्च अदालत ने सीओए को अधिकार दे रखे हैं कि वो चुनाव न होने तक सीएसी से चयनकर्ताओं की नियुक्ति को लेकर चर्चा करे, जिसका साफ सा मतलब है कि सीएसी चुनावों तक काम करना जारी रखेगी और इसके बाद एजीएम में नई सीएसी का गठन होगा दो नई चयन समिति चुनेगी, लेकिन हम जानते हैं कि क्या हो रहा है."

सीओए ने कहा है कि चयन समिति को किसी भी तरह के चयन के लिए सचिव या सीईओ की जरूरत नहीं है. साथ ही चयन समितियों को कन्वेनर बैठक बुला सकते हैं न कि सचिव.

हालांकि सीओए ने विदेश दौरों के लिए कछ छूट दी हैं जिनके मुताबिक, एडमिनिस्ट्रेटिव मैनेजर पर बैठक की जिम्मेदारी होगी. सचिव को बैठक संबंधित जानकारी होगी ताकि वो रिकॉर्ड के लिए काम आ सके.

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COA की नीति पर फूटा BCCI अधिकारियों का गुस्सा



 



प्रशासकों की समिति (सीओए) ने गुरुवार को फैसला किया है कि न ही कोई भी अधिकारी और सीईओ अब से क्रिकेट समिति की बैठक का हिस्सा होंगे.

नई दिल्ली: अभी तक चयन समिति को अपने फैसलों में सचिव को लूप में लेना पड़ता था लेकिन सीओए ने फैसला किया है कि अब ऐसा नहीं होगा. सीओए के इस फैसले पर अब भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के अधिकारियों का गुस्सा फूट पड़ा है.



बीसीसीआई के एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि क्या सीओए को अभी तक संविधान के नियमों के बारे में पता नहीं है? क्या समिति ने खुद जो संविधान बनाया है उसे समझने में उन्हें एक साल का समय लगेगा.



अधिकारी ने कहा,"बीसीसीआई के नए संविधान को सर्वोच्च अदालत ने देखा है और इसलिए ये जरूरी है कि उसका पालन किया जाए. इसे पंजीकृत किए तकरीबन एक साल का समय हो गया है लेकिन सीओए के लिए अभी ये सवेरा क्यों हुआ है? ऐसा क्या हुआ जिसने उन्हें जगा दिया? क्या उन्हें नहीं पता कि बोर्ड में क्या हो रहा है?"



अधिकारी ने कहा कि अगर सविंधान का पालन होना चाहिए तो अधिकारियों को भी नए नियमों के हिसाब से काम करने देना चाहिए.



अधिकारी ने कहा,"क्या वो अधिकारियों को भी नए संविधान के तहत काम करने देंगे या फिर ये सिर्फ उन्हें रोकना चाहते हैं. नए संविधान के मुताबिक, अधिकारी वही हैं जो पूर्व में शीर्ष परिषद का हिस्सा रह चुके हैं, और अगर सीओए सोचती है कि वही शीर्ष परिषद है, तो ऐसे में अदालत द्वारा नियुक्त किए गए अधिकारी बैठक में हिस्सा ले सकते हैं."



उन्होंने कहा,"ये साफ है कि नए संविधान के मुताबिक अधिकारियों को कार्य करने पर रोक है, ऐसे में यह सीओए द्वारा 'पिक एंड चूस' नीति को अपनाना है."



एक और अधिकारी ने इस बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि,"अगर आप अन्य मुद्दों को देखें तो, क्रिकेट समिति के गठन की तरफ कोई कदम नहीं उठाया गया है जिस पर चयन, कोचिंग, टीम के प्रदर्शन को परखने की जिम्मेदारी है वो भी बीसीसीआई के नए संविधान के नियम 26 के तहत, लेकिन इस पर अभी तक ध्यान नहीं गया है. आप सीओए को सिर्फ इस तरह के मुद्दों पर काम करते देखेंगे. इसलिए सीओए खुद बीसीसीआई के संविधान को मान नहीं रही है."



उन्होंने कहा,"क्रिकेट सलाहकार समिति (सीओए) के संदर्भ में, सर्वोच्च अदालत ने सीओए को अधिकार दे रखे हैं कि वो चुनाव न होने तक सीएसी से चयनकर्ताओं की नियुक्ति को लेकर चर्चा करे, जिसका साफ सा मतलब है कि सीएसी चुनावों तक काम करना जारी रखेगी और इसके बाद एजीएम में नई सीएसी का गठन होगा दो नई चयन समिति चुनेगी, लेकिन हम जानते हैं कि क्या हो रहा है."



सीओए ने कहा है कि चयन समिति को किसी भी तरह के चयन के लिए सचिव या सीईओ की जरूरत नहीं है. साथ ही चयन समितियों को कन्वेनर बैठक बुला सकते हैं न कि सचिव.



हालांकि सीओए ने विदेश दौरों के लिए कछ छूट दी हैं जिनके मुताबिक, एडमिनिस्ट्रेटिव मैनेजर पर बैठक की जिम्मेदारी होगी. सचिव को बैठक संबंधित जानकारी होगी ताकि वो रिकॉर्ड के लिए काम आ सके.


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