ETV Bharat / sports

मानसी जोशी ने जीता पहला विश्व पैरा बैडमिंटन खिताब - Manasi Joshi latest news

बैडमिंटन विश्व चैम्पियनशिप के महिला एकल वर्ग के फाइनल में हमवतन पारुल परमान को 21-12, 21-7 से हराकर भारत की पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी मानसी जोशी ने खिताब अपने नाम कर लिया.

Manasi Joshi
author img

By

Published : Aug 25, 2019, 9:01 PM IST

Updated : Sep 28, 2019, 6:13 AM IST

बासेल (स्विट्जरलैंड) : बैडमिंटन विश्व चैम्पियनशिप के महिला एकल वर्ग के फाइनल में भारत की पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी मानसी जोशी ने हमवतन पारुल परमान को 21-12, 21-7 से हराकर खिताब जीत लिया.
जोशी ने 2011 में एक दुघर्टना में अपना बायां पैर खो दिया था और चार साल बाद उन्होंने बैडमिंटन खेलना शुरू किया. वे पुलेला गोपीचंद अकादमी में ट्रेनिंग करती हैं.

मैच जीतने के बाद जोशी ने कहा, 'मैंने बहुत कठिन ट्रेनिंग की है. मैंने एक दिन में तीन सेशन ट्रेनिंग की है। मैंने फिटनेस पर ध्यान केंद्रित किया था, इसलिए मैंने कुछ वजन भी कम किया और अपनी मांसपेशियों को बढ़ाया. मैंने जिम में अधिक समय बिताया और सप्ताह में छह सेशन ट्रेनिंग की.'

Manasi Joshi
भारत की पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी मानसी जोशी

जोशी ने कहा, 'मैंने अपने स्ट्रोक्स पर भी काम किया, मैंने इसके लिए अकादमी में हर दिन ट्रेनिंग की. मैं समझती हूं कि मैं लगातार बेहतर हो रही हूं और अब ये दिखना शुरू हो गया है.'

अपने सफर के बारे में बात करते हुए जोशी ने कहा, "मैं 2015 से बैडमिंटन खेल रही हूं. विश्व चैम्पियनशिप में पदक जीतना किसी सपने के सच होने जैसा होता है."

जोशी ने बताया कि वे चलने के लिए अब नए वॉकिंग प्रोसथेसिस सॉकेट का उपयोग कर रही हैं. इससे पहले वे पांच साल से एक ही सॉकेट का इस्तेमाल कर रही थीं जिसके कारण वर्कआउट के दौरान उनकी रफ्तार धीमी हो रही थी.

बासेल (स्विट्जरलैंड) : बैडमिंटन विश्व चैम्पियनशिप के महिला एकल वर्ग के फाइनल में भारत की पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी मानसी जोशी ने हमवतन पारुल परमान को 21-12, 21-7 से हराकर खिताब जीत लिया.
जोशी ने 2011 में एक दुघर्टना में अपना बायां पैर खो दिया था और चार साल बाद उन्होंने बैडमिंटन खेलना शुरू किया. वे पुलेला गोपीचंद अकादमी में ट्रेनिंग करती हैं.

मैच जीतने के बाद जोशी ने कहा, 'मैंने बहुत कठिन ट्रेनिंग की है. मैंने एक दिन में तीन सेशन ट्रेनिंग की है। मैंने फिटनेस पर ध्यान केंद्रित किया था, इसलिए मैंने कुछ वजन भी कम किया और अपनी मांसपेशियों को बढ़ाया. मैंने जिम में अधिक समय बिताया और सप्ताह में छह सेशन ट्रेनिंग की.'

Manasi Joshi
भारत की पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी मानसी जोशी

जोशी ने कहा, 'मैंने अपने स्ट्रोक्स पर भी काम किया, मैंने इसके लिए अकादमी में हर दिन ट्रेनिंग की. मैं समझती हूं कि मैं लगातार बेहतर हो रही हूं और अब ये दिखना शुरू हो गया है.'

अपने सफर के बारे में बात करते हुए जोशी ने कहा, "मैं 2015 से बैडमिंटन खेल रही हूं. विश्व चैम्पियनशिप में पदक जीतना किसी सपने के सच होने जैसा होता है."

जोशी ने बताया कि वे चलने के लिए अब नए वॉकिंग प्रोसथेसिस सॉकेट का उपयोग कर रही हैं. इससे पहले वे पांच साल से एक ही सॉकेट का इस्तेमाल कर रही थीं जिसके कारण वर्कआउट के दौरान उनकी रफ्तार धीमी हो रही थी.

Intro:Body:



बासेल (स्विट्जरलैंड) : बैडमिंटन विश्व चैम्पियनशिप के महिला एकल वर्ग के फाइनल में भारत की पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी मानसी जोशी ने हमवतन पारुल परमान को 21-12, 21-7 से हराकर खिताब जीत लिया.

जोशी ने 2011 में एक दुघर्टना में अपना बायां पैर खो दिया था और चार साल बाद उन्होंने बैडमिंटन खेलना शुरू किया. वे पुलेला गोपीचंद अकादमी में ट्रेनिंग करती हैं.



मैच जीतने के बाद जोशी ने कहा, 'मैंने बहुत कठिन ट्रेनिंग की है. मैंने एक दिन में तीन सेशन ट्रेनिंग की है। मैंने फिटनेस पर ध्यान केंद्रित किया था, इसलिए मैंने कुछ वजन भी कम किया और अपनी मांसपेशियों को बढ़ाया. मैंने जिम में अधिक समय बिताया और सप्ताह में छह सेशन ट्रेनिंग की.'



जोशी ने कहा, 'मैंने अपने स्ट्रोक्स पर भी काम किया, मैंने इसके लिए अकादमी में हर दिन ट्रेनिंग की. मैं समझती हूं कि मैं लगातार बेहतर हो रही हूं और अब ये दिखना शुरू हो गया है.'



अपने सफर के बारे में बात करते हुए जोशी ने कहा, "मैं 2015 से बैडमिंटन खेल रही हूं. विश्व चैम्पियनशिप में पदक जीतना किसी सपने के सच होने जैसा होता है."



जोशी ने बताया कि वे चलने के लिए अब नए वॉकिंग प्रोसथेसिस सॉकेट का उपयोग कर रही हैं. इससे पहले वे पांच साल से एक ही सॉकेट का इस्तेमाल कर रही थीं जिसके कारण वर्कआउट के दौरान उनकी रफ्तार धीमी हो रही थी.


Conclusion:
Last Updated : Sep 28, 2019, 6:13 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.