नई दिल्ली :फिल्म निर्माता आदित्य विक्रम सेनगुप्ता का कहना है कि 'वंस अपॉन ए टाइम इन कलकत्ता' उनकी तीसरी फीचर फिल्म और प्रतिष्ठित वेनिस अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के लिए चुनी जाने वाली भारत की एकमात्र फिल्म है. उन्होंने कहा कि इस फिल्म के जरिये उन्होंने अपने शहर और दुनिया में एक खास पल को कैद करने की कोशिश है.
सेनगुप्ता की पहली फिल्म 'आशा जोर माझे' (लेबर ऑफ लव) ने 2014 में इस फिल्म महोत्सव के वेनिस डेज खंड में सर्वश्रेष्ठ डेब्यू के लिए फेडोरा पुरस्कार जीता था, जबकि उनकी दूसरी फिल्म, 'जोनकी' का प्रीमियर अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव रॉटरडैम 2018 में हुआ था.'लेबर ऑफ लव' ने एक निर्देशक की सर्वश्रेष्ठ पहली फिल्म के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी जीता था.
सेनगुप्ता ने 'पीटीआई-भाषा' को दिए साक्षात्कार में कहा, 'यह सत्यजीत रे का जन्मशताब्दी वर्ष है, इसलिए वेनिस में एकमात्र भारतीय फिल्म के रूप में एक बंगाली फिल्म का होना विशेष है. पूरी टीम खुश है और हम सभी धन्य महसूस करते हैं.
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उन्होंने सच्ची घटनाओं से प्रेरित इस फिल्म को कोलकाता शहर और इसके लोगों के लिए व्यक्तिगत अनुभूतियों और भावनाओं की परिणति बताया है. उन्होंने कहा कि हालांकि फिल्म कोलकाता पर केन्द्रित है, लेकिन हर जगह के लोग इसकी कहानी से जुड़ सकते हैं.
सेनगुप्ता (37) ने कहा, 'मैं हमेशा सचेत रहा हूं कि सब कुछ अंततः एक कहानी की तरह यादगार बन जाए. यहीं से शीर्षक का विचार आया. फिल्म में ऐसा कुछ भी नहीं है जिससे लोग नहीं जुड़ सकते हों.
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उन्होंने कहा,हर कोई एक ऐसी दुनिया का प्रतीक है, जो सिर्फ अपनी नहीं है. उनमें से अरबों हैं और यह मेरे लिए बहुत आकर्षक है. उनमें से प्रत्येक के पास दुनिया को देखने का एक तरीका है, एक अलग सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि है, दुख, दर्द, प्यार और खुशी का उनका अपना विचार है, यह मानव चेहरों की सुंदरता है क्योंकि वे समय और धारणा को दर्शाते हैं.
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सेनगुप्ता भारत के युवा फिल्म निर्माताओं की बढ़ती सूची का प्रतिनिधित्व करते हैं जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित कहानियां बता रहे हैं जो अत्यधिक मूल और व्यक्तिगत हैं. यह पूछे जाने पर कि उनके जैसे युवा फिल्म निर्माताओं को अंतरराष्ट्रीय दर्शकों के लिए ऐसी व्यक्तिगत कहानियों के साथ आने के लिए क्या प्रेरित करता है, सेनगुप्ता ने कहा कि इसका कुछ संबंध हो सकता है कि वे एक साधारण समय के दौरान कैसे बड़े हुए.
(इनपुट-पीटीआई)