शिमलाः पर्यटन और फिल्म जगत का हिमाचल प्रदेश से गहरा नाता है. प्रदेश में इन दिनों फिल्म सिटी की चर्चा भी जोरों पर है. देश की मशहूर फिल्मी हस्तियों का हिमाचल और विशेषकर शिमला से खासा लगाव है. ऐसे में शिमला के मशहूर ऐतिहासिक गेयटी थियेटर के जिक्र के बिना यह चर्चा अधूरी है. गेयटी थियेटर से मशहूर अभिनेता शशि कपूर को इस कदर लगाव था कि वे इसे ईंट-दर-ईंट मुंबई ले जाना चाहते थे. शशि कपूर ने कहा था, "वुड दैट आई कुड टेक गेयटी थियेटर ब्रिक बाई ब्रिक टू मुंबई".
शशि कपूर की ये इच्छा भी थी कि वे गेयटी थियेटर के में कुछ मदद कर पाते. ब्रिटिशकाल के इस ऐतिहासिक गेयटी थियेटर में पृथ्वीराज कपूर ने अभिनय किया है. इस कारण भी शशि कपूर का गेयटी थियेटर से लगाव था.
पूर्व प्रशासनिक अधिकारी श्रीनिवास जोशी उस समय को याद करते हुए कहते हैं कि शशि कपूर का शिमला से लगाव जगजाहिर था. वे शिमला में जे.सी. बैंडेलियर इमारत की ऊपरी मंजिल में रहते थे. लोअर बाजार में शिमला की मशहूर नत्थू स्वीट्स से माल रोड को जाने वाली सीढ़ियों के खत्म होने पर जे.सी. बैंडेलियर की इमारत थी, लेकिन शशि कपूर का शिमला में पहला प्रेम गेयटी थियेटर था.
गेयटी थियेटर को लेकर अभिनय जगत की कई हस्तियों में अबूझ आकर्षण रहा है. रंगमंच के महान कलाकार स्व. मनोहर सिंह भी गेयटी थियेटर के समीप से गुजरते हुए कहा करते थे कि काश! ये थियेटर मेरे जीते-जी रेनोवेट हो पाता. इसके अलावा शिमला के ऐतिहासिक गेयटी थियेटर से बेंडन पॉवेल, मेजर जनरल सर गोडफ्रे विलियम्स, रुडयार्ड किपलिंग, लार्ड किचनर, पृथ्वी राज कपूर, अनुपम खेर, नसीरुद्दीन शाह और कुंदन लाल सहगल का भी नाता रहा है.
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साल 1887 में ऐतिहासिक गेयटी थियेटर का निर्माण हेनरी इरविन ने करवाया था. यह ऐतिहासिक इमारत विक्टोरियन गोथिक शैली (Victorian Gothic Style) में बनी है. दिलचस्प बात यह है कि दुनिया में केवल 6 ही गेयटी हैं, जिनमें एक पहाड़ों की रानी शिमला में है. ब्रिटिश शासन काल में ग्रीष्मकालीन राजधानी रही शिमला में थियेटर कलाकार दूर-दूर से प्रस्तुति देने आते थे, लेकिन प्रस्तुति देने के लिए कलाकारों के पास कोई मंच नहीं था.
गेयटी थियेटर की एक खास बात यह भी है कि यहां कलाकार बिना माइक प्रस्तुति देते हैं. थियेटर को इस तरह बनाया गया है कि कलाकार की फुसफुसाहट भी आखरी पंक्ति में बैठे दर्शक को आसानी से सुनाई दे जाती है. थियेटर का निर्माण यू शेप में किया गया है.
1887 में बने गेयटी थियेटर का साल 2008 में आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के दिशा-निर्देशों के मुताबिक पुनरुद्धार भी किया गया. इसमें कुल 7 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे. मशहूर आर्किटेक्ट वेद सिंघल की देखरेख में पुनरुद्धार के दौरान थियेटर की बनावट से कोई छेड़छाड़ नहीं की गई. केवल यहां लगी मैरून रंग की कुर्सियों को हरे रंग की कुर्सियों के साथ बदला गया.
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