मुंबई : अगर आपने साल 2002 में आई गोविंदा की फिल्म 'चलो इश्क लड़ाएं' देखी है तो आपको उसमें पप्पू (गोविंदा का किरदार) की प्यारी और गुस्सैल दादी जरूर पसंद आई होंगी. जिनका किरदार निभाया था शानदार अदाकारा जोहरा सहगल ने. जोहरा बॉलीवुड की प्यारी दादी भी कही जाती थीं. 27 अप्रैल 1912 को जन्मीं जोहरा ने आज ही के दिन साल 2014 में 102 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया था.
1912 में उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में जन्मीं जोहरा सहगल ने डांसर के तौर पर अपने करियर की शुरुआत की. इसके बाद बॉलीवुड में अपने लिए अनोखा मुकाम हासिल किया.
पारंपरिक मुस्लिम परिवार में जन्म लेने वालीं जोहरा सहगल ने लाहौर के क्वीन मैरी कॉलेज से पढ़ाई की थीं, जहां महिलाओं को पर्दे में रखा जाता था. जोहरा सहगल ने ब्रिटेन में एक्टिंग की ट्रेनिंग ली थी, और फिर डांस की ट्रेनिंग के लिए जर्मनी चली गईं.
उनके बचपन का नाम साहेबजादी जोहरा बेगम मुमताज उल्ला खान था. उनके पिता मुमताज उल्ला खान और नातिका उल्ला खान उतर प्रदेश के रामपुर निवासी थे.
जोहरा ने 1946 में पहली फिल्म 'धरती के लाल' में अभिनय किया, लेकिन 80 साल की उम्र के बाद उन्होंने कई फिल्मों में यादगार भूमिकाएं कीं.
अभिनेत्री जोहरा सहगल ने 'बाजी', 'सीआईडी', 'आवारा' और 'नौ दो ग्यारह' जैसी सुपरहिट फिल्मों के लिए कोरियोग्राफी की थी. जोहरा सहगल जब तक जीवित रहीं उनकी उम्र भारतीय सिनेमा से एक साल ज्यादा रही. ऐसा इसलिए क्योंकि, पहली भारतीय फिल्म राजा हरिश्चंद्र वर्ष 1913 में आई थी. जबकि जोहरा सहगल का जन्म 1912 में हुआ था.
सात बच्चों में तीसरे नंबर की जोहरा बचपन से ही विलक्षण प्रतिभा वाली थीं, लेकिन अपनी रुचि के अनुसार नृत्य और रंगमंच में 14 साल तक सक्रिय रहने के बाद उनकी जवानी से लेकर बुढ़ापे तक का सफर फिल्मी दुनिया के नाम रहा.
जोहरा सहगल ने साल 1945 में 400 रुपये महीने की सेलरी पर पृथ्वी थिएटर ज्वाइन किया और अगले 14 साल पूरे हिंदुस्तान का शहर शहर छान मारा. पृथ्वी थिएटर के अलावा जोहरा इप्टा की भी सक्रिय सदस्य रहीं.
फिल्मों में जोहरा सहगल को पहला मौका 1982 में जेम्स आइवरी की फिल्म में मिला। उन्होंने बॉलीवुड के अलावा कई ब्रिटिश फिल्मों और टीवी शोज में काम किया। पाकिस्तान में एन इवनिंग विद जोहरा शो सुपरहिट रहा.
वह अकेली ऐसी शख्स रहीं, जिन्होंने पृथ्वीराज कपूर, पिछली सदी के महानायक अमिताभ बच्चन से लेकर नए जमाने के अभिनेता रणबीर कपूर तक के साथ अभिनय कर छाप छोड़ी.
'सांवरिया', 'चीनी कम', 'हम दिल दे चुके सनम', 'दिल से', 'बैंड इट लाइक बैकहम', 'साया', 'वीर-जारा', 'मिस्ट्रेस ऑफ स्पाइसेज' जैसी फिल्मों में जोहरा की चुलबुली एक्टिंग को नई पीढ़ी के लोगों ने भी देखा और सराहा.
वह 'इंडियन पीपुल्स थिएटर एसोसिएशन' की सदस्य थीं. उन्होंने चेतन आनंद की फिल्म 'नीचा नगर' में भी काम किया. वर्ष 2012 में बेटी किरन ने 'जोहरा सहगल: फैटी' नाम से जोहरा की जीवनी लिखी.
संयुक्त राष्ट्र के आबादी फंड (यूएनपीएफ) के शुरू किए लाडली अवार्ड्स में उन्हें सदी की लाडली का अवॉर्ड मिला.
जोहरा सहगल को 1998 में पद्मश्री, 2001 में कालीदास सम्मान, 2004 में संगीत नाटक अकादमी सम्मान भी मिले. संगीत नाटक अकादमी ने उन्हें लाइफ टाइव अचीवमेंट अवॉर्ड के तौर पर अपनी फेलोशिप भी दी.
देश का सबसे बड़ा दूसरा नागरिक सम्मान पद्म विभूषण उन्हें 2010 में मिला. 10 जुलाई 2014 को उन्हें अस्पताल में ही उन्हें दिल का दौरा पड़ा और वह 102 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह गईं.