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पुण्यतिथि खास: हर गर्दिश में चमकता ये फिल्मी सितारा 'शम्मी कपूर'

आज है मस्तमौला एक्टर श्री शम्मी कपूर जी की डेथ एनिवर्सरी. शम्मी कपूर के भतीजे ऋषि कपूर ने अपने अंकल को याद करते हुए अपने टवीटर हैंडल पर किया भावुक पोस्ट. 14 अगस्त 2011 को हुआ था शम्मी जी का निधन.

पुण्यतिथि खास: हर गर्दिश में चमकता ये फिल्मी सितारा 'शम्मी कपूर'
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Published : Aug 14, 2019, 12:47 PM IST

Updated : Sep 26, 2019, 11:34 PM IST

मुंबई : हिंदी सिनेमा का बेताज बादशाह, जिसके रोमांटिक अंदाज की हर हसीना कायल थी. एक ऐसा अभिनेता जिन्होंने उमंग और उत्साह के भाव को बड़े पर्दे पर बखूबी निभाया है. अपनी जीवन की मस्ती को अपने किरदार में जींवत करने वाले शम्मी कपूर आज किसी पहचान के मोहताज नहीं है.

जी हां...शम्मी कपूर की फिल्मों पर नजर डालने पर पता चलता है कि उन पर फिल्मायें गीतों में गायकी संगीत संयोजन और गीत के बोलों में मस्ती की भावना पिरोयी रहती थी.

पुण्यतिथि खास: हर गर्दिश में चमकता ये फिल्मी सितारा 'शम्मी कपूर'
पुण्यतिथि खास: हर गर्दिश में चमकता ये फिल्मी सितारा 'शम्मी कपूर'

'बार बार देखो हजार बार देखो' और 'चाहे मुझे कोई जंगली कहे' जैसे गीतों से आज भी उनकी बागी छवि की तस्वीर सिनेप्रेमियों के जेहन में उतर आती हैं. शम्मी कपूर को रिबेल स्टार (विद्रोही कलाकार) की उपाधि इसलिए दी गई क्योंकि उदासी, मायूसी और देवदास नुमा अभिनय की परम्परागत शैली को बिल्कुल नकार करके अपने अभिनय की नयी शैली विकसित की.

पुण्यतिथि खास: हर गर्दिश में चमकता ये फिल्मी सितारा 'शम्मी कपूर'
पुण्यतिथि खास: हर गर्दिश में चमकता ये फिल्मी सितारा 'शम्मी कपूर'

हाल ही में ऋषि कपूर ने शम्मी कपूर को याद कर उनके लिए एक ट्वीट किया है. साथ ही ऋषि कपूर ने शम्मी कपूर की एक फोटो भी शेयर की है. ऋषि लिखते हैं कि शम्मी कपूर को याद कर रहा हूं. वे हमें 14 अगस्त 2011 को अलविदा कह गए थे. उनके जैसा स्टार कोई नहीं.

  • कुछ यूं हुई फिल्मी सफर की शुरूआत...


21 अक्टूबर 1931 को मुंबई में जन्में शम्मी कपूर के पिता पृथ्वीराज कपूर फिल्म इंडस्ट्री के महान अभिनेता थे. घर में फिल्मी माहौल होने पर शम्मी कपूर का रूझान भी अभिनय की ओर हो गया और वह भी अभिनेता बनने का ख्वाब देखने लगे.

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पुण्यतिथि खास: हर गर्दिश में चमकता ये फिल्मी सितारा 'शम्मी कपूर'
वर्ष 1953 में प्रदर्शित फिल्म जीवन ज्योति से बतौर अभिनेता शम्मी कपूर ने फिल्म इंडस्ट्री का रूख किया. वर्ष 1953 से 1957 तक शम्मी कपूर फिल्म इंडस्ट्री में अपनी जगह बनाने के लिये संघर्ष करते रहे. इस दौरान एक के बाद एक उन्हें जो भी भूमिका मिली उसे वह स्वीकार करते चले गये.
पुण्यतिथि खास: हर गर्दिश में चमकता ये फिल्मी सितारा 'शम्मी कपूर'
पुण्यतिथि खास: हर गर्दिश में चमकता ये फिल्मी सितारा 'शम्मी कपूर'
उन्होने ठोकर, लड़की, खोज, मेहबूबा, एहसान, चोर बाजार, तांगेवाली, नकाब, मिस कोकोकोला, सिपहसालार, हम सब चोर हैं और मेम साहिब जैसी कई फिल्मों मे अभिनय किया, लेकिन इनमें से कोई भी फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सफल नहीं हुई.
  • इस अलग अंदाज से लूटा सबका दिल.....


शम्मी कपूर जब फिल्म इंडस्ट्री में आये तो उनका फिगर आड़ी तिरछी अदायें और बॉडी लैंग्वज फिल्म छायांकन की दृष्टि से उपयुक्त नहीं थे, लेकिन बाद में यही अंदाज लोगों के बीच आकर्षण का केन्द्र बन गया. उनके लिए संगीतकारों ने फड़कता हुआ संगीत, युवा मन को बैचेन करने वाले बोल और गीतकारों को संगीतकारों के तैयार की गयी धुन का बारीकी से अध्ययन करके गीत लिखने पड़े.

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पुण्यतिथि खास: हर गर्दिश में चमकता ये फिल्मी सितारा 'शम्मी कपूर'
इसे देखते हुए महान पार्श्वगायक मोहम्मद रफी ने अपनी मधुर आवाज से जो शैली तैयार की वह उनके लिये सर्वथा उपयुक्त साबित हुई.
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  • गीताबाली और शम्मी की दिलचस्प है कहानी...


वर्ष 1955 में शम्मी कपूर ने फिल्म अभिनेत्री गीताबाली से शादी कर ली. यह शादी जिन परिस्थतियों में हुई वे काफी दिलचस्प हैं. फिल्म इंडस्ट्री में गीताबाली उनसे काफी सीनियर थीं. शम्मी कपूर और गीताबाली की जोड़ी फिल्म मिस कोका कोला के दौरान सुर्खियों में आई थी. इसके बाद दोनों ने साथ में केदार शर्मा की फिल्म, रंगीन रातें, में भी काम किया.

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पुण्यतिथि खास: हर गर्दिश में चमकता ये फिल्मी सितारा 'शम्मी कपूर'
सूत्रों के मुताबिक केदार शर्मा की फिल्म, रंगीन रातें, के निर्माण के दौरान फिल्म अभिनेत्री माला सिन्हा और गीता बाली में शम्मी कपूर को लेकर झगड़ा हो गया था. बाद में केदार शर्मा के समझाने बुझाने पर दुबारा से फिल्म की शूटिंग शुरू हुई. फिल्म की शूटिंग होने के बाद शम्मी कपूर और गीताबाली जब मुंबई लौटकर आये तो दोनों ने निश्चय किया कि लोग उनके बारे में उल्टी सीधी बात कर रहे हैं. अत: दोनों को शादी कर लेनी चाहिए.
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पुण्यतिथि खास: हर गर्दिश में चमकता ये फिल्मी सितारा 'शम्मी कपूर'
चार अगस्त 1955 को शम्मी कपूर ने गीताबाली को फोन किया और कहा, मैं तुम्हें लेने आ रहा हूं. जब शम्मी कपूर गीता बाली को लेने उनके घर पहुंचे तो काफी रात भी हो चुकी थी और बारिश भी हो रही थी. दोनों मंदिर में गए. उस समय रात हो गई थी. दोनो मंदिर में ही रूके रहे. जब सुबह चार बजे पुजारी ने मंदिर में प्रवेश किया तो तभी उनकी शादी हो सकी.
  • इस फिल्म ने बदल ही जिंदगी...


शम्मी कपूर के अभिनय का सितारा निर्देशक नासिर हुसैन की वर्ष 1957 में प्रदर्शित फिल्म, तुमसा नहीं देखा, से चमका. बेहतरीन गीत, संगीत और अभिनय से सजी इस फिल्म की कामयाबी ने शम्मी कपूर को स्टार के रूप में स्थापित कर दिया.

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पुण्यतिथि खास: हर गर्दिश में चमकता ये फिल्मी सितारा 'शम्मी कपूर'
आज भी इस फिल्म के सदाबहार गीत दर्शकों और श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर देते हैं. साठ के दशक में शम्मी कपूर शोहरत की बुंलदियों पर जा पहुंचे. जब कभी फिल्म निर्माताओं को किसी नयी नायिका को फिल्म इंडस्ट्री में स्थापित करने का मौका देना होता था वे उसे शम्मी कपूर की नायिका के रूप में अपनी फिल्म में लेते थे.
पुण्यतिथि खास: हर गर्दिश में चमकता ये फिल्मी सितारा 'शम्मी कपूर'
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इन नायिकाओं में सायरा बानो, जंगली, आशा पारिख दिल देके देखो, साधना राजकुमार और शर्मिला टैगोर कश्मीर की कली शामिल है.आज के दौर में इंटरनेट के कई लोग दीवाने हैं. दिलचस्प बात यह है कि शम्मी कपूर फिल्म इंडस्ट्री में ही नहीं देश मे भी इंटरनेट का इस्तेमाल करने वाले कुछ प्रारंभिक लोगों में है. अपने दमदार अभिनय से दर्शकों के दिलों पर खास पहचान बनाने वाले शम्मी कपूर 14 अगस्त 2011 को इस दुनिया को अलविदा कह गए.
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पुण्यतिथि खास: हर गर्दिश में चमकता ये फिल्मी सितारा 'शम्मी कपूर'
शम्मी कपूर ने अपने पांच दशक के सिने करियर में लगभग 200 फिल्मों में काम किया. उनकी कुछ उल्लेखनीय फिल्में हैं- रंगीन रातें तुमसा नहीं देखा, मुजरिम, उजाला, दिल देके देखो, जंगली, प्रोफेसर, चाइना टाउन, ब्लफ मास्टर, कश्मीर की कली, राजकुमार, जानवर तीसरी मंजिल, ऐन इवनिंग इन पेरिस, बह्मचारी, तुमसे अच्छा कौन है प्रिंस, अंदाज, जमीर, परवरिश, प्रेम रोग, विधाता, देशप्रेमी, हीरो विधाता आदि.
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आज भले ही ये सितारा हमारे बीच नहीं है, लेकिन इन्होंने अपने अभिनय और रोमांटिक अंदाज से हिंदी सिनेमा को एक अलग ही पहचान दी है. आज भी शम्मी कपूर के यादगार गीत तमाम दर्शकों के दिलों में जिंदा है, जो यादों के माध्यम से हमेशा हमारे दिलों में जिंदा रहेंगा.

मुंबई : हिंदी सिनेमा का बेताज बादशाह, जिसके रोमांटिक अंदाज की हर हसीना कायल थी. एक ऐसा अभिनेता जिन्होंने उमंग और उत्साह के भाव को बड़े पर्दे पर बखूबी निभाया है. अपनी जीवन की मस्ती को अपने किरदार में जींवत करने वाले शम्मी कपूर आज किसी पहचान के मोहताज नहीं है.

जी हां...शम्मी कपूर की फिल्मों पर नजर डालने पर पता चलता है कि उन पर फिल्मायें गीतों में गायकी संगीत संयोजन और गीत के बोलों में मस्ती की भावना पिरोयी रहती थी.

पुण्यतिथि खास: हर गर्दिश में चमकता ये फिल्मी सितारा 'शम्मी कपूर'
पुण्यतिथि खास: हर गर्दिश में चमकता ये फिल्मी सितारा 'शम्मी कपूर'

'बार बार देखो हजार बार देखो' और 'चाहे मुझे कोई जंगली कहे' जैसे गीतों से आज भी उनकी बागी छवि की तस्वीर सिनेप्रेमियों के जेहन में उतर आती हैं. शम्मी कपूर को रिबेल स्टार (विद्रोही कलाकार) की उपाधि इसलिए दी गई क्योंकि उदासी, मायूसी और देवदास नुमा अभिनय की परम्परागत शैली को बिल्कुल नकार करके अपने अभिनय की नयी शैली विकसित की.

पुण्यतिथि खास: हर गर्दिश में चमकता ये फिल्मी सितारा 'शम्मी कपूर'
पुण्यतिथि खास: हर गर्दिश में चमकता ये फिल्मी सितारा 'शम्मी कपूर'

हाल ही में ऋषि कपूर ने शम्मी कपूर को याद कर उनके लिए एक ट्वीट किया है. साथ ही ऋषि कपूर ने शम्मी कपूर की एक फोटो भी शेयर की है. ऋषि लिखते हैं कि शम्मी कपूर को याद कर रहा हूं. वे हमें 14 अगस्त 2011 को अलविदा कह गए थे. उनके जैसा स्टार कोई नहीं.

  • कुछ यूं हुई फिल्मी सफर की शुरूआत...


21 अक्टूबर 1931 को मुंबई में जन्में शम्मी कपूर के पिता पृथ्वीराज कपूर फिल्म इंडस्ट्री के महान अभिनेता थे. घर में फिल्मी माहौल होने पर शम्मी कपूर का रूझान भी अभिनय की ओर हो गया और वह भी अभिनेता बनने का ख्वाब देखने लगे.

पुण्यतिथि खास: हर गर्दिश में चमकता ये फिल्मी सितारा 'शम्मी कपूर'
पुण्यतिथि खास: हर गर्दिश में चमकता ये फिल्मी सितारा 'शम्मी कपूर'
वर्ष 1953 में प्रदर्शित फिल्म जीवन ज्योति से बतौर अभिनेता शम्मी कपूर ने फिल्म इंडस्ट्री का रूख किया. वर्ष 1953 से 1957 तक शम्मी कपूर फिल्म इंडस्ट्री में अपनी जगह बनाने के लिये संघर्ष करते रहे. इस दौरान एक के बाद एक उन्हें जो भी भूमिका मिली उसे वह स्वीकार करते चले गये.
पुण्यतिथि खास: हर गर्दिश में चमकता ये फिल्मी सितारा 'शम्मी कपूर'
पुण्यतिथि खास: हर गर्दिश में चमकता ये फिल्मी सितारा 'शम्मी कपूर'
उन्होने ठोकर, लड़की, खोज, मेहबूबा, एहसान, चोर बाजार, तांगेवाली, नकाब, मिस कोकोकोला, सिपहसालार, हम सब चोर हैं और मेम साहिब जैसी कई फिल्मों मे अभिनय किया, लेकिन इनमें से कोई भी फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सफल नहीं हुई.
  • इस अलग अंदाज से लूटा सबका दिल.....


शम्मी कपूर जब फिल्म इंडस्ट्री में आये तो उनका फिगर आड़ी तिरछी अदायें और बॉडी लैंग्वज फिल्म छायांकन की दृष्टि से उपयुक्त नहीं थे, लेकिन बाद में यही अंदाज लोगों के बीच आकर्षण का केन्द्र बन गया. उनके लिए संगीतकारों ने फड़कता हुआ संगीत, युवा मन को बैचेन करने वाले बोल और गीतकारों को संगीतकारों के तैयार की गयी धुन का बारीकी से अध्ययन करके गीत लिखने पड़े.

पुण्यतिथि खास: हर गर्दिश में चमकता ये फिल्मी सितारा 'शम्मी कपूर'
पुण्यतिथि खास: हर गर्दिश में चमकता ये फिल्मी सितारा 'शम्मी कपूर'
इसे देखते हुए महान पार्श्वगायक मोहम्मद रफी ने अपनी मधुर आवाज से जो शैली तैयार की वह उनके लिये सर्वथा उपयुक्त साबित हुई.
पुण्यतिथि खास: हर गर्दिश में चमकता ये फिल्मी सितारा 'शम्मी कपूर'
पुण्यतिथि खास: हर गर्दिश में चमकता ये फिल्मी सितारा 'शम्मी कपूर'
  • गीताबाली और शम्मी की दिलचस्प है कहानी...


वर्ष 1955 में शम्मी कपूर ने फिल्म अभिनेत्री गीताबाली से शादी कर ली. यह शादी जिन परिस्थतियों में हुई वे काफी दिलचस्प हैं. फिल्म इंडस्ट्री में गीताबाली उनसे काफी सीनियर थीं. शम्मी कपूर और गीताबाली की जोड़ी फिल्म मिस कोका कोला के दौरान सुर्खियों में आई थी. इसके बाद दोनों ने साथ में केदार शर्मा की फिल्म, रंगीन रातें, में भी काम किया.

पुण्यतिथि खास: हर गर्दिश में चमकता ये फिल्मी सितारा 'शम्मी कपूर'
पुण्यतिथि खास: हर गर्दिश में चमकता ये फिल्मी सितारा 'शम्मी कपूर'
सूत्रों के मुताबिक केदार शर्मा की फिल्म, रंगीन रातें, के निर्माण के दौरान फिल्म अभिनेत्री माला सिन्हा और गीता बाली में शम्मी कपूर को लेकर झगड़ा हो गया था. बाद में केदार शर्मा के समझाने बुझाने पर दुबारा से फिल्म की शूटिंग शुरू हुई. फिल्म की शूटिंग होने के बाद शम्मी कपूर और गीताबाली जब मुंबई लौटकर आये तो दोनों ने निश्चय किया कि लोग उनके बारे में उल्टी सीधी बात कर रहे हैं. अत: दोनों को शादी कर लेनी चाहिए.
पुण्यतिथि खास: हर गर्दिश में चमकता ये फिल्मी सितारा 'शम्मी कपूर'
पुण्यतिथि खास: हर गर्दिश में चमकता ये फिल्मी सितारा 'शम्मी कपूर'
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पुण्यतिथि खास: हर गर्दिश में चमकता ये फिल्मी सितारा 'शम्मी कपूर'
चार अगस्त 1955 को शम्मी कपूर ने गीताबाली को फोन किया और कहा, मैं तुम्हें लेने आ रहा हूं. जब शम्मी कपूर गीता बाली को लेने उनके घर पहुंचे तो काफी रात भी हो चुकी थी और बारिश भी हो रही थी. दोनों मंदिर में गए. उस समय रात हो गई थी. दोनो मंदिर में ही रूके रहे. जब सुबह चार बजे पुजारी ने मंदिर में प्रवेश किया तो तभी उनकी शादी हो सकी.
  • इस फिल्म ने बदल ही जिंदगी...


शम्मी कपूर के अभिनय का सितारा निर्देशक नासिर हुसैन की वर्ष 1957 में प्रदर्शित फिल्म, तुमसा नहीं देखा, से चमका. बेहतरीन गीत, संगीत और अभिनय से सजी इस फिल्म की कामयाबी ने शम्मी कपूर को स्टार के रूप में स्थापित कर दिया.

पुण्यतिथि खास: हर गर्दिश में चमकता ये फिल्मी सितारा 'शम्मी कपूर'
पुण्यतिथि खास: हर गर्दिश में चमकता ये फिल्मी सितारा 'शम्मी कपूर'
आज भी इस फिल्म के सदाबहार गीत दर्शकों और श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर देते हैं. साठ के दशक में शम्मी कपूर शोहरत की बुंलदियों पर जा पहुंचे. जब कभी फिल्म निर्माताओं को किसी नयी नायिका को फिल्म इंडस्ट्री में स्थापित करने का मौका देना होता था वे उसे शम्मी कपूर की नायिका के रूप में अपनी फिल्म में लेते थे.
पुण्यतिथि खास: हर गर्दिश में चमकता ये फिल्मी सितारा 'शम्मी कपूर'
पुण्यतिथि खास: हर गर्दिश में चमकता ये फिल्मी सितारा 'शम्मी कपूर'
इन नायिकाओं में सायरा बानो, जंगली, आशा पारिख दिल देके देखो, साधना राजकुमार और शर्मिला टैगोर कश्मीर की कली शामिल है.आज के दौर में इंटरनेट के कई लोग दीवाने हैं. दिलचस्प बात यह है कि शम्मी कपूर फिल्म इंडस्ट्री में ही नहीं देश मे भी इंटरनेट का इस्तेमाल करने वाले कुछ प्रारंभिक लोगों में है. अपने दमदार अभिनय से दर्शकों के दिलों पर खास पहचान बनाने वाले शम्मी कपूर 14 अगस्त 2011 को इस दुनिया को अलविदा कह गए.
पुण्यतिथि खास: हर गर्दिश में चमकता ये फिल्मी सितारा 'शम्मी कपूर'
पुण्यतिथि खास: हर गर्दिश में चमकता ये फिल्मी सितारा 'शम्मी कपूर'
शम्मी कपूर ने अपने पांच दशक के सिने करियर में लगभग 200 फिल्मों में काम किया. उनकी कुछ उल्लेखनीय फिल्में हैं- रंगीन रातें तुमसा नहीं देखा, मुजरिम, उजाला, दिल देके देखो, जंगली, प्रोफेसर, चाइना टाउन, ब्लफ मास्टर, कश्मीर की कली, राजकुमार, जानवर तीसरी मंजिल, ऐन इवनिंग इन पेरिस, बह्मचारी, तुमसे अच्छा कौन है प्रिंस, अंदाज, जमीर, परवरिश, प्रेम रोग, विधाता, देशप्रेमी, हीरो विधाता आदि.
पुण्यतिथि खास: हर गर्दिश में चमकता ये फिल्मी सितारा 'शम्मी कपूर'
पुण्यतिथि खास: हर गर्दिश में चमकता ये फिल्मी सितारा 'शम्मी कपूर'



आज भले ही ये सितारा हमारे बीच नहीं है, लेकिन इन्होंने अपने अभिनय और रोमांटिक अंदाज से हिंदी सिनेमा को एक अलग ही पहचान दी है. आज भी शम्मी कपूर के यादगार गीत तमाम दर्शकों के दिलों में जिंदा है, जो यादों के माध्यम से हमेशा हमारे दिलों में जिंदा रहेंगा.

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मुंबई : हिंदी सिनेमा का बेताज बादशाह, जिसके रोमांटिक अंदाज की हर हसीना कायल थी. एक ऐसा अभिनेता जिन्होंने उमंग और उत्साह के भाव को बड़े पर्दे पर बखूबी निभाया है. अपनी जीवन की मस्ती को अपने किरदार में जींवत करने वाले शम्मी कपूर आज किसी पहचान के मोहताज नहीं है. 

जी हां...शम्मी कपूर की फिल्मों पर नजर डालने पर पता चलता है कि उन पर फिल्मायें गीतों में गायकी संगीत संयोजन और गीत के बोलों में मस्ती की भावना पिरोयी रहती थी. 

'बार बार देखो हजार बार देखो' और 'चाहे मुझे कोई जंगली कहे' जैसे गीतों से आज भी उनकी बागी छवि की तस्वीर सिनेप्रेमियों के जेहन में उतर आती हैं. शम्मी कपूर को रिबेल स्टार (विद्रोही कलाकार) की उपाधि इसलिए दी गई क्योंकि उदासी, मायूसी और देवदास नुमा अभिनय की परम्परागत शैली को बिल्कुल नकार करके अपने अभिनय की नयी शैली विकसित की. 

हाल ही में ऋषि कपूर ने शम्मी कपूर को याद कर उनके लिए एक ट्वीट किया है. साथ ही ऋषि कपूर ने शम्मी कपूर की एक फोटो भी शेयर की है. ऋषि लिखते हैं कि शम्मी कपूर को याद कर रहा हूं. वे हमें 14 अगस्त 2011 को अलविदा कह गए थे. उनके जैसा स्टार कोई नहीं.

कुछ यूं हुई फिल्मी सफर की शुरूआत...

21 अक्टूबर 1931 को मुंबई में जन्में शम्मी कपूर के पिता पृथ्वीराज कपूर फिल्म इंडस्ट्री के महान अभिनेता थे. घर में फिल्मी माहौल होने पर शम्मी कपूर का रूझान भी अभिनय की ओर हो गया और वह भी अभिनेता बनने का ख्वाब देखने लगे. 

वर्ष 1953 में प्रदर्शित फिल्म जीवन ज्योति से बतौर अभिनेता शम्मी कपूर ने फिल्म इंडस्ट्री का रूख किया. वर्ष 1953 से 1957 तक शम्मी कपूर फिल्म इंडस्ट्री में अपनी जगह बनाने के लिये संघर्ष करते रहे. इस दौरान एक के बाद एक उन्हें जो भी भूमिका मिली उसे वह स्वीकार करते चले गये.

उन्होने ठोकर, लड़की, खोज, मेहबूबा, एहसान, चोर बाजार, तांगेवाली, नकाब, मिस कोकोकोला, सिपहसालार, हम सब चोर हैं और मेम साहिब जैसी कई फिल्मों मे अभिनय किया, लेकिन इनमें से कोई भी फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सफल नहीं हुई.

अपने इस अलग अंदाज से लूटा सबका दिल.....

शम्मी कपूर जब फिल्म इंडस्ट्री में आये तो उनका फिगर आड़ी तिरछी अदायें और बॉडी लैंग्वज फिल्म छायांकन की दृष्टि से उपयुक्त नहीं थे, लेकिन बाद में यही अंदाज लोगों के बीच आकर्षण का केन्द्र बन गया. उनके लिए संगीतकारों ने फड़कता हुआ संगीत, युवा मन को बैचेन करने वाले बोल और गीतकारों को संगीतकारों के तैयार की गयी धुन का बारीकी से अध्ययन करके गीत लिखने पड़े. 

इसे देखते हुए महान पार्श्वगायक मोहम्मद रफी ने अपनी मधुर आवाज से जो शैली तैयार की वह उनके लिये सर्वथा उपयुक्त साबित हुई. 

गीताबाली और शम्मी की दिलचस्प है कहानी...

वर्ष 1955 में शम्मी कपूर ने फिल्म अभिनेत्री गीताबाली से शादी कर ली. यह शादी जिन परिस्थतियों में हुई वे काफी दिलचस्प हैं. फिल्म इंडस्ट्री में गीताबाली उनसे काफी सीनियर थीं. शम्मी कपूर और गीताबाली की जोड़ी फिल्म मिस कोका कोला के दौरान सुर्खियों में आई थी. इसके बाद दोनों ने साथ में केदार शर्मा की फिल्म, रंगीन रातें, में भी काम किया.

सूत्रों के मुताबिक केदार शर्मा की फिल्म, रंगीन रातें, के निर्माण के दौरान फिल्म अभिनेत्री माला सिन्हा और गीता बाली में शम्मी कपूर को लेकर झगड़ा हो गया था. बाद में केदार शर्मा के समझाने बुझाने पर दुबारा से फिल्म की शूटिंग शुरू हुई. फिल्म की शूटिंग होने के बाद शम्मी कपूर और गीताबाली जब मुंबई लौटकर आये तो दोनों ने निश्चय किया कि लोग उनके बारे में उल्टी सीधी बात कर रहे हैं. अत: दोनों को शादी कर लेनी चाहिए.

चार अगस्त 1955 को शम्मी कपूर ने गीताबाली को फोन किया और कहा, मैं तुम्हें लेने आ रहा हूं.  जब शम्मी कपूर गीता बाली को लेने उनके घर पहुंचे तो काफी रात भी हो चुकी थी और बारिश भी हो रही थी. दोनों मंदिर में गए. उस समय रात हो गई थी. दोनो मंदिर में ही रूके रहे. जब सुबह चार बजे पुजारी ने मंदिर में प्रवेश किया तो तभी उनकी शादी हो सकी.

इस फिल्म ने बदल ही जिंदगी...

शम्मी कपूर के अभिनय का सितारा निर्देशक नासिर हुसैन की वर्ष 1957 में प्रदर्शित  फिल्म, तुमसा नहीं देखा, से चमका. बेहतरीन गीत, संगीत और अभिनय से सजी इस फिल्म की कामयाबी ने शम्मी कपूर को स्टार के रूप में स्थापित कर दिया.

आज भी इस फिल्म के सदाबहार गीत दर्शकों और श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर देते हैं. साठ के दशक में शम्मी कपूर शोहरत की बुंलदियों पर जा पहुंचे. जब कभी फिल्म निर्माताओं को किसी नयी नायिका को फिल्म इंडस्ट्री में स्थापित करने का मौका देना होता था वे उसे शम्मी कपूर की नायिका के रूप में अपनी फिल्म में लेते थे.

इन नायिकाओं में सायरा बानो, जंगली, आशा पारिख दिल देके देखो, साधना राजकुमार और शर्मिला टैगोर कश्मीर की कली शामिल है.

आज के दौर में इंटरनेट के कई लोग दीवाने हैं. दिलचस्प बात यह है कि शम्मी कपूर फिल्म इंडस्ट्री में ही नहीं देश मे भी इंटरनेट का इस्तेमाल करने वाले कुछ प्रारंभिक लोगों में है. अपने दमदार अभिनय से दर्शकों के दिलों पर खास पहचान बनाने वाले शम्मी कपूर 14 अगस्त 2011 को इस दुनिया को अलविदा कह गए.

शम्मी कपूर ने अपने पांच दशक के सिने करियर में लगभग 200 फिल्मों में काम किया. उनकी कुछ उल्लेखनीय फिल्में हैं- रंगीन रातें तुमसा नहीं देखा, मुजरिम, उजाला, दिल देके देखो, जंगली, प्रोफेसर, चाइना टाउन, ब्लफ मास्टर, कश्मीर की कली, राजकुमार, जानवर तीसरी मंजिल, ऐन इवनिंग इन पेरिस, बह्मचारी, तुमसे अच्छा कौन है प्रिंस, अंदाज, जमीर, परवरिश, प्रेम रोग, विधाता, देशप्रेमी, हीरो विधाता आदि.

आज भले ही ये सितारा हमारे बीच नहीं है, लेकिन इन्होंने अपने अभिनय और रोमांटिक अंदाज से हिंदी सिनेमा को एक अलग ही पहचान दी है. आज भी शम्मी कपूर के यादगार गीत तमाम दर्शकों के दिलों में जिंदा है, जो यादों के माध्यम से हमेशा हमारे दिलों में जिंदा रहेंगा.





  

 


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Last Updated : Sep 26, 2019, 11:34 PM IST
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