मुंबई : बॉलीवुड अभिनेता इरफान खान का बुधवार को निधन हो गया. उनका थियेटर के प्रति गहरा लगाव था.
वह चाहते थे कि भारत में नई प्रतिभाएं रंगमंच पर आएं और थियेटर की संस्कृति उसी तरह विकसित हो, जैसा कि विकसित देशों में है. वह यह भी चाहते थे कि राजस्थान के गांवों की लोक कथाएं शहरों में बताई जाएं, ताकि ग्रामीण और शहरी भारत के बीच सही तालमेल बैठ सके.
साल 2016 में जयपुर आने के दौरान उन्होंने कहा था, "किसी अन्य देश में रंगमंच पर जाने को कभी भी हीन दृष्टि से नहीं देखा जाता है, लेकिन भारत में चीजों को बदलने की जरूरत है."
इरफान ने कहा था, "भारत में भी परिदृश्य को बदलते हुए देखना अच्छा लग रहा है. मैं गुजरात और राजस्थान केलोगों को अपने व्यस्त कार्यक्रम से समय निकाल कर नियमित रूप से थियेटरोंमें जाते हुए देखकर खुश होता हूं. इस माध्यम से विभिन्न राज्यों की कला औरसंस्कृति संरक्षित है और इसलिए इसे बढ़ावा दिया जाना चाहिए."
हालांकि, उन्हें यह देखकर काफी दु:ख हुआ था कि राजस्थान के गांवों में फैली विस्तृतलोक कथाएं और कहानियां बाहर निकलकर शहरों तक नहीं आ सकीं. उनके अनुसार, यही कारण है कि ग्रामीण और शहरी भारत के बीच एक वास्तविक जुड़ाव स्थापितनहीं हो सका, जिसके कारण अप्रत्यक्ष रूप से राज्य में थियेटर को विकसित होने में मदद नहीं मिली. इसके अलावा, उन्हें यह देखकर दुख हुआ था कि उद्योग में अब और गुणवत्ता वाले लेखक नहीं बचे हैं. उन्होंने कहा था, "दिलचस्प नाटकों को लिखने के लिए मजबूत लेखकों की आवश्यकता है और मैं चाहता हूं कि एफटीआईआई इस पर सोचना शुरू करे."
उनका दृढ़ मत था कि वास्तविक अभिनय रंगमंच से आता है.
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इरफान को वाइल्ड लाइफ को एक्सप्लोर करना भी पसंद था. उनका कहना था, "मुझे जंगल की गहराइयों में खोना पसंद है. वाइल्ड लाइफ सफारी मुझे उत्साहित करते हैं और मुझे अपनी जड़ों में लेकर जाते हैं. जंगल में चहलकदमी के दौरान आप जीवन से जुड़े नए दृष्टकोण के बारे में जानते हैं."
(इनपुट-आईएएनएस)