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टैगोर के रंग को लेकर केंद्रीय मंत्री की टिप्पणी पर विवाद - भाजपा नेता सुभाष सरकार

नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर पर केंद्रीय मंत्री सुभाष सरकार की टिप्पणी पर विवाद खड़ा हो गया है. शिक्षाविदों और राजनेताओं ने सरकार की टिप्पणी की निंदा की है. भाजपा नेता सरकार ने कहा था कि रवींद्रनाथ टैगोर की मां ने बचपन में उन्हें गोद में इसलिए नहीं लिया क्योंकि उनका रंग गोरा नहीं था.

सुभाष सरकार
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Published : Aug 19, 2021, 1:46 AM IST

कोलकाता : केंद्रीय मंत्री सुभाष सरकार ने बुधवार को अपनी उस टिप्पणी से विवाद खड़ा कर दिया कि नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर की मां ने बचपन में उन्हें गोद में इसलिए नहीं लिया क्योंकि 'उनका रंग गोरा नहीं था'. केंद्रीय शिक्षा राज्यमंत्री ने टैगोर द्वारा स्थापित विश्व भारती विश्वविद्यालय की यात्रा के दौरान यह टिप्पणी की.

सुभाष सरकार की इस टिप्पणी पर पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने नाराजगी जताते हुए इसे राज्य की शख्सियत का 'अपमान' करार दिया. हालांकि, भाजपा ने मंत्री का बचाव करते हुए कहा कि उनकी टिप्पणी 'नस्लवाद' के खिलाफ थी.

सुभाष सरकार ने छोटी संख्या में मौजूद लोगों के समक्ष कहा कि टैगोर परिवार के अन्य सदस्यों का रंग 'चमकदार पीला गोरा' था. उन्होंने कहा कि टैगोर गोरे थे, लेकिन उनकी त्वचा पर लाल रंग की आभा थी.

उन्होंने कहा, 'दो तरह की गोरी त्वचा वाले लोग होते हैं. एक जो पीले रंग की आभा के साथ बहुत गोरे होते हैं और दूसरे जो गोरे होते हैं लेकिन लाल रंग की आभा का प्रभाव होता है. टैगोर दूसरी श्रेणी के थे.'

सुभाष सरकार ने कहा कि टैगोर का रंग अधिक गोरा नहीं होने के कारण उनकी मां और परिवार के कई अन्य सदस्य रवींद्रनाथ को गोद में नहीं लेते थे.

शिक्षाविदों और राजनेताओं ने सरकार की टिप्पणी की निंदा की है.

यह भी पढ़ें- हरियाणा में 'गोरख धंधा' शब्द के इस्तेमाल पर लगी रोक

टैगोर के वंशज सुप्रियो टैगोर ने कहा कि रवींद्रनाथ टैगोर ने खुद स्वीकार किया था कि उनकी त्वचा का रंग गोरा नहीं था. इससे जुड़ी कई दिलचस्प कहानियां हैं. लेकिन यह टिप्पणी कि उनकी मां ने बचपन में इस कारण से उन्हें गोद लेने से इनकार कर दिया, पूरी तरह से अनुचित है.

उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्री का बयान अपमानजनक और निंदनीय है.

कोलकाता : केंद्रीय मंत्री सुभाष सरकार ने बुधवार को अपनी उस टिप्पणी से विवाद खड़ा कर दिया कि नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर की मां ने बचपन में उन्हें गोद में इसलिए नहीं लिया क्योंकि 'उनका रंग गोरा नहीं था'. केंद्रीय शिक्षा राज्यमंत्री ने टैगोर द्वारा स्थापित विश्व भारती विश्वविद्यालय की यात्रा के दौरान यह टिप्पणी की.

सुभाष सरकार की इस टिप्पणी पर पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने नाराजगी जताते हुए इसे राज्य की शख्सियत का 'अपमान' करार दिया. हालांकि, भाजपा ने मंत्री का बचाव करते हुए कहा कि उनकी टिप्पणी 'नस्लवाद' के खिलाफ थी.

सुभाष सरकार ने छोटी संख्या में मौजूद लोगों के समक्ष कहा कि टैगोर परिवार के अन्य सदस्यों का रंग 'चमकदार पीला गोरा' था. उन्होंने कहा कि टैगोर गोरे थे, लेकिन उनकी त्वचा पर लाल रंग की आभा थी.

उन्होंने कहा, 'दो तरह की गोरी त्वचा वाले लोग होते हैं. एक जो पीले रंग की आभा के साथ बहुत गोरे होते हैं और दूसरे जो गोरे होते हैं लेकिन लाल रंग की आभा का प्रभाव होता है. टैगोर दूसरी श्रेणी के थे.'

सुभाष सरकार ने कहा कि टैगोर का रंग अधिक गोरा नहीं होने के कारण उनकी मां और परिवार के कई अन्य सदस्य रवींद्रनाथ को गोद में नहीं लेते थे.

शिक्षाविदों और राजनेताओं ने सरकार की टिप्पणी की निंदा की है.

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टैगोर के वंशज सुप्रियो टैगोर ने कहा कि रवींद्रनाथ टैगोर ने खुद स्वीकार किया था कि उनकी त्वचा का रंग गोरा नहीं था. इससे जुड़ी कई दिलचस्प कहानियां हैं. लेकिन यह टिप्पणी कि उनकी मां ने बचपन में इस कारण से उन्हें गोद लेने से इनकार कर दिया, पूरी तरह से अनुचित है.

उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्री का बयान अपमानजनक और निंदनीय है.

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