हैदराबाद : विख्यात भारतीय-अमेरिकी खगोलशास्त्री सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखर उन भारतीयों में से हैं जिन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. सुब्रह्मण्यन चंद्रशेखर का जन्म 19 अक्टूबर 1910 को पाकिस्तान के लाहौर में एक तमिल परिवार में हुआ था. इनके पिता का नाम सुब्रह्मण्यन अय्यर और माता का शीतलक्ष्मी था. सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखर की छह बहनें थीं और तीन भाई थे.
उनकी प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा मद्रास में हुई. बचपन से ही पढ़ाई में तेज रहे चंद्रशेखर का 18 वर्ष की आयु में पहला रिसर्च पेपर इंडियन जर्नल ऑफ फिजिक्स में प्रकाशित हुआ था. मद्रास के प्रेसीडेंसी कॉलेज से स्नातक की डिग्री मिलने तक उनके कई रिसर्च पेपर पब्लिश हो चुके थे. बेहद कम उम्र में ही उनका एक रिसर्च पेपर प्रोसीडिंग्स ऑफ द रॉयल सोसाइटी में भी प्रकाशित हुआ था.
जून 1930 में वह स्नातक की पढ़ाई के लिए ब्रिटेन चले गए. भारत सरकार ने सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखर को कैम्ब्रिज में अध्ययन करने के लिए स्कालरशिप प्रदान की, जहां पर वह प्रोफेसर आरएच फाउलर की अंदर में एक शोध छात्र बने.
1971 से 1983 के दौरान उन्होंने ब्लैक होल के गणितीय सिद्धांत में शोध किया. इसके बाद गुरुत्वाकर्षण तरंगों के टकराने के सिद्धांत पर काम किया.
साल 1969 में जब उन्हें भारत सरकार की ओर से पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया, तब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उन्हें पुरस्कार देते हुए कहा था, 'यह बड़े दुख की बात है कि हम चंद्रशेखर को अपने देश में नहीं रख सके. पर मैं आज भी नहीं कह सकती कि यदि वह भारत में रहते तो इतना बड़ा काम कर पाते.'
चंद्रशेखर ने लगभग 400 पत्र-पत्रिकाओं के साथ कई पुस्तकों का प्रकाशन भी किया.
अमेरिका जाने के 16 साल बाद 1953 में चंद्रशेखर को अमेरिकी नागरिकता प्रदान की गई.
1983 में उन्हें भौतिकी के क्षेत्र में डॉक्टर विलियम फाउलर के साथ संयुक्त रूप से नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
वह 1980 में शिकागो विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्त हुए.
चंद्रशेखर अपनी पूरी जिंदगी रिसर्च करते रहे और अपना ज्ञान दूसरों में बांटते रहे.
चंद्रशेखर का 21 अगस्त, 1995 को 84 वर्ष की आयु में दिल का दौरा पड़ने से शिकागो में निधन हो गया.