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चंद्रयान-1 की तस्वीरों से मिला संकेत, चंद्रमा के ध्रुवों पर लग रही जंग

केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने रविवार को कहा कि भारत के पहले चंद्र मिशन, चंद्रयान -1 द्वारा भेजे गए चित्र बताते हैं कि चंद्रमा के ध्रुवों पर जंग लग सकता है. चंद्रयान -1 को 2008 में लॉन्च किया गया था. इसरो के पहले मिशन ने ऐसी तस्वीरें भेजी हैं जो दिखाती हैं कि चंद्रमा के ध्रुवों पर जंग लग सकती है.

Moon, Moon may be rusting along poles
चंद्रयान -1 द्वारा भेजी तस्वीरों से चंद्रमा के ध्रुवों पर जंग लगने का पता चला
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Published : Sep 7, 2020, 5:31 PM IST

Updated : Feb 16, 2021, 7:31 PM IST

नई दिल्ली : केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने रविवार को कहा कि, भारत के पहले चंद्र मिशन, चंद्रयान -1 द्वारा भेजे गए चित्र से पता चलता है कि चंद्रमा को ध्रुवों पर जंग लग सकती है.

2008 में लॉन्च चंद्रयान -1 ने ऐसी तस्वीरें भेजी हैं जो दिखाती हैं कि चंद्रमा के ध्रुवों पर जंग लग सकती है.

अंतरिक्ष विभाग के राज्य मंत्री, जितेंद्र सिंह ने कहा कि, इस खोज का संकेत यह है कि चांद पर लौहयुक्त चट्टानें हैं लेकिन वहां पानी और ऑक्सीजन की उपस्थिति का पता अभी तक नहीं चल पाया है. जबकि जंग बनने के लिए लोहे का पानी और ऑक्सीजन के संपर्क में आना जरूरी होता है.

नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) के वैज्ञानिकों का कहना है कि ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि पृथ्वी का वायुमंडल मदद कर रहा है, जिसका अर्थ है कि पृथ्वी का वायुमंडल चंद्रमा की भी रक्षा कर सकता है.

नासा के वैज्ञानिकों ने एक बयान में कहा है कि, चंद्रयान -1 के डेटा और उसके द्वारा खींची गई तस्वीरों से संकेत मिलता है कि चंद्रमा के ध्रुवों पर पानी है, यही वैज्ञानिक समझने का प्रयास कर रहे हैं.

पढ़ेंः आईएफए : एलजी ने पेश किए नये स्मार्ट डिवाइस

नई दिल्ली : केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने रविवार को कहा कि, भारत के पहले चंद्र मिशन, चंद्रयान -1 द्वारा भेजे गए चित्र से पता चलता है कि चंद्रमा को ध्रुवों पर जंग लग सकती है.

2008 में लॉन्च चंद्रयान -1 ने ऐसी तस्वीरें भेजी हैं जो दिखाती हैं कि चंद्रमा के ध्रुवों पर जंग लग सकती है.

अंतरिक्ष विभाग के राज्य मंत्री, जितेंद्र सिंह ने कहा कि, इस खोज का संकेत यह है कि चांद पर लौहयुक्त चट्टानें हैं लेकिन वहां पानी और ऑक्सीजन की उपस्थिति का पता अभी तक नहीं चल पाया है. जबकि जंग बनने के लिए लोहे का पानी और ऑक्सीजन के संपर्क में आना जरूरी होता है.

नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) के वैज्ञानिकों का कहना है कि ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि पृथ्वी का वायुमंडल मदद कर रहा है, जिसका अर्थ है कि पृथ्वी का वायुमंडल चंद्रमा की भी रक्षा कर सकता है.

नासा के वैज्ञानिकों ने एक बयान में कहा है कि, चंद्रयान -1 के डेटा और उसके द्वारा खींची गई तस्वीरों से संकेत मिलता है कि चंद्रमा के ध्रुवों पर पानी है, यही वैज्ञानिक समझने का प्रयास कर रहे हैं.

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Last Updated : Feb 16, 2021, 7:31 PM IST
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