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क्वांटम कंप्यूटर्स के लिए समस्या बन सकती हैं कॉस्मिक किरणें - एमआईटी

क्वांटम कंप्यूटिंग में हाइपर-फास्ट गति से जटिल समस्याओं को संभालने की क्षमता है. यह इसलिए संभव है कि यह क्यूबिट्स का उपयोग करता है. क्यूबिट्स आम तौर पर इलेक्ट्रॉन जैसे उप परमाणु कण हैं, जो पारंपरिक बिट्स के (0 या 1) कई संयोजनों का प्रतिनिधित्व करने के लिए क्वांटम गुणों का उपयोग करते हैं.

Quantum Computers
क्वांटम कंप्यूटर्स
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Published : Aug 29, 2020, 9:10 PM IST

Updated : Feb 16, 2021, 7:31 PM IST

वॉशिंगटन : क्यूबिट्स बहुत ही संवेदनशील हैं. यहां तक ​​कि थोड़ी सी भी गड़बड़ी इसके लिए बड़ा नुकसान कर सकती है. डिकोहेरेंस प्रोसेस के दौरान इसका जल्दी से क्षय होना और गायब होना मुश्किलें खड़ी कर सकता है. नेचर में प्रकाशित नए निष्कर्षों के अनुसार, कॉस्मिक रेडिएशन भी डिकोहेरेंस का एक कारण है.

यह एक समस्या है क्योंकि यह मूल रूप से ऐसी किसी भी प्रणाली को प्रभावित करता है, जो भूमिगत या संग्रहीत तरीके से घिरा हुआ नहीं है. कॉस्मिक किरणों के संपर्क में आने वाला कोई भी स्थान इस प्रकार की प्रक्रियाओं के लिए अनुचित साबित होगा.

भविष्य में क्वांटम कंप्यूटर्स के लिए समस्या खड़ी कर सकती हैं कॉस्मिक किरणें
भविष्य में क्वांटम कंप्यूटर्स के लिए समस्या खड़ी कर सकती हैं कॉस्मिक किरणें

वॉशिंगटन के रिचलैंड में पैसिफिक नॉर्थवेस्ट नेशनल लेबोरेटरी के को-ऑथर ब्रेंट वनडेवेंडर का कहना है, 'सुपरकंडक्टिंग क्यूबिट तकनीक पर आधारित किसी भी क्वांटम कंप्यूटर को रेडिएशन के प्रभावों से स्पष्ट रूप से निपटना होगा.'

रेड्एशन से क्यूबिट में ऊर्जा जमा हो जाती है जो इसे नुकसान पहुंचाती है. सुपरकंडक्टर में इलेक्ट्रॉन के जोड़े को तोड़ने के लिए बहुत कम ऊर्जा लगती है और यह जोड़े टूटकर फ्री इलेक्ट्रॉन बन जाते हैं, जो संभवतः ऊर्जा आदान-प्रदान के लिए अग्रणी होते हैं, जो सुपरकंडक्टर की नाजुक स्थिति को नष्ट कर सकते हैं. इसके कारण क्यूबीट अपनी क्वांटम स्थिति को खो देते हैं और किसी भी वास्तविक क्वांटम कंप्यूटिंग को समाप्त कर देते हैं.

एमआईटी में क्वांटम कंप्यूटिंग पर शोध कर रही टीम ने सुपरकंडक्टिंग क्यूबीट को तांबा के संपर्क में लाए.

ऑस्टिन के टेक्सास विश्वविद्यालय में क्वांटम कंप्यूटिंग शोधकर्ता श्याम शंकर ने कहा कि इससे कोई आश्चर्य की बात नहीं है. उन्होंने कहा कि मैं ऐसा कहूंगा कि बहुत से लोग ऐसा होने की आशा में थे, लेकिन हमें यह बिल्कुल नहीं पता था कि यह विकिरण किस स्तर पर qubits को प्रभावित करेगा. वास्तव में इन प्रयोगों को चलाना कितना कठिन है.

वनडेवेंडर कहते हैं कि अब समझने और डील करने का समय है. क्वांटम कंप्यूटिंग इंजीनियर त्रुटि-सुधार तंत्र (error-correction mechanisms ) को तैनात कर सकते हैं, जो इन प्रभावों को कम करने में मदद कर सकते हैं, लेकिन वर्तमान में वह विकिरण-प्रेरित qubit decoherence को पकड़ने में बहुत धीमी हैं.

वनडेवेंडर कहते हैं कि यह क्वांटम कंप्यूटिंग के लिए बहुत अच्छी खबर नहीं है, लेकिन इस रिसर्च क्वांटम कंप्यूटिंग को फायदा मिल सकता है.

उन्होंने कहा कि आशा है कि प्रयोगों में बेहतर संवेदनशीलता मौजूद है, जो भौतिकी कणों के मानक मॉडल में लंबे समय से देखी गई खामियों को उजागर कर सकते हैं.

वॉशिंगटन : क्यूबिट्स बहुत ही संवेदनशील हैं. यहां तक ​​कि थोड़ी सी भी गड़बड़ी इसके लिए बड़ा नुकसान कर सकती है. डिकोहेरेंस प्रोसेस के दौरान इसका जल्दी से क्षय होना और गायब होना मुश्किलें खड़ी कर सकता है. नेचर में प्रकाशित नए निष्कर्षों के अनुसार, कॉस्मिक रेडिएशन भी डिकोहेरेंस का एक कारण है.

यह एक समस्या है क्योंकि यह मूल रूप से ऐसी किसी भी प्रणाली को प्रभावित करता है, जो भूमिगत या संग्रहीत तरीके से घिरा हुआ नहीं है. कॉस्मिक किरणों के संपर्क में आने वाला कोई भी स्थान इस प्रकार की प्रक्रियाओं के लिए अनुचित साबित होगा.

भविष्य में क्वांटम कंप्यूटर्स के लिए समस्या खड़ी कर सकती हैं कॉस्मिक किरणें
भविष्य में क्वांटम कंप्यूटर्स के लिए समस्या खड़ी कर सकती हैं कॉस्मिक किरणें

वॉशिंगटन के रिचलैंड में पैसिफिक नॉर्थवेस्ट नेशनल लेबोरेटरी के को-ऑथर ब्रेंट वनडेवेंडर का कहना है, 'सुपरकंडक्टिंग क्यूबिट तकनीक पर आधारित किसी भी क्वांटम कंप्यूटर को रेडिएशन के प्रभावों से स्पष्ट रूप से निपटना होगा.'

रेड्एशन से क्यूबिट में ऊर्जा जमा हो जाती है जो इसे नुकसान पहुंचाती है. सुपरकंडक्टर में इलेक्ट्रॉन के जोड़े को तोड़ने के लिए बहुत कम ऊर्जा लगती है और यह जोड़े टूटकर फ्री इलेक्ट्रॉन बन जाते हैं, जो संभवतः ऊर्जा आदान-प्रदान के लिए अग्रणी होते हैं, जो सुपरकंडक्टर की नाजुक स्थिति को नष्ट कर सकते हैं. इसके कारण क्यूबीट अपनी क्वांटम स्थिति को खो देते हैं और किसी भी वास्तविक क्वांटम कंप्यूटिंग को समाप्त कर देते हैं.

एमआईटी में क्वांटम कंप्यूटिंग पर शोध कर रही टीम ने सुपरकंडक्टिंग क्यूबीट को तांबा के संपर्क में लाए.

ऑस्टिन के टेक्सास विश्वविद्यालय में क्वांटम कंप्यूटिंग शोधकर्ता श्याम शंकर ने कहा कि इससे कोई आश्चर्य की बात नहीं है. उन्होंने कहा कि मैं ऐसा कहूंगा कि बहुत से लोग ऐसा होने की आशा में थे, लेकिन हमें यह बिल्कुल नहीं पता था कि यह विकिरण किस स्तर पर qubits को प्रभावित करेगा. वास्तव में इन प्रयोगों को चलाना कितना कठिन है.

वनडेवेंडर कहते हैं कि अब समझने और डील करने का समय है. क्वांटम कंप्यूटिंग इंजीनियर त्रुटि-सुधार तंत्र (error-correction mechanisms ) को तैनात कर सकते हैं, जो इन प्रभावों को कम करने में मदद कर सकते हैं, लेकिन वर्तमान में वह विकिरण-प्रेरित qubit decoherence को पकड़ने में बहुत धीमी हैं.

वनडेवेंडर कहते हैं कि यह क्वांटम कंप्यूटिंग के लिए बहुत अच्छी खबर नहीं है, लेकिन इस रिसर्च क्वांटम कंप्यूटिंग को फायदा मिल सकता है.

उन्होंने कहा कि आशा है कि प्रयोगों में बेहतर संवेदनशीलता मौजूद है, जो भौतिकी कणों के मानक मॉडल में लंबे समय से देखी गई खामियों को उजागर कर सकते हैं.

Last Updated : Feb 16, 2021, 7:31 PM IST
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