बीजिंगः चीन के थियानमेन के नरसंहार को सोमवार को 30 साल हो चुके हैं लेकिन वहां हुई अमानवीय घटना कईं लोगों के दिमाग में आज भी ताजा है.
बता दें थियानमेन चौक में चीन के अधिकारियों ने प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए सिपाही भेजे थे जिसमें हजारों की संख्या में क्रूरता से छात्रों को मारा गया था.
इन प्रदर्शनकारी छात्रों पर टैंक चलवा दिया गया था.
क्या थी घटना,
1989 में छात्रों का एक विरोध प्रदर्शन चीन के थियानमेन चौक पर हुआ था. सुधारवादी हू याओबांग की मृत्यु के बाद छात्रों ने ये प्रदर्शन किया था. उनका मकसद सरकार की आर्थिक और राजनीतिक नीतियों का विरोध करना था. हू की याद में एक मार्च निकाला गया था.
तीन और चार जून 1989 को विरोध हुआ था. चीन की पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी ने इन विरोधों को कुचल दिया. प्रदर्शनकारी छात्रों पर टैंक चलवा दिया गया. गोलियां चलवाई गईं. उस समय चीन में मार्शल लॉ लागू कर दिया गया था. निर्दयतापूर्ण तरीके से छात्रों की हत्या कर दी गई थी.
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थियानमेन में युवाओं द्वारा किया गया विरोध प्रदर्शन शांति से किया गया विरोध प्रदर्शन था.
इसलिए चीनी सरकार के लिए यह जरूरी था कि वे जल्दी ही इस प्रदर्शन को खत्म कर दें. और हुआ भी ठीक ऐसा ही, सेना ने प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाईं और सैकड़ों लोगो को मार डाला.
आज तक किसी को सही तौर पर यह भी नहीं पता है कि वास्तव में 4 जून 1989 को घातक हमले में कितने लोग मारे गए थे.
चीन के सरकारी आंकड़े बताते हैं कि 200 लोग मारे गए थे. गैर सरकारी आंकड़े हजारों की संख्या बताते हैं. कई हजार छात्र घायल भी हुए थे.
लेकिन इसके लिए आज तक कोई आधिकारिक डेटा जारी नहीं किया गया है.