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तालिबान ने चीन को मित्र बताया, उइगुर मुस्लिम चरमपंथियों को पनाह नहीं देने का वादा - Muslim extremists

तालिबान ने कहा है कि वह चीन को अफगानिस्तान के मित्र के रूप में देखता है और बीजिंग को आश्वस्त किया कि वह अशांत शिंजियांग प्रांत के उइगुर इस्लामी चरमपंथियों को अपने यहां पनाह नहीं देगा. उइगुर इस्लामी चरमपंथी चीन सरकार के लिए चिंता का एक बड़ा कारण बन गए हैं. अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बीच तालिबान युद्धग्रस्त अफगानिस्तान में अधिक से अधिक क्षेत्र पर अपना नियंत्रण स्थापित करने की कोशिश कर रहा है.

तालिबान ने चीन को मित्र बताया
तालिबान ने चीन को मित्र बताया
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Published : Jul 10, 2021, 7:17 PM IST

बीजिंग : तालिबान ने कहा है कि वह चीन को अफगानिस्तान के मित्र के रूप में देखता है और बीजिंग को आश्वस्त किया कि वह अशांत शिंजियांग प्रांत के उइगुर इस्लामी चरमपंथियों को अपने यहां पनाह नहीं देगा. उइगुर इस्लामी चरमपंथी चीन सरकार के लिए चिंता का एक बड़ा कारण बन गए हैं. अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बीच तालिबान युद्धग्रस्त अफगानिस्तान में अधिक से अधिक क्षेत्र पर अपना नियंत्रण स्थापित करने की कोशिश कर रहा है.

वहीं, चीन को इस बात की चिंता की सता रही है कि तालिबान के शासन में अफगानिस्तान ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट (ईटआईएम) का केंद्र बन जाएगा, जो एक अलगाववादी संगठन है और आतंकी संगठन अलकायदा से संबद्ध है. संसाधन बहुल शिंजियांग की करीब 80 किलोमीटर लंबी सीमा अफगानिस्तान से लगी हुई है. हालांकि, चीन की चिंताओं को तवज्जो नहीं देते हुए तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने कहा कि वे चीन को अफगानिस्तान के एक मित्र के रूप में देखते हैं और पुनर्निमाण कार्य में यथाशीघ्र निवेश के लिए बीजिंग से बात करने की आशा करते हैं.

इसे भी पढ़े-भारत, जॉर्जिया ने संबंधों को मजबूत करने के लिए मिलकर काम करने पर सहमति जताई

सुहैल ने कहा कि तालिबान चीन के उइगुर अलगाववादी लड़ाकों को देश में प्रवेश की अनुमति नहीं देगा. दरअसल, उनमें से कुछ ने पूर्व में अफगानिस्तान में शरण मांगी थी. प्रवक्ता ने कहा कि तालिबान अलकायदा या किसी अन्य आतंकी संगठन को वहां से संचालित होने से रोकेगा. सुहैल ने कहा, चीन के साथ हमारे अच्छे संबंध हैं.

अफगानिस्तान में चीन बड़े पैमाने पर निवेश करने की सोच रहा है, क्योंकि वहां अब तक दोहन नहीं किए गए तांबा, कोयला, लोहा, गैस, कोबाल्ट, पारा, सोना, लिथियम और थोरियम का विश्व का सबसे बड़ा भंडार है.

(पीटीआई-भाषा)

बीजिंग : तालिबान ने कहा है कि वह चीन को अफगानिस्तान के मित्र के रूप में देखता है और बीजिंग को आश्वस्त किया कि वह अशांत शिंजियांग प्रांत के उइगुर इस्लामी चरमपंथियों को अपने यहां पनाह नहीं देगा. उइगुर इस्लामी चरमपंथी चीन सरकार के लिए चिंता का एक बड़ा कारण बन गए हैं. अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बीच तालिबान युद्धग्रस्त अफगानिस्तान में अधिक से अधिक क्षेत्र पर अपना नियंत्रण स्थापित करने की कोशिश कर रहा है.

वहीं, चीन को इस बात की चिंता की सता रही है कि तालिबान के शासन में अफगानिस्तान ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट (ईटआईएम) का केंद्र बन जाएगा, जो एक अलगाववादी संगठन है और आतंकी संगठन अलकायदा से संबद्ध है. संसाधन बहुल शिंजियांग की करीब 80 किलोमीटर लंबी सीमा अफगानिस्तान से लगी हुई है. हालांकि, चीन की चिंताओं को तवज्जो नहीं देते हुए तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने कहा कि वे चीन को अफगानिस्तान के एक मित्र के रूप में देखते हैं और पुनर्निमाण कार्य में यथाशीघ्र निवेश के लिए बीजिंग से बात करने की आशा करते हैं.

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सुहैल ने कहा कि तालिबान चीन के उइगुर अलगाववादी लड़ाकों को देश में प्रवेश की अनुमति नहीं देगा. दरअसल, उनमें से कुछ ने पूर्व में अफगानिस्तान में शरण मांगी थी. प्रवक्ता ने कहा कि तालिबान अलकायदा या किसी अन्य आतंकी संगठन को वहां से संचालित होने से रोकेगा. सुहैल ने कहा, चीन के साथ हमारे अच्छे संबंध हैं.

अफगानिस्तान में चीन बड़े पैमाने पर निवेश करने की सोच रहा है, क्योंकि वहां अब तक दोहन नहीं किए गए तांबा, कोयला, लोहा, गैस, कोबाल्ट, पारा, सोना, लिथियम और थोरियम का विश्व का सबसे बड़ा भंडार है.

(पीटीआई-भाषा)

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