वाशिंगटन : अमेरिका में एक सिख अलगाववादी नेता की हत्या की नाकाम कोशिश में शामिल होने के आरोपी भारतीय नागरिक निखिल गुप्ता के अभियोग पर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के प्रशासन द्वारा भारतीय-अमेरिकी कांग्रेसियों को जानकारी दी गई. एक बयान जारी करते हुए, पांच सांसदों - अमी बेरा, श्री थानेदार, राजा कृष्णमूर्ति, प्रमिला जयपाल और रो खन्ना ने गुप्ता के अभियोग पर जानकारी प्रदान करने के प्रशासन के कदम की सराहना की.
उन्होंने बयान में कहा, "हम न्याय विभाग द्वारा निखिल गुप्ता के अभियोग पर जानकारी प्रदान करने वाले प्रशासन की सराहना करते हैं, जिसमें आरोप लगाया गया है कि भारत सरकार का एक अधिकारी एक अमेरिकी नागरिक की हत्या की साजिश में शामिल था." "कांग्रेस के सदस्यों के रूप में, हमारे घटकों की सुरक्षा और भलाई हमारी सबसे महत्वपूर्ण प्राथमिकता है. अभियोग में लगाए गए आरोप बेहद चिंताजनक हैं."
भारत के प्रयासों का स्वागत
सांसदों ने हत्या की साजिश की पूरी जांच के लिए एक जांच समिति की घोषणा करने के भारत के प्रयासों का भी स्वागत किया. उन्होंने कहा," यह महत्वपूर्ण है कि भारत पूरी तरह से जांच करे, भारत सरकार के अधिकारियों सहित जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह बनाए और आश्वासन दे कि ऐसा दोबारा नहीं होगा." नई दिल्ली ने हत्या की साजिश के आरोप में एक भारतीय व्यक्ति को अमेरिका द्वारा दोषी ठहराए जाने पर प्रतिक्रिया व्यक्त की थी और कहा था कि यह "चिंता का विषय" है और "सरकारी नीति के विपरीत" भी है.
सांसदों ने आगे कहा कि मामले को 'उचित रूप से' हल करने में विफल रहने से वर्षों से मजबूत हुए द्विपक्षीय संबंधों में गिरावट आने की संभावना है. बयान में कहा गया है,"हम मानते हैं कि अमेरिका-भारत साझेदारी ने हमारे दोनों लोगों के जीवन पर सार्थक प्रभाव डाला है लेकिन हमें चिंता है कि यदि अभियोग में उल्लिखित कार्रवाइयों को उचित रूप से संबोधित नहीं किया गया, तो इस परिणामी साझेदारी को महत्वपूर्ण नुकसान हो सकता है."
अमेरिकी अभियोजकों ने कथित तौर पर एक भारतीय सरकारी कर्मचारी की ओर से अमेरिकी नागरिक गुरपतवंत सिंह पन्नून की हत्या की नाकाम साजिश में शामिल होने के लिए 52 वर्षीय गुप्ता के खिलाफ हत्या के आरोप की घोषणा की है. न्यूयॉर्क में रह रहा पन्नून भारत में एक नामित आतंकवादी है और प्रतिबंधित खालिस्तान समूह, सिख फॉर जस्टिस का कानूनी सलाहकार है. प्राग की एक जेल में बंद गुप्ता को प्रत्यर्पण संधि के तहत अमेरिका के अनुरोध के जवाब में चेक अधिकारियों ने 30 जून को गिरफ्तार किया था. किराये के बदले हत्या और साजिश के आरोप में दोषी पाए जाने पर उसे 20 साल की जेल की सजा का सामना करना पड़ेगा. अमेरिका ने भारत सरकार के एक कर्मचारी पर भी आरोप लगाया है, जिसकी पहचान फिलहाल गुप्त रखी गई है.