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परमाणु संधि संबंधी सम्मेलन का शुक्रवार को होगा समापन

परमाणु हथियारों के प्रसार को रोकने के मद्देनजर की गई संयुक्त राष्ट्र की संधि के अंतिम दस्तावेज तैयार करने के बाद परमाणु संधि सम्मेलन का समापन होगा.

United Nations
संयुक्त राष्ट्र
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Published : Aug 26, 2022, 3:29 PM IST

संयुक्त राष्ट्र : परमाणु हथियारों का प्रसार रोकने के मकसद से की गई संयुक्त राष्ट्र की ऐतिहासिक संधि की समीक्षा के लिए चार सप्ताह से जारी और शुक्रवार को समाप्त होने वाले 191 देशों के सम्मेलन के दौरान यूक्रेन पर रूस का हमला, यूरोप के सबसे बड़े परमाणु ऊर्जा संयंत्र पर कब्जा और पश्चिमी देशों एवं चीन के बीच प्रतिद्वंद्वता के मामले अंतिम दस्तावेज पर समझौता करने में बाधाएं पैदा कर रहे हैं.

50 वर्ष पुरानी परमाणु अप्रसार संधि की समीक्षा के लिए आयोजित सम्मेलन के अध्यक्ष एवं अर्जेंटीना के राजदूत गुस्तावो ज्लाउविनेन ने बृहस्पतिवार को 35 पृष्ठीय मसौदे का अंतिम दस्तावेज वितरित किया. बंद कमरे में हुए सत्र में देशों की आपत्तियों को सुनने के बाद, राजनयिक ने कहा कि वह शुक्रवार को सुबह बंद कमरे में होने वाली अंतिम चर्चा के लिए दस्तावेज में संशोधन की योजना बना रहे है. इसके बाद दोपहर में खुली बैठक होगी और इसी के साथ सम्मेलन समाप्त होगा.

किसी भी दस्तावेज के लिए संधि के पक्षकार सभी दलों की स्वीकृति आवश्यक है और अभी यह स्पष्ट नहीं है कि सम्मेलन समाप्त होने से पहले किसी समझौते पर पहुंचा जा सकेगा या नहीं. इससे पहले 2015 में हुए सम्मेलन में सामूहिक विनाश के हथियारों से मुक्त पश्चिम एशिया क्षेत्र की स्थापना पर गंभीर मतभेद के कारण किसी समझौते पर नहीं पहुंचा जा सका था. वे पुराने मतभेद दूर नहीं हुए हैं, लेकिन उन पर चर्चा की जा रही है, और एपी को प्राप्त हुए अंतिम दस्तावेज का मसौदा परमाणु मुक्त पश्चिम एशिया क्षेत्र की स्थापना के महत्व की पुष्टि करेगा, इसलिए इसे इस साल बड़ी बाधा के रूप में नहीं देखा जा रहा.

सम्मेलन को इस बार सबसे अधिक प्रभावित करने वाला मुद्दा रूस द्वारा यूक्रेन पर 24 फरवरी को किया गया हमला है. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने चेतावनी दी है कि रूस एक 'शक्तिशाली' परमाणु संपन्न देश है और हस्तक्षेप करने के किसी भी प्रयास के 'ऐसे परिणाम होंगे, जो आपने पहले कभी नहीं देखे होंगे.' बहरहाल, बाद में पुतिन ने कहा, 'परमाणु युद्ध जीता नहीं जा सकता और इसे कभी लड़ा नहीं जाना चाहिए.' इसके अलावा दक्षिण पूर्वी यूक्रेन के जापोरिज्जिया में यूरोप के सबसे बड़े परमाणु संयंत्र पर रूस के कब्जे ने परमाणु त्रासदी का भय पैदा कर दिया है.

एनपीटी के प्रावधानों के तहत, पांच मूल परमाणु शक्तियां - अमेरिका, चीन, रूस (तब सोवियत संघ), ब्रिटेन और फ्रांस - अपने शस्त्रागार को एक दिन खत्म करने की दिशा में बातचीत करने पर सहमत हुई थीं और परमाणु हथियारों रहित राष्ट्रों ने इस शर्त पर परमाणु हथियार हासिल नहीं करने का वादा किया था कि उन्हें शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए परमाणु ऊर्जा विकसित करने में सक्षम बनाने की गारंटी दी जाए.

भारत और पाकिस्तान एनपीटी में शामिल नहीं हुए थे. उन्होंने परमाणु हथियार बनाए. उत्तर कोरिया ने भी ऐसा ही किया. उसने पहले समझौते की पुष्टि की लेकिन बाद में घोषणा की कि वह पीछे हट रहा है. एनपीटी पर हस्ताक्षर नहीं करने वाले इजराइल के बारे में माना जाता है कि उसके पास परमाणु शस्त्रागार है, लेकिन वह इसकी न तो पुष्टि करता है और न ही इनकार करता है.

ये भी पढ़ें - भारत ने यूक्रेन के संबंध में यूएनएससी में पहली बार रूस के खिलाफ मतदान किया

(पीटीआई-भाषा)

संयुक्त राष्ट्र : परमाणु हथियारों का प्रसार रोकने के मकसद से की गई संयुक्त राष्ट्र की ऐतिहासिक संधि की समीक्षा के लिए चार सप्ताह से जारी और शुक्रवार को समाप्त होने वाले 191 देशों के सम्मेलन के दौरान यूक्रेन पर रूस का हमला, यूरोप के सबसे बड़े परमाणु ऊर्जा संयंत्र पर कब्जा और पश्चिमी देशों एवं चीन के बीच प्रतिद्वंद्वता के मामले अंतिम दस्तावेज पर समझौता करने में बाधाएं पैदा कर रहे हैं.

50 वर्ष पुरानी परमाणु अप्रसार संधि की समीक्षा के लिए आयोजित सम्मेलन के अध्यक्ष एवं अर्जेंटीना के राजदूत गुस्तावो ज्लाउविनेन ने बृहस्पतिवार को 35 पृष्ठीय मसौदे का अंतिम दस्तावेज वितरित किया. बंद कमरे में हुए सत्र में देशों की आपत्तियों को सुनने के बाद, राजनयिक ने कहा कि वह शुक्रवार को सुबह बंद कमरे में होने वाली अंतिम चर्चा के लिए दस्तावेज में संशोधन की योजना बना रहे है. इसके बाद दोपहर में खुली बैठक होगी और इसी के साथ सम्मेलन समाप्त होगा.

किसी भी दस्तावेज के लिए संधि के पक्षकार सभी दलों की स्वीकृति आवश्यक है और अभी यह स्पष्ट नहीं है कि सम्मेलन समाप्त होने से पहले किसी समझौते पर पहुंचा जा सकेगा या नहीं. इससे पहले 2015 में हुए सम्मेलन में सामूहिक विनाश के हथियारों से मुक्त पश्चिम एशिया क्षेत्र की स्थापना पर गंभीर मतभेद के कारण किसी समझौते पर नहीं पहुंचा जा सका था. वे पुराने मतभेद दूर नहीं हुए हैं, लेकिन उन पर चर्चा की जा रही है, और एपी को प्राप्त हुए अंतिम दस्तावेज का मसौदा परमाणु मुक्त पश्चिम एशिया क्षेत्र की स्थापना के महत्व की पुष्टि करेगा, इसलिए इसे इस साल बड़ी बाधा के रूप में नहीं देखा जा रहा.

सम्मेलन को इस बार सबसे अधिक प्रभावित करने वाला मुद्दा रूस द्वारा यूक्रेन पर 24 फरवरी को किया गया हमला है. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने चेतावनी दी है कि रूस एक 'शक्तिशाली' परमाणु संपन्न देश है और हस्तक्षेप करने के किसी भी प्रयास के 'ऐसे परिणाम होंगे, जो आपने पहले कभी नहीं देखे होंगे.' बहरहाल, बाद में पुतिन ने कहा, 'परमाणु युद्ध जीता नहीं जा सकता और इसे कभी लड़ा नहीं जाना चाहिए.' इसके अलावा दक्षिण पूर्वी यूक्रेन के जापोरिज्जिया में यूरोप के सबसे बड़े परमाणु संयंत्र पर रूस के कब्जे ने परमाणु त्रासदी का भय पैदा कर दिया है.

एनपीटी के प्रावधानों के तहत, पांच मूल परमाणु शक्तियां - अमेरिका, चीन, रूस (तब सोवियत संघ), ब्रिटेन और फ्रांस - अपने शस्त्रागार को एक दिन खत्म करने की दिशा में बातचीत करने पर सहमत हुई थीं और परमाणु हथियारों रहित राष्ट्रों ने इस शर्त पर परमाणु हथियार हासिल नहीं करने का वादा किया था कि उन्हें शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए परमाणु ऊर्जा विकसित करने में सक्षम बनाने की गारंटी दी जाए.

भारत और पाकिस्तान एनपीटी में शामिल नहीं हुए थे. उन्होंने परमाणु हथियार बनाए. उत्तर कोरिया ने भी ऐसा ही किया. उसने पहले समझौते की पुष्टि की लेकिन बाद में घोषणा की कि वह पीछे हट रहा है. एनपीटी पर हस्ताक्षर नहीं करने वाले इजराइल के बारे में माना जाता है कि उसके पास परमाणु शस्त्रागार है, लेकिन वह इसकी न तो पुष्टि करता है और न ही इनकार करता है.

ये भी पढ़ें - भारत ने यूक्रेन के संबंध में यूएनएससी में पहली बार रूस के खिलाफ मतदान किया

(पीटीआई-भाषा)

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