हिरोशिमा : क्वाड नेताओं ने शनिवार को यूक्रेन संघर्ष को बातचीत और कूटनीति के माध्यम से सुलझाने का आह्वान करते हुए कहा कि यह युद्ध का युग नहीं होना चाहिए. नेताओं का यह रुख प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रुख को प्रतिध्वनित करता है.
मोदी, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, जापानी प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा और उनके ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष एंथनी अल्बनीस ने हिरोशिमा में वार्षिक क्वाड शिखर सम्मेलन में यूक्रेन संघर्ष सहित विभिन्न वैश्विक चुनौतियों पर बातचीत की.
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PM @narendramodi joined PM @AlboMP of Australia, PM @kishida230 of Japan and President @JoeBiden of USA @POTUS for the 3rd in-person Quad Leaders’ Summit.
— Arindam Bagchi (@MEAIndia) May 20, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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शिखर सम्मेलन (Quad Summit) के बाद, नेताओं ने एक संयुक्त बयान जारी किया जिसमें यूक्रेन संघर्ष, पूर्वी और दक्षिण चीन सागर की स्थिति तथा हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए उनके दृष्टिकोण को शामिल किया गया.
क्वाड नेताओं ने कहा कि वे अंतरराष्ट्रीय कानून के पालन, विवादों के शांतिपूर्ण समाधान और सभी देशों की क्षेत्रीय अखंडता एवं संप्रभुता सहित संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों के सम्मान के लिए खड़े हैं.
नेताओं ने कहा, 'इस संदर्भ में, आज हम यूक्रेन में जारी युद्ध पर अपनी गहरी चिंता व्यक्त करते हैं और इसके भयानक एवं दुखद मानवीय परिणामों पर शोक व्यक्त करते हैं.'
उन्होंने कहा, 'हम खाद्य, ईंधन और ऊर्जा सुरक्षा तथा महत्वपूर्ण आपूर्ति श्रृंखलाओं सहित वैश्विक आर्थिक प्रणाली पर इसके गंभीर प्रभावों को पहचानते हैं. हम यूक्रेन के लिए मानवीय सहायता प्रदान करना जारी रखेंगे.'
बयान में कहा गया, 'यह जानते हुए कि हमारा युग युद्ध का नहीं होना चाहिए, हम बातचीत और कूटनीति के लिए प्रतिबद्ध हैं. हम संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुरूप एक व्यापक, न्यायसंगत और स्थायी शांति का समर्थन करते हैं.' क्वाड नेताओं के इस बयान में प्रधानमंत्री मोदी के रुख की प्रतिध्वनि दिखी.
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री मोदी ने रूस-यूक्रेन युद्ध के मुद्दे पर पिछले साल रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से कहा था, 'यह युग युद्ध का नहीं है.' मोदी की इस टिप्पणी के लिए दुनियाभर के नेताओं ने उनकी प्रशंसा की थी. क्वाड नेताओं ने एक मुक्त और खुले हिंद-प्रशांत के लिए अपनी दृढ़ प्रतिबद्धता की भी पुष्टि की जो समावेशी हो.
उन्होंने कहा, 'हम ऐसा क्षेत्र चाहते हैं जहां किसी देश का दबदबा न हो और किसी देश को दबाया न जा सके.' क्वाड नेताओं ने हिंद महासागर क्षेत्र में सहयोग को मजबूत करने की अपनी प्रतिबद्धता भी व्यक्त की. क्षेत्र में चीनी सेना की आक्रामक गतिविधियों के बीच, क्वाड नेताओं ने कहा, 'हम अस्थिरता या एकतरफा गतिविधियों का कड़ा विरोध करते हैं, जिनमें यथास्थिति को जबरन बदलने की कोशिश की जाती हो.'
नेताओं ने अंतरराष्ट्रीय कानून के पालन के महत्व पर भी जोर दिया, विशेष रूप से जैसा कि समुद्री कानून से संबंधित संयुक्त राष्ट्र संधि में परिलक्षित होता है. उन्होंने सभी तरह के आतंकवाद और हिंसक चरमपंथ की स्पष्ट रूप से निंदा की.
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(पीटीआई-भाषा)