जोहानिसबर्ग: भारत में डॉ. बिंदेश्वर पाठक द्वारा स्थापित अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित ‘सुलभ’ स्वच्छता परियोजना का दक्षिण अफ्रीका में ग्रामीण समुदायों तक इन सुविधाओं को पहुंचाने के लिए विस्तार किया जाएगा. डॉ. पाठक पिछले सप्ताह पीटरमारित्जबर्ग में गांधी-किंग-मंडेला अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन 2023 में अतिथि वक्ता थे क्योंकि उन्होंने जो मॉडल विकसित किया, वह गांधीवादी सिद्धांतों पर आधारित है. इस मॉडल ने न केवल स्वच्छता को बढ़ावा दिया बल्कि यह भारत में महिलाओं के सम्मान से भी जुड़ा है.
उन्होंने कहा, ‘‘गांधी ने स्वच्छता के बारे में बात की थी. उन्होंने 1919 में भारत में कहा था कि वह पहले एक स्वच्छ भारत और शिक्षा चाहते हैं, बाद में स्वतंत्रता. इसलिए, मैंने एक ऐसी प्रौद्योगिकी का आविष्कार किया, जिसने घर के अंदर शौचालय बनाने में मदद की है. भारत सरकार के समर्थन के कारण, देश में अब हर घर में शौचालय है.’’
पाठक ने कहा कि उन्होंने भारत की स्वच्छता संबंधी समस्या को हल करने के लिए रेलवे स्टेशन, बस अड्डों और पुलिस थानों जैसी जगहों पर भी सार्वजनिक शौचालय बनवाए हैं. उन्होंने कहा, ‘‘इसे दक्षिण अफ्रीका में लागू किया जा सकता है क्योंकि यह एक ऐसी प्रौद्योगिकी है जिसे वैश्विक स्तर पर क्रियान्वित किया जा सकता है.’’
उन्होंने कहा, “यह प्रौद्योगिकी कम लागत पर लागू की जा सकती है, क्योंकि भारत की तरह दक्षिण अफ्रीका भी अमेरिका जैसी सीवरेज प्रणाली का खर्च नहीं उठा सकता, इसलिए वे (अमेरिकी) प्रौद्योगिकियां हमारे देशों में स्वच्छता की समस्याओं को हल करने में सहायक नहीं हैं.’’ पाठक ने यह भी साझा किया कि कैसे उनकी परियोजना ने महिलाओं को सशक्त बनाया और दलित समुदाय के जीवन को बदल दिया, जिन्हें शौचालय सफाईकर्मी और मैला हटाने वाला होने के कारण अछूत समझा जाता था. पाठक ने कहा, ‘‘इससे समाज के सबसे निचले तबके के लोगों के उत्थान और उन्हें समाज की मुख्यधारा में लाने के गांधी के सपने को पूरा करने में भी मदद मिली.’’
पीटरमारित्जबर्ग गांधी फाउंडेशन के अध्यक्ष डेविड गेंगेन ने कहा कि क्वाजुलु नेटाल विश्वविद्यालय के कृषि प्रभाग, स्थानीय नगर पालिका, डरबन में भारतीय महावाणिज्य दूत के कार्यालय और गांधी फाउंडेशन के बीच इस क्षेत्र में प्रणाली को लागू करने के लिए पहले ही बातचीत हो चुकी है. गेंगेन ने कहा, ‘‘यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण साझेदारी है जिसे हम अपने ग्रामीण समुदायों के लिए शुरू करना चाहते हैं.’’ गेंगेन ने कहा, ‘‘हम लोगों को प्रशिक्षित करने के लिए डॉ. पाठक को यहां लाना चाहते हैं, लेकिन अगर हम उन्हें यहां नहीं ला सके तो भारत सरकार ने आश्वासन दिया है कि वह यहां से कुछ लोगों को प्रशिक्षित करने के लिए भारत भेजेगी.’’
(पीटीआई-भाषा)
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